आवाज द वाॅयस / जम्मू
एडवोकेट जीशान सैयद ने पाकिस्तान की कश्मीर को लेकर अपनाई गई दोहरी नीति पर सवाल उठाते हुए कहा कि पाकिस्तान वर्षों से कश्मीरियों के नाम पर एकजुटता का दिखावा करता रहा है, जबकि वास्तविकता यह है कि उसकी संलिप्तता ने ही इस क्षेत्र को दशकों से अशांति, हिंसा और पीड़ा में धकेल दिया है.
वह हक इंसाफ काउंसिल की ओर से प्रेस क्लब जम्मू में आयोजित "पाकिस्तान प्रलय दिवस: जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद के तथ्यों को उजागर करना" विषय पर बोल रहे थे. इस चर्चा में "कश्मीर एकजुटता दिवस: दिखावा या वास्तविक चिंता?" विषय को भी गंभीरता से विश्लेषित किया गया.
काउंसिल के अध्यक्ष एडवोकेट जीशान सैयद के नेतृत्व में आयोजित इस परिचर्चा में बुद्धिजीवियों, नीति-निर्माताओं और सुरक्षा विशेषज्ञों ने भाग लिया.एडवोकेट जीशान सैयद ने बताया कि पाकिस्तान द्वारा प्रायोजित आतंकवाद के कारण अब तक 96,000 से अधिक निर्दोष लोग मारे गए हैं, जिनमें महिलाएं और बच्चे भी शामिल हैं.
अपने उद्घाटन भाषण में एडवोकेट जीशान सैयद ने पाकिस्तान की कश्मीर को लेकर अपनाई गई दोहरी नीति पर सवाल उठाए. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान वर्षों से कश्मीरियों के नाम पर एकजुटता का दिखावा करता रहा है, जबकि वास्तविकता यह है कि उसकी संलिप्तता ने ही इस क्षेत्र को दशकों से अशांति, हिंसा और पीड़ा में धकेल दिया है.
उन्होंने बताया कि पाकिस्तान द्वारा प्रायोजित आतंकवाद के कारण अब तक 96,000 से अधिक निर्दोष लोग मारे गए हैं, जिनमें महिलाएं और बच्चे भी शामिल हैं..उन्होंने स्पष्ट किया कि पाकिस्तान ने कश्मीरियों की मदद करने के बजाय, अपने राजनीतिक और आर्थिक एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए इस संघर्ष का फायदा उठाया है.
प्रबुद्ध वक्ताओं के विचार
इस अवसर पर विधि छात्रा मोमिना के संचालन में आयोजित चर्चा में कई प्रतिष्ठित वक्ताओं ने अपनी राय रखी:
पूर्व पीएससी सदस्य और सत्र न्यायाधीश सुभाष गुप्ता ने कश्मीर में पाकिस्तान की भूमिका के कानूनी और मानवीय निहितार्थों पर प्रकाश डाला.
एसओएस इंटरनेशनल के अध्यक्ष राजीव चुनी ने पीओजेके (पाकिस्तान अधिकृत जम्मू-कश्मीर) से आए शरणार्थियों के संघर्ष और जवाबदेही की आवश्यकता पर बल दिया.
टीम कश्मीर पुनर्जागरण के प्रतिनिधि शेराज़ ज़मान लोन ने कश्मीरियों के लचीलेपन और उनके वास्तविक आख्यान को पुनः प्राप्त करने के महत्व पर जोर दिया.
शरणार्थी समिति पीओजेके के अध्यक्ष गुरदेव सिंह ने पाकिस्तान द्वारा पीओजेके के प्राकृतिक संसाधनों के दोहन का मुद्दा उठाया.
अधिवक्ता बशारत हुसैन ने गिलगित-बाल्टिस्तान और पीओजेके पर पाकिस्तान के अवैध कब्जे के कानूनी पहलुओं पर चर्चा की.
कश्मीरी पंडित प्रवासी समिति के प्रतिनिधि सुशील सिंह ने अपने समुदाय के संघर्ष और विस्थापन की त्रासदी को साझा किया.
वरिष्ठ पुलिस अधिकारी एजाज शर्मा ने पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद से उत्पन्न सुरक्षा चुनौतियों पर रोशनी डाली.
डॉ. नितन शर्मा ने पाकिस्तान की वैश्विक स्तर पर घटती विश्वसनीयता और उसकी शोषणकारी रणनीति का विश्लेषण किया.
पाकिस्तान की आतंकवाद नीति और अंतरराष्ट्रीय वित्तीय शोषण
चर्चा के दौरान वक्ताओं ने इस बात पर सहमति जताई कि पाकिस्तान ने विदेशी ऋणों और अंतरराष्ट्रीय सहायता का उपयोग विकास और कल्याण की बजाय आतंकी संगठनों और आईएसआई के नेटवर्क को वित्तपोषित करने में किया. पीओजेके और पाकिस्तान के आम लोग बेरोजगारी, मुद्रास्फीति और बिगड़ती जीवन स्थितियों से जूझ रहे हैं, जबकि पाकिस्तान के शासक वर्ग और उनके सहयोगी इस शोषण से खुद को समृद्ध कर रहे हैं.
पैनलिस्टों ने यह भी उजागर किया कि कैसे पाकिस्तान कश्मीर में सांप्रदायिक भावनाओं को भड़काकर युवाओं को आतंकवाद में धकेलता है, जबकि तंजीम नेता और आईएसआई संचालक शानदार जीवनशैली का आनंद लेते हैं.
पाकिस्तान के भू-राजनीतिक खेल और संभावित विखंडन
पैनलिस्टों ने अफगानिस्तान में रूसी प्रभाव को रोकने, इस्लामिक जिहाद को प्रोत्साहित करने और नशीली दवाओं के व्यापार में संलिप्त होने जैसी पाकिस्तान की रणनीतियों पर भी चर्चा की. इस संदर्भ में, चर्चा के दौरान बलूचिस्तान, खैबर पख्तूनख्वा (केपीके) और पीओजेके के अलगाव की संभावनाओं पर भी जोर दिया गया.
डॉ. नितन शर्मा ने अपने समापन भाषण में पाकिस्तान के नेतृत्व की नीयत और कश्मीरियों के प्रति उसकी तथाकथित एकजुटता पर सवाल उठाने की आवश्यकता पर बल दिया. उन्होंने कहा कि "भविष्य संघर्ष में नहीं, बल्कि शांति, शिक्षा और विकास में निहित है."
हक इंसाफ काउंसिल का आह्वान
हक इंसाफ काउंसिल ने पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओजेके) और पाकिस्तान के आम नागरिकों से अपनी सरकार से पारदर्शिता और जवाबदेही की मांग करने का आह्वान किया. काउंसिल ने स्पष्ट किया कि सार्वजनिक संसाधनों का उपयोग कल्याण और विकास के लिए किया जाना चाहिए, न कि आतंक और शोषण पर आधारित व्यवस्था को बनाए रखने के लिए.
हक इंसाफ काउंसिल ने न्याय की वकालत करने, शांति को बढ़ावा देने और राष्ट्रीय एकीकरण को सुदृढ़ करने के लिए अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि की.
उपस्थित गणमान्य
इस संगोष्ठी में प्रमुख शोधकर्ताओं और छात्रों ने भाग लिया, जिनमें जसप्रीत कौर, ताहिर मुस्तफा मलिक, शिवम जसरोटिया, अनिरुद्ध शर्मा, वैभव डाबर, रवि शंकर, कृतिका, वहीद परवाज, सगीर कुरैशी और कई अन्य शामिल थे.
यह चर्चा पाकिस्तान की कश्मीर नीति के वास्तविक उद्देश्यों और इसके आतंकवाद पोषित ढांचे की पोल खोलने का एक मंच साबित हुई. वक्ताओं ने ज़ोर दिया कि हिंसा और आतंक के चक्र को समाप्त करने के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय को पाकिस्तान पर दबाव बनाना चाहिए और कश्मीर में शांति व स्थिरता को प्राथमिकता देनी चाहिए.