मौलवी मोहम्मद बाकर पत्रकारिता में सोशल रिफॉर्म पर फोकस करते थे, बोलीं इतिहासकार डॉ स्वप्रा लिडल

Story by  मोहम्मद अकरम | Published by  [email protected] | Date 16-09-2024
Maulvi Mohammad Baker used to focus on social reform in journalism, said historian Dr Swapra Liddle
Maulvi Mohammad Baker used to focus on social reform in journalism, said historian Dr Swapra Liddle

 

मोहम्मद अकरम / नई दिल्ली 

 मौलवी मोहम्मद बाकर, जिन्होंने अपने उर्दू अखबार 'दिल्ली उर्दू' के माध्यम से अंग्रेजों की चालाकियों को उजागर किया और सामाजिक सुधारों पर जोर दिया, की शहादत की याद में दिल्ली के प्रेस क्लब ऑफ इंडिया में एक विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया गया.

 इस अवसर पर इतिहासकार डॉ. स्वप्रा लिडल ने मौलवी बाकर की पत्रकारिता और उनके योगदान पर प्रकाश डाला.डॉ. लिडल ने कहा कि मौलवी बाकर, जो अंग्रेजों के खिलाफ स्वतंत्रता संग्राम के अग्रणी थे, ने अपने अखबार के माध्यम से सामाजिक, राजनीतिक और अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों पर ध्यान केंद्रित किया.

वह न सिर्फ सामाजिक, दैनिक, राजनीतिक खबरों को बल्कि विश्व राजनीति से जुड़ी खबरों को भी उर्दू दिल्ली अखबार में जगह देते थे. वह अखबार में अंग्रेजों द्वारा देश की संपत्ति को लूट कर बाहर भेजे जाने पर लोगों को जागरूक करते थे. 


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 उनके लेखन ने लोगों को अंग्रेजों की लूट और शोषण के खिलाफ जागरूक किया. उन्होंने बताया कि 1857 का दौर मौलवी बाकर के लिए अत्यंत कठिन था, लेकिन उन्होंने कभी भी अंग्रेजों के सामने समर्पण नहीं किया, जिसके परिणामस्वरूप उनकी शहादत हुई.

 उनके बलिदान को इतिहास में हमेशा याद किया जाएगा.प्रेस क्लब ऑफ इंडिया के अध्यक्ष गौतम लहरी ने मौलवी बाकर की पत्रकारिता की सराहना की. कहा कि आज की पत्रकारिता में उनकी तरह का समर्पण और निष्ठा नजर नहीं आती.

 उन्होंने प्रेस क्लब की ओर से मौलवी बाकर के योगदान पर और काम करने की आवश्यकता की बात की.एयू आसिफ ने मौलवी बाकर की ऑन-स्पॉट पत्रकारिता की प्रशंसा की और प्रेस क्लब ऑफ इंडिया में उनकी तस्वीर को स्थान दिए जाने पर खुशी व्यक्त की.

कार्यक्रम में तीन युवा पत्रकार मुनज्जाह शाह, सोहेल अख्तर और मोहम्मद तस्लीम ने मौलवी बाकर और वर्तमान उर्दू पत्रकारिता पर विस्तृत विचार प्रस्तुत किए. सोहेल अख्तर ने कहा कि मौलवी बाकर को पढ़कर वह रोज नई प्रेरणा प्राप्त करते हैं और उर्दू पत्रकारिता की गुणवत्ता को बढ़ावा देने का प्रयास कर रहे हैं.

 तस्लीम राजा ने मौलवी बाकर के समर्पण की सराहना की. कहा कि मौजूदा उर्दू पत्रकारिता में भी ऐसा ही समर्पण और प्रयास होना चाहिए.सोहैल अख्तर ने कहा कि मौलवी मोहम्मद बाकर को पढ़ कर रोज सीखते हैं, वह अच्छे पत्रकार के साथ जमीन की पत्रकारिता को बढ़ावा दिए.

मौजूदा उर्दू पत्रकारिता पर कहा कि आज उर्दू पाठकों में कमी आई है, हमें फख्र है कि मुझे आती है और इसी भाषा से पत्रकारिता की शुरुआत की.कार्यक्रम का संचालन पत्रकार महताब आलम ने किया.