आवाज द वाॅयस मराठी टीम / मालेगांव
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के नतीजे घोषित हुए.महाराष्ट्र की जनता ने महायुति को अभूतपूर्व जीत दिलाई.इस बीच सबकी निगाहें मालेगांव सीट पर थीं, जहां मुस्लिम मतदाताओं की संख्या सबसे ज्यादा है.खास बात यह है कि इस सीट पर वोटों की गिनती सबसे रोमांचक रही.हर पल वोटिंग पेंडुलम झूलता रहा.शुरुआती राउंड में 'इस्लाम' पार्टी के पूर्व विधायक आसिफ शेख आगे चल रहे थे.पंद्रहवें राउंड के बाद एमआईएम उम्मीदवार और विधायक मौलाना मुफ्ती मोहम्मद इस्माइल ने बढ़त पलट दी.इस करीबी मुकाबले वाली सीट पर पुनर्मतगणना के बाद मौलाना मुफ्ती विजयी हुए.
80% से ज़्यादा मुस्लिम आबादी वाले मालेगांव सेंट्रल की लड़ाई ने आखिरी क्षण तक सबको चौंका कर रख दिया.आखिरकार, यह घोषणा की गई कि मौलाना मुफ़्ती मोहम्मद इस्माइल (एमआईएम) को 109,653 वोट मिले.नई 'इस्लाम' पार्टी से चुनाव लड़ रहे आसिफ शेख 109,491 वोटों के साथ सिर्फ़ 162 वोट पीछे रहे.
मालेगांव में जीत हासिल करके मौलाना मुफ़्ती ने महाराष्ट्र में AIMIM का खाता खोला और अपनी सीट बरकरार रखी.यह उनकी लगातार दूसरी जीत है.एक बार जीतने के बाद, वे तीसरी बार विधानसभा में प्रवेश करेंगे.विधानसभा चुनाव के अंत में मौलाना मुफ़्ती की तबीयत खराब हो गई, जिससे उन्हें सहानुभूति मिली.
मुफ़्ती, ईदगाह के इमाम के रूप में उनका सर्वोच्च धार्मिक पद, मतदाताओं के बीच सम्मान, धार्मिक प्रभाव और अपराध के सख्त विरोध ने उनकी जीत में योगदान दिया.वहीं, निर्दलीय प्रत्याशी और पूर्व विधायक आसिफ शेख चुनाव प्रचार के दौरान अपने ऊपर लगे आपराधिक आरोपों का जवाब देने में उलझ गए.
उनके जवाब मतदाताओं को संतुष्ट नहीं कर पाए.साथ ही मोमिन (अंसारी) समुदाय के वोट मौलाना मुफ्ती को मिले.आसिफ शेख का यह अनुमान गलत साबित हुआ कि समाजवादी पार्टी के शान-ए-हिंद के कारण मोमिन वोट बंट जाएंगे.इस सीट से लगातार पांच बार जीतने का रिकॉर्ड रखने वाले पूर्व मंत्री निहाल अहमद की बेटी शान-ए-हिंद को सिर्फ 9,580 वोट मिले.कांग्रेस के एजाज बेग को सिर्फ 7,485 वोट मिले.
इसके विपरीत, मौलाना मुफ़्ती को दखनी समुदाय और युनुस ईसा परिवार से मजबूत समर्थन मिला, जिनका शहर के कुछ हिस्सों में महत्वपूर्ण प्रभाव है.मौलाना मुफ़्ती ने मतदाताओं को सफलतापूर्वक यह विश्वास दिलाया कि 'इस्लाम' पार्टी की स्थापना करने वाले आसिफ शेख और उनके परिवार का शहर के अपराध में हाथ है.इससे शेख पर काफी असर पड़ा.इन आरोपों के कारण शहर के पावरलूम फैक्ट्री मालिकों ने मौलाना का समर्थन किया.इस बार, अभियान विकास कार्यों के बजाय व्यक्तिगत हमलों पर अधिक केंद्रित था.
कहा जाता है कि नासिक जिले के संरक्षक मंत्री दादा भुसे के साथ मधुर संबंधों का मौलाना को कुछ हद तक फायदा मिला.मालेगांव आउटर विधानसभा क्षेत्र में रिकॉर्ड विकास कार्य हुए.भुसे के समर्थन से सेंट्रल विधानसभा क्षेत्र में भी इन कार्यों को जारी रखने की मुहिम ने भी मौलाना की मदद की.दूसरी ओर, आसिफ शेख का भुसे के प्रति सीधा विरोध कुछ लोगों को रास नहीं आया.विरोधी होने के बावजूद सेंट्रल विधानसभा क्षेत्र में भुसे के विकास कार्यों की मुस्लिम मतदाताओं द्वारा सराहना की जाती है.
निर्वाचन क्षेत्र में स्वीकृत महत्वपूर्ण कार्यों को पूरा करने और अंतिम चरण में कुछ विकास कार्यों के उद्घाटन के अवसर के लिए अभियान चलाना मौलाना मुफ़्ती मोहम्मद इस्माइल के लिए फायदेमंद साबित हुआ.पिछले चुनाव में उनके साथ रहे शान-ए-हिंद और एजाज बेग के विरोध का सामना करने के बावजूद मौलाना मुफ़्ती विजयी हुए.इन दोनों का प्रभाव बहुत कम था.दोनों को केवल दस हज़ार वोट मिले.हालांकि, आसिफ शेख की मामूली हार ने उन्हें और उनके समर्थकों को निराश कर दिया.
एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने दी बधाई
मौलाना मुफ्ती मोहम्मद इस्माइल की जीत के साथ ही एआईएमआईएम ने महाराष्ट्र में अपना खाता खोल लिया है.पार्टी ने राज्य में 116 उम्मीदवार उतारे थे, लेकिन वह सिर्फ मालेगांव सेंट्रल सीट ही जीत पाई.एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने मौलाना मुफ्ती मोहम्मद इस्माइल को इस जीत पर बधाई दी.
उन्होंने ट्वीट कर लिखा, "मुफ्ती इस्माइल साहब को दूसरी बार मालेगांव विधायक चुने जाने पर बधाई.मैं महाराष्ट्र की जनता का शुक्रगुजार हूं, जिन्होंने हमें भारी संख्या में वोट दिया.हमारे उम्मीदवारों, पार्टी कार्यकर्ताओं और समर्थकों से मेरा आग्रह है कि आप हिम्मत न हारें और नए संकल्प के साथ काम करें.चुनाव नतीजों से पता चलता है कि लोग एक वास्तविक राजनीतिक विकल्प की तलाश में हैं और मजलिस ने महाराष्ट्र की राजनीति में खुद को स्थापित कर लिया है."