प्रधानमंत्री के नाम पत्र, धर्मस्थलों की सुरक्षा की लगाई गुहार

Story by  एटीवी | Published by  [email protected] | Date 30-11-2024
Letter to the Prime Minister, request for protection of religious places
Letter to the Prime Minister, request for protection of religious places

 

आवाज द वाॅयस / नई दिल्ली

देश के बिगड़ते सांप्रदायिक संबंधों को लेकर चिंतित नागरिकों के एक समूह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक खुला पत्र लिखा है. पत्र में पिछले एक दशक में हिंदू-मुसलमान और अन्य समुदायों के बीच बढ़ते तनाव और असुरक्षा की स्थिति पर गहरी चिंता व्यक्त की गई है.

सांप्रदायिकता और असुरक्षा की ओर इशारा

पत्र में लिखा गया है कि पिछले कुछ वर्षों में सांप्रदायिकता का माहौल खतरनाक स्तर तक बढ़ गया है. गोरक्षा के नाम पर मुस्लिम युवाओं को निशाना बनाने से लेकर मुस्लिम व्यापारिक प्रतिष्ठानों का बहिष्कार और उनके घरों पर बुलडोजर चलाने की घटनाओं का विशेष रूप से उल्लेख किया गया है.

पत्र में दावा किया गया है कि लगभग 1.54 लाख व्यापारिक प्रतिष्ठानों और आवासों को नुकसान पहुंचाया गया है, जिनमें से अधिकांश मुसलमानों के हैं. यह भी कहा गया है कि प्रशासन की भूमिका अक्सर पक्षपातपूर्ण रही है, जिससे अल्पसंख्यकों में असुरक्षा की भावना और बढ़ गई है.

दरगाहों और मस्जिदों पर सर्वेक्षण का विरोध

पत्र में हाल ही में मध्यकालीन मस्जिदों और सूफी दरगाहों पर पुरातात्विक सर्वेक्षण की मांगों को खतरनाक बताया गया है. विशेष रूप से अजमेर स्थित ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह का उल्लेख करते हुए कहा गया है कि यह स्थल न केवल मुसलमानों के लिए बल्कि सभी धर्मों के अनुयायियों के लिए समर्पण और शांति का प्रतीक है.

नागरिकों ने यह भी लिखा कि दरगाह पर सर्वेक्षण का आदेश देना हमारी सभ्यतागत विरासत पर सीधा हमला है. उन्होंने प्रधानमंत्री से अपील की कि वे इस तरह की गतिविधियों को तुरंत रोकने के लिए कदम उठाएं.

प्रधानमंत्री से समावेशी कदम उठाने की अपील

पत्र में प्रधानमंत्री से अनुरोध किया गया है कि वे मुख्यमंत्री और प्रशासनिक अधिकारियों को यह सुनिश्चित करने के लिए निर्देश दें कि वे कानून और संविधान का पालन करें. साथ ही, प्रधानमंत्री से सभी धर्मों के प्रतिनिधियों के साथ एक सर्वधर्म बैठक बुलाने की मांग की गई है.

इस बैठक का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि देश की बहुलवादी और समावेशी विरासत को बनाए रखा जाए और सांप्रदायिक ताकतों को इसे बाधित करने की अनुमति न दी जाए.

प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात की मांग

पत्र के अंत में प्रधानमंत्री से अनुरोध किया गया है कि चिंतित नागरिकों के एक छोटे प्रतिनिधिमंडल को उनसे मिलने का समय दिया जाए, ताकि वे अपनी चिंताओं को विस्तार से प्रस्तुत कर सकें.इस पत्र ने समाज में बढ़ते सांप्रदायिक तनाव पर नई बहस छेड़ दी है.

यह प्रधानमंत्री से उम्मीद करता है कि वे भारत के सभी नागरिकों, विशेष रूप से अल्पसंख्यकों, को आश्वस्त करेंगे कि सरकार सांप्रदायिक सौहार्द और एकता बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध है.पत्र में  एन. सी. सक्सेना: आईएएस (सेवानिवृत्त): पूर्व सचिव, भारत सरकार योजना आयोग,नजीब जंग: आईएएस (सेवानिवृत्त): पूर्व उपराज्यपाल, दिल्ली, शिव मुखर्जी, आईएफएस (सेवानिवृत्त), ब्रिटेन में भारत के पूर्व उच्चायुक्त,
 अमिताभ पांडे: आईएएस (सेवानिवृत्त): पूर्व सचिव, अंतर-राज्य परिषद, भारत सरकार. एस. वाई. कुरैशी: आईएएस (सेवानिवृत्त): भारत सरकार के पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त, नवरेखा शर्मा: आईएफएस (सेवानिवृत्त): इंडोनेशिया में भारत की पूर्व राजदूत, मधु भादुड़ी: आईएफएस (सेवानिवृत्त): पुर्तगाल में पूर्व राजदूत, लेफ्टिनेंट जनरल ज़मीरुद्दीन शाह (सेवानिवृत्त): पूर्व उप सेना प्रमुख, रवि वीर गुप्ता: आईएएस (सेवानिवृत्त): पूर्व उप राज्यपाल, भारतीय रिजर्व बैंक, राजू शर्मा: आईएएस (सेवानिवृत्त): पूर्व सदस्य, राजस्व बोर्ड, उत्तर प्रदेश सरकार, सईद शेरवानी: उद्यमी/परोपकारी, अवय शुक्ला: आईएएस (सेवानिवृत्त): पूर्व अतिरिक्त मुख्य सचिव, हिमाचल प्रदेश सरकार, शाहिद सिद्दीकी: पूर्व संपादक, नई दुनिया, सुबोध लाल: आईपीओएस (इस्तीफा): पूर्व उप महानिदेशक, संचार मंत्रालय, भारत सरकार, सुरेश के. गोयल: आईएफएस (सेवानिवृत्त): पूर्व महानिदेशक, आईसीसीआर, अदिति मेहता: आईएएस (सेवानिवृत्त): पूर्व अतिरिक्त मुख्य सचिव, राजस्थान सरकार, अशोक शर्मा: आईएफएस (सेवानिवृत्त): फिनलैंड और एस्टोनिया में पूर्व राजदूत के नाम शामिल हैं.