मौलाना महमूद मदनी का मुस्लिम युवाओं से आह्वान: खेल और नौकरी में कड़ी मेहनत कर आगे बढ़ें

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  [email protected] | Date 05-07-2024
Maulana Mahmood Madani's call to Muslim youth: Move forward by working hard in sports and jobs
Maulana Mahmood Madani's call to Muslim youth: Move forward by working hard in sports and jobs

 

आवाज द वाॅयस /नई दिल्ली

मौलाना महमूद दनी ने मुस्लिम वाओं का ध्यान आकर्षित किया कि वह गुमराह करने वाली शक्तियों से सावधान रहें.उन्होंने सावधान किया कि पकी भावनाओं को स्वार्थी और अपना फायदा चाहने वाले संगठन हाईजैक करने का प्रयास कर सकते हैं ताकि पूरी कौम के सिर पर निराशा एवं हताशा का तंबू तान दिया जाए. इसलिए शॉर्ट टर्म (अल्पकालिक) की लालच को त्याग दें.

लांग टर्म (दीर्घकालिक) योजना को आत्मसात करते हुए शिक्षण संस्थानों, कला स्थलों, खेल-कूद के क्षेत्रों में हर जगह अपनी उपस्थिति दर्ज कराने के लिए कड़ी मेहनत करें . हर क्षेत्र में अपना हिस्सा क्लेम करने की भावना पैदा करें.

मदनी जमीअत उलमा हिंद की केंद्रीय प्रबंधन समिति की महत्वपूर्ण सभा को संबोधित कर रहे थे.जमीअत उलमा हिंद की केंद्रीय प्रबंधन समिति की महत्वपूर्ण सभा उसके नई दिल्ली स्थित मुख्यालय में  शुरू हुई, जिसमें देश भर से जमीअत उलमा-ए-हिंद के लगभग दो हजार सदस्यों और प्रबुद्धजनों ने भाग लिया.

 बैठक की अध्यक्षता जमीअत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद असद मदनी कर रहे हैं. सभा के पहले सत्र में देश में बढ़ते नफरती अभियान और इस्लामोफोबिया से मुकाबला करने और फ़िलिस्तीन में इज़राइल की दमनकारी सरकार द्वारा जारी नरसंहार इत्यादि पर विस्तार से चर्चा हुई .

प्रस्ताव पारित किए गए. जबकि अगले सत्रों में इस्लामी मदरसों के खिलाफ नकारात्मक प्रोपेगंडा  सहित विभिन्न राजनीतिक और सामाजिक मुद्दों पर प्रस्ताव पारित किए जाएंगे.पहले सत्र में अपने अध्यक्षीय भाषण में मौलाना महमूद असद मदनी ने कहा कि देश नफरत से नहीं चलेगा.

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उन्होंने मॉब लिंचिंग और मुस्लिम समुदाय के खिलाफ दुष्प्रचार को देश के लिए हानिकारक बताते हुए कहा कि इससे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हमारे प्यारे देश की छवि धूमिल हो रही है.मौलाना मदनी ने युवाओं को झाव दिया कि सरकारी संस्थानों में भर्ती पर विशेष ध्यान दिया जाए, बल्कि सरकारी संस्थानों की भर्ती के लिए प्रशिक्षण केंद्र स्थापित किए जाएं.

क्योंकि सिस्टम के बाहर रह कर भेदभावपूर्ण रवैये से छुटकारा पाना बहुत मुश्किल कार्य है, जबकि सिस्टम के अंदर रहकर प्रयास अधिक प्रभावी होगा. मौलाना मदनी ने कहा कि सभी वर्गों के साथ संवाद और आपसी समन्वय को बढ़ावा देना समय की मांग है.

भले ही वह हमारे विचारों से सहमत हों या न हों ताकि गलतफहमियों को दूर किया जा सके. उन्होंने कहा कि नफरत का मुकाबला नफरत से नहीं, बल्कि प्यार से ही किया जा सकता है.इस अवसर पर दारुल उलूम देवबंद के मोहतमिम मौलाना मुफ्ती अबुल कासिम नोमानी ने कहा कि प्रबंधन समिति की यह महत्वपूर्ण सभा ऐसे समय में हो रही है,

जब पूरा देश बहुत ही संवेदनशील दौर से गुजर रहा है. इस देश में आजादी के बाद मुसलमानों के ऊपर बहुत कठिन परिस्थितियां आईं, लेकिन मामला सीधे हमारे ईमान और आस्था से संबंधित है। हमारी पीढ़ी को आस्था और इस्लाम से वंचित करके धर्मत्याग के रास्ते पर ले जाने की एक संगठित और व्यवस्थित कोशिश हो रही है.

उन्होंने कहा कि जमीअत उलमा-ए-हिंद हमारे लिए वरदान है. हम केवल अपने बुजुर्गों के बलिदानों का जिक्र करके संतुष्ट नहीं हो सकते, आज की स्थिति में यह सोचें कि हमारे पूर्वज अगर जीवित होते तो किस भावना के साथ मैदान में खड़े होते. आज हमें उन भावनाओं के साथ युवाओं की शक्ति और उनकी क्षमताओं का उपयोग करके अपनी पीढ़ी के ईमान की रक्षा करनी है.
 

उन्होंने मौलाना महमूद असद मदनी के व्यक्तित्व की सराहना की. कहा कि हमारे पूर्वज अब नहीं रहे, अल्लाह तआला ने उनके रूप में हमें अच्छा विकल्प प्रदान किया है. हमें अपने जान और माल की कुर्बानी देकर उनके साथ खड़ा होना चाहिए.

जमीअत उलमा-ए-हिंद के उपाध्यक्ष मौलाना मोहम्मद सलमान बिजनौरी ने कहा कि फिलिस्तीन संपूर्ण मानवता की बहुत गंभीर समस्या है. उन्होंने कहा कि इजराइलियों ने फिलिस्तीनियों के खून से होली खेलकर अपने आपको दरिंदों की श्रेणी में शामिल कर दिया हैं.

नायब अमीरुल हिंद मुफ्ती सैयद मोहम्मद सलमान मंसूरपुरी ने कहा कि बच्चों के ईमान की रक्षा के लिए मकतबों (धार्मिक पाठशालाओं) की भूमिका सबसे महत्वपूर्ण है, इसलिए हर जगह मकतब की स्थापना करना और इन मकतबों में इस्लामी शिक्षाएं और पवित्र पैगंबर मोहम्मद (शांति उन पर) के जीवन के कार्यों की शिक्षा देना आवश्यक है.

इस मौके पर जमीअत उलमा बंगाल के अध्यक्ष मौलाना सिद्दीकुल्लाह चौधरी, दारुल उलूम देवबंद के उस्ताद मौलाना अब्दुल्ला मारूफी, जमीअत उलमा पश्चिमी उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष मौलाना आकिल कासमी आदि ने भी संबोधित किया.

 सभा का संचालन जमीअत उलमा-ए-हिंद के महासचिव मौलाना हकीमुद्दीन कासमी ने किया. उन्होंने सेक्रेटरी रिपोर्ट प्रस्तुत की जिसमें जमीअत की महत्वपूर्ण सेवाओं का उल्लेख किया गया. अपने संबोधन में उन्होंने जमीअत उलमा-ए-हिंद की स्थापना के उद्देश्यों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि जमीअत का उद्देश्य मुसलमानों के जीवन के सभी पहलुओं में धार्मिक मार्गदर्शन करना है, इसलिए प्रशिक्षण लोगों की आवश्यकता है.

इससे पूर्व उन्होंने पिछली कार्रवाई को भी प्रस्तुत कि. प्रसिद्ध शायर ऐहसान मोहसिन ने जनाबे रिसालत की शान में बेहतरीन नात पेश की.इससे पूर्व एक अहम प्रस्ताव में इस्लामोफोबिया और मुसलमानों के खिलाफ नफरत और उकसावे पर गहरी चिंता व्यक्त की गई . इसे गांधी और नेहरू के भारत के लिए शर्मनाक बताया गया.

प्रस्ताव में कहा गया है कि सबसे अधिक निराशाजनक बात यह है कि इन बातों को  सत्तारूढ़ पार्टी के पदाधिकारियों द्वारा बढ़ावा दिया जा रहा है. मामूली राजनीतिक स्वार्थों के लिए नफरत का जहर इस हद तक घोल दिया गया है कि शैक्षणिक संस्थानों और कॉलेज के छात्र तक इस महामारी का हिस्सा बन गए हैं.

मुंबई ट्रेन में कॉलेज के छात्रों के एक समूह द्वारा एक मुस्लिम परिवार के साथ दुर्व्यवहार की घटना है. इन परिस्थितियों में देश की अखंडता और अच्छी छवि को लेकर जमीअत उलम-ए-हिंद भारत सरकार का ध्यान आकर्षित करना चाहती है कि वह आत्मावलोकन से काम ले और नफरती भाषण और हेट क्राइम की रोकथाम के लिए एक ठोस और प्रभावी नीति बनाए.

 इसके साथ ही विधि आयोग की सिफारिश के अनुसार हिंसा भड़काने वालों को विशेष रूप से दंडित करने के लिए एक अलग कानून बनाया जाए.सभी अल्पसंख्यकों विशेषकर मुस्लिम अल्पसंख्यकों को सामाजिक-आर्थिक रूप से अलग-थलग करने की कोशिशें पर रोक लगाई जाए.

देश के धर्म गुरूओं, सिविल सोसायटी, मीडिया और राजनीतिक दलों से अपील की गई कि वह इस नफरती माहौल को खत्म करने में अपनी प्रभावी भूमिका निभाएं.फ़िलिस्तीन में जारी नरसंहार पर गहरा दुख व्यक्त करते हुए प्रबंधन समिति ने सभी देशों, विशेष रूप से अमेरिका, ब्रतानिया और भारत से मांग किया कि वह कब्जा करने वाले शासकों को हथियार और गोला-बारूद के निर्यात को बंद करें जो उनकी सेना और जबरन बसे इजरायली आतंकवादी, फिलिस्तीनियों की हत्या करने और उनके घरों, अस्पतालों, मस्जिदों, चर्च और उनकी सभी संपत्तियों को नष्ट करने के लिए उपयोग करते हैं.

अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय और अभियोजन कार्यालय तत्काल फिलिस्तीनियों के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय अपराधों के लिए जिम्मेदार इजरायली अधिकारियों की गिरफ्तारी के वारंट जारी करे, और जांच का दायरा बढ़ाए और फिलिस्तीन में हुए रक्तपात और नरसंहार के लिए इजराइल पर भारी जुर्माना लगाया जाए और इस दौरान हुई क्षति का हर्जाना वसूल किया जाए.

सभा में पिछले वर्ष कई महत्वपूर्ण हस्तियों के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया गया. जमीअत का तराना कारी अहमद अब्दुल्लाह रसूलपुरी ने पेश किया। जमीअत उलमा कर्नाटक के अध्यक्ष मुफ्ती इफ्तिखार अहमद कासमी ने अध्यक्षीय प्रस्ताव प्रस्तुत करते हुए जमीअत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष के तौर पर मौलाना महमूद असद मदनी के नाम का समर्थन प्राप्त किया.

जिन लोगों ने प्रस्ताव पेश किया और मुख्य भाषण प्रस्तुत किया, उनमें उपर्युक्त लोगों के अलावा मौलाना अब्दुल्ला मारूफ़ी, उस्ताद दारुल उलूम देवबंद और मौलाना उमर शामिल हैं. इस अवसर पर मौलाना उमर की किताब मकातिब-ए-दीनिया की अहमियत का विमोचन भी किया गया.