देश के पहले राष्ट्रपति डाॅक्टर राजेंद्र प्रसाद के सीवान से हिना शहाब के चुनाव लड़ने का मतलब

Story by  सेराज अनवर | Published by  [email protected] | Date 04-05-2024
Meaning of Hina Shahab contesting elections from Siwan of the country's first President Dr. Rajendra Prasad
Meaning of Hina Shahab contesting elections from Siwan of the country's first President Dr. Rajendra Prasad

 

सेराज अनवर / पटना

देश के पहले राष्ट्रपति डॉ.राजेन्द्र प्रसाद की धरती  सीवान लोकसभा चुनाव क्षेत्र में तीन बड़ी पार्टियों राजद, कांग्रेस और भाजपा के उम्मीदवार तीन तरफा मुकाबले में फंस गए हैं. इस मुकाबले को त्रिकोणीय बनाया है कथित माफिया डाॅन रहे मोहम्मद शहाबुद्दीन की पत्नी हिना शहाब ने. वह यहां से निर्दलीय चुनाव लड़ रही हैं.

बिहार की राजधानी पटना से 131 किलोमीटर दूर स्थित सीवान लोकसभा क्षेत्र से मोहम्मद शहाबुद्दीन लंबे अर्से तक सांसद रहे. वह यहां से चार बार सांसद चुने गए गए थे.अब वह इस दुनिया में नहीं हैं.कोरोनाकाल में उनकी जल में रहस्यमय मौत हो गई.

मोहम्मद शहाबुद्दीन को लालू प्रसाद की पार्टी राष्ट्रीय जनता दल के संस्थापकों मंे माना जाता है, इसलिए इनके परिजनों को उम्मीद थी कि यहां से मोहम्मद शहाबुद्दीन की पत्नी हिना शहाब को टिकट दिया जाएगा. ऐसा नहीं होने पर वहनिर्दलीय चुनाव मैदान में हैं.बिहार की 40 सीट में सीवान पर सबकी गहरी नजर है.

हिना पहली मुस्लिम महिला हैं जो हिजाब में लोकसभा चुनाव लड़ रही हैं.सीवान से पहले मुस्लिम सांसद मोहम्मद यूसुफ हुए हैं.बिहार के पहले मुस्लिम मुख्यमंत्री अब्दुल गफूर भी यहां से एक बार लोकसभा पहुंच चुके हैं.1996 से 2009 तक हिना शहाब के मरहूम पति मोहम्मद शहाबुद्दीन चार बार लगातार सांसद निर्वाचित हुए.

तीन बार हिना शहाब भी लोकसभा चुनाव में लालू की पार्टी से भाग्य आजमा चुकी हैं. अलग बात है कि जीत एक बार भी नसीब नहीं हुई.राष्ट्रीय जनता दल से रिश्तों में खटास आने के सबब हिना शहाब इस बार निर्दलीय चुनाव मैदान में हैं.मतदान 25मई छठे चरण में है.

क्यों चर्चे में हैं हिना शहाब ?

माफिया डाॅन से चर्चित मोहम्मद शहाबुद्दीन चार बार सांसद और दो बार विधायक रहे हैं.भाकपा माले के कार्यकर्ता छोटे लाल गुप्ता के अपहरण और लापता के मामले में दोषी करार दिए जाने के बाद शहाबुद्दीन को चुनाव लड़ने से अयोग्य घोषित कर दिया गया था.

तब 2009 के लोकसभा चुनाव में पहली बार राष्ट्रीय जनता दल ने सीवान से इनकी पत्नी हिना शहाब को उम्मीदवार बनाया.हिना शहाब 2014और 2019में भी लालू की पार्टी से मैदान में उतरीं, पर नतीजा सिफर रहा.हिना शहाब 2024के लोकसभा चुनाव में बिहार की 40 लोकसभा क्षेत्र में चुनाव लड़ने वालीं इकलौती मुस्लिम महिला हैं.

उनका एक विडियो वायरल है,जो लालू प्रसाद का टेंशन बढ़ा रहा है. इस वीडियो में उन्होंने पहली बार अपने पति मोहम्मद शहाबुद्दीन और राजद का जिक्र किया है.उन्होंने लालू परिवार पर इग्नोर करने का आरोप लगाया है. उनका चुनाव प्रचार जोरों पर है.

हिना शहाब ने कहा है, साहब (मोहम्मद शहाबुद्दीन) ने जिस पार्टी (राजद) को जमीन से आसमान तक पहुंचाया उनके जाने के बाद उन्होंने (लालू परिवार) हमें इग्नोर कर दिया.हिना शहाब और राजद की दूरी इतनी बढ़ गई कि इन्होंने अपना रास्ता ही बदला लिया. मोहम्मद शहाबुद्दीन की मौत के बाद भी सीवान की राजनीति में इस परिवार की पकड़ मानी जाती भी है.

गठबंधन में राजद 23सीटों पर चुनाव लड़ रही है.हिना शहाब की तरफ से कोई सकारात्मक रुझान प्राप्त नहीं होने पर लालू प्रसाद ने अवध बिहारी चैधरी को पार्टी का प्रत्याशी बनाया है.सीवान में एनडीए प्रत्याशी जदयू कोटे से विजयलक्ष्मी कुशवाहा चुनावी मैदान में है. अबकी बार सीवान में त्रिकोणीय लड़ाई होगी.

siwan

हिना को समर्थन

सीवान में मुस्लिम फैक्टर काम नहीं करता है.सवर्ण हिंदू जातियां चुनावी राजनीति को प्रभावित करती हैं. नब्बे का दशक बिहार की राजनीति में बदलाव का था. तब सीवान में माले सक्रिय हो रहा था. नक्सलवाद से सीवान भी जूझ रहा था.इसी दौरान सीवान में एक कथित ‘रॉबिनहुड’ भी उभर रहा था. वह थे मोहम्मद शहाबुद्दीन.

1990 में जीरादेई विधानसभा सीट से मोहम्मद शहाबुद्दीन ने सीवान जेल से पहली बार निर्दलीय चुनाव लड़ा और जीते. 5साल विधायक रहने के बाद शहाबुद्दीन को लालू प्रसाद का साथ मिला.1995के विधानसभा चुनाव में जीरादेई से शहाबुद्दीन दूसरी बार राष्ट्रीय जनता दल की टिकट पर विधायक चुने गए.

एक साल बाद 1996के लोकसभा में राजद ने शहाबुद्दीन को सीवान से टिकट दिया और वो जीत दर्ज कर लोकसभा पहुंच गए.सीवान की सियासत में मोहम्मद शहाबुद्दीन का सिक्का चलने लगा.उधर माले गरीब-गुरबा,दलित,पिछड़े को गोलबंद कर अपनी ताकत बढ़ा रही थी.

क्हते हैं माले का आंदोलन पूंजीपतियों और सवर्णों के खिलाफ था.उन्हें माले के विरुद्ध एक सुरक्षा कवच चाहिए था. बदले में मोहम्मद शहाबुद्दीन ने सुरक्षा देने का वादा किया और सीवान की राजनीति का ध्रुवीकरण हो गया. बाद के दिनों में यह समीकरण कमजोर पड़ गया.

हिना शहाब हारने लगीं. हिना शहाब अपने पति के समीकरण को साधने में लगी हैं. शहर के मालवीय नगर में एक परिवार द्वारा आयोजित कन्या पूजन में उनकी उपस्थिति को समीकरण साधने के रूप में देखा जा रहा है.हिना शहाब शहर में आयोजित श्रीराम शोभायात्रा में भी शामिल‌ हो चुकी हैं.लोगों का मानना है कि वोट के लिए इस सियासी चाल का फायदा हिना शहाब को मिल सकता है. इसको लेकर राजद और जदयू खेमे मंे बेचैनी है.

स्वतंत्रता संग्राम और सीवान

यह डॉ.राजेन्द्र प्रसाद की धरती है, तो मौलाना मजहरूल हक की भी सरजमीं है.स्वतंत्रता संग्राम में यह जिला हिन्दू-मुस्लिम की साझी विरासत रही है.इस जिले ने देश को पहला राष्ट्रपति दिया.राजेंद्र बाबू का जन्म 3दिसंबर 1884को बिहार के तत्कालीन सारण जिले (अब सीवान) के जीरादेई नामक गांव में हुआ था.

उनके पिता महादेव सहाय संस्कृत एवं फारसी के विद्वान थे. माता कमलेश्वरी देवी एक धर्मपरायण महिला थीं.सीवान से महान स्वतंत्रता सेनानी मौलाना मजहारूल हक का भी यहां से गहरा नाता रहा है.मौलाना मजहरुल हक का जन्म पटना जनपद के मनेर थाना क्षेत्र के ब्रह्मपुर में 22दिसंबर 1866को जमींदार परिवार में हुआ.

पिता शेख अहमदुल्लाह एक नेक इंसान थे.उनका पूरा असर मौलाना साहब पर दिखा. रिश्तेदारों द्वारा दान में दी गई जमीन पर वह साल 1900में सिवान जिले के फरीदपुर गांव में बस गए थे. 1927में पंडित मोतीलाल नेहरू और 1928में पंडित मदन मोहन मालवीय और अब्दुल कलाम आजाद ने भी उनके आशियाना का दौरा किया.

बिहार के प्रथम मुख्यमंत्री अब्दुल गफूर की भी राजनीतिक कर्मभूमि सीवान रहा है.उन्होंने लोकसभा में एक बार सीवान का प्रतिनिधित्व किया था.म्जेदार बात एक यह भी है कि रातेंद्र प्रसाद के गांव जीरादेई से आठ किलोमीटर दूर बंगरा गांव है, जहां देष का नटवरलाल पैदा हुआ था. उसका असली नाम मिथिलेष श्रीवास्तव था.

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सीवान लोकसभा का राजनीतिक इतिहास

सीवान लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र का गठन 1956 में हुआ. इस में 6 विधानसभा क्षेत्र सीवान,जीरादई,दरौली,रघुनाथपुर,दरौंदा, बड़हरिया शामिल हैं. झूलन सिन्हा 1957 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी से पहले सांसद हुए. वह डॉ. राजेंद्र प्रसाद के करीबी माने जाते थे.

बिहार के प्रमुख स्वतंत्रता सेनानियों में से एक थे.1962 के चुनाव में भी वह जीत कर लोकसभा पहुंचे.एक दशक तक सीवान के सांसद रहे.1967 में मोहम्मद यूसुफ यहां से पहले मुस्लिम सांसद चुने गए.भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के टिकट पर 1972 में भी वही जीते.

यूसुफ लगातार दो बार सांसद चुने गए.1980 में भी वह निर्वाचित हुए. मगर जनता पार्टी की लहर में 1977 में चुनाव हार गए.1977 में जनता पार्टी से मृतयुंजय प्रसाद निर्वाचित हुए.1984 में अब्दुल गफूर यहां से सांसद बने.अब्दुल गफूर 2 जुलाई 1973 से 11 अप्रैल 1975 तक बिहार के मुख्यमंत्री रहे.

1984 में राजीव गांधी कैबिनेट में शहरी विकास मंत्री बनाए गए थे.1989 में भारतीय जनता पार्टी से जनार्दन तिवारी और 1991 में वृषण पटेल जनता दल के टिकट पर सांसद निर्वाचित हुए.1996 से 2004 तक राष्ट्रीय जनता दल से मोहम्मद शहाबुद्दीन सीवान के सांसद रहे.2009 में ओमप्रकाश यादव निर्दलीय चुनाव जीते. 2014 में भारतीय जनता पार्टी के टिकट से लोकसभा पहुंचे.2019 में जनता दल युनाइटेड के टिकट पर कविता सिंह निर्वाचित हुईं.