मोहम्मद अकरम /नई दिल्ली
कभी सीएए-एनआरसी विरोधी आंदोलन के लिए चर्चित दिल्ली का शाहीन बाग अब बिल्कुल बदल गया है. घनी आबादी और भरपूर व्यापारिक प्रतिष्ठानों से गुंथा यह इलाका रमजान में बिल्कुल बदला सा दिख रहा है. देर रात तक रमजान के मुबारक मौके पर यहां की सड़कें इस कदर गुलजार रहती हैं कि आप पुरानी दिल्ली को भूल जाएंगे.
रमजान के मद्देनजर इलाके को बिजली के झालरों एवं पताकों से खास तौर से सजाया गया है. रातों में खास तौर से दुकानें रंगीन रोशनियों से चमचमाती रहती हैं.ओखला में ही शाहीन बाग इलाका है और यहां रमजान की रौनक की बहार है.
शाहीन बाग को कुछ वर्षों पहले तक ना के बराबर लोग जानते थे. मगर नागरिकता संशोधन बिल (सीएए) के खिलाफ यहां से उठने वाली आवाज ने इसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई. शाहीन बाग ओखला क्षेत्र के आखिरी हिस्से में आबाद है, जहां आंदोलन के दिनों में गहमागहमी रहती थी.
अब न वह आंदोलन है और न नही नारे गढ़ने और लगााने वाले लग. इस समय यह इलाका विशुद्ध व्यापारिक क्षेत्र में बदल चुका है. बड़ी संख्या में हर-तरह के व्यापारिक प्रतिश्ठान खुल गए हैं. इनमें लजीज खाने वाले आउटलेट्स की संख्या ज्यादा है. यहां एक से बढ़कर एक जायकेदार व्यंजन मिल जाएंगे. रमजान की एक पहचान बढ़िया खाने-पीने से भी है. हद यह है कि शाहीन बाग के होटलों में परोसे जा रहे व्यंजनों का लुत्फ उठाने न केवल दिल्ली, बल्कि आस पड़ोस के षहरों से भी लोग आते हैं.
अभी ईद में काफी दिन ही इसलिए ज्यादा मारा-मारी खाने पीने की चीजों को लेकर ही मची है. रमजान के इन दिनों खाने-पीने को लेकर षाहीन बाग की दुकानें, गलियां, सड़कें इफ्तार से लेकर सहरी तक गुलजार रहते हैं. लगभग सारे होटल खुले रहते हैं. नमाज और तरावीह के समय को छोड़ दे ंतो इफ्तार से सेहरी तक इन होटलों में ग्राहक उमड़ते रहते हैं.
जावेद की नेहारी, जायका का खाना, मासूम की लखनवी ब्रेड, नागोरी की चाय, शाही टुकड़ा, अफगानी व्यंजन, हैदराबादी बिरयानी, आइसक्रीम की कुल्फी, मंडी (हैदराबादी व्यंजन), ब्रेड रोल, इस्लामिया फूड, एचओडी फूड समेत ऐसे कई व्यंजन हैं जिसका लोग इफ्तार और तरावीह की नमाज के बाद लुत्फ लेने पहुंचते हैं.
तीन साल पहले दुकानों का टोटा
शाहीन बाग के एक चैराहे पर रेहान 10साल से शाही टुकड़े की दुकान चलाते हैं. वह शाहीन बाग की बदलती तस्वीर और लोगों की भीड़ को नागरिकता संशोधन बिल के खिलाफ हुए आंदोलन से जोड़कर देखते हैं. कहते हैं, तीन साल पहले यहां बहुत कम दुकानें थीं, लेकिन सीएए आंदोलन के बाद से यहां की दुनिया बदल गई. यहां धड़ा-धाड़ दुकानें खुलने लगीं. यूं तो यहां हर तरह की दुकानों की भरमार है, पर खाने-पीने की दुकानों की संख्या मेरे ख्याल पुरानी दिल्ली से भी ज्यादा है.
वह रमजान के इनदिनों के माहौल पर टिप्पणी करते हुए कहते हैं- इन दिनों सुबह से शाम तक सन्नाटा रहता है, पर इफ्तार के बाद से सेहरी तक भीड़ सड़कांे पर धूम मची रहती रहती है. रेहान, शाही टुकड़े के बारे में बताते हैं कि इसे ब्रेड, खोवा और दूध के साथ तैयार किया जाता है. यह खाने में बहुत ही स्वादिष्ट होता है.
बिरयानी खाने की ख्वाहिश पूरी हुई
नोएडा में बी फार्मा की पढ़ाई कर रहे इरबाज यहां रात संवाददाता को मिल गए. उन्होंने बताया कि वह बोटैनिकल गार्डन से शाहीन बाग केवल लजीज खाने के लिए आए हैं. वह जायका होटल से बाहर निकलते हुए कहते हैं, यहां के व्यंजन के बारे में सिर्फ नाम सुना था. आज यहां की बिरयानी चख भी ली. बहुत शानदार और लाजवाब है. अगली बार दोस्तों के साथ यहां आऊंगा .
इफ्तार के बाद चाय
इफ्तार के बाद रोजदार मूड फ्रेश करने के लिए चाय की चुस्की लेना पसंद करते हैं. नागोरी चाय शाहीन बाग के साथ बाटला हाउस के लोगों के बीच काफी चर्चित है. यहां आने वाले लोग वक्त निकाल कर अपनी बारी का इंतजार करते हैं. नागोरी चाय के मालिक अशरफ ने बताया कि उनकी नागोरी चाय की दुकान शाहीन बाग के अलावा बाटला हाउस में दो जगह पर है.
हमारे यहां अधिकतर छात्र खाना खाने के बाद और शाम में पहुंचते हैं. लोगों की भीड़ की बात करूं तो 10-15मिनट इंतजार भी करना पड़ता है. शाहीन बाग के हवाले से कहते हैं कि इसकी पहचान अब अच्छे खाने पीने की चीजों के रूप में बदलने लगी है. इस कारण नोएडा, फरीदाबाद, गुरुग्राम तक से लोग यहां आने लगे हैं.
बदल गया शाहीन बाग
उत्तम नगर की सायमा अपने पति अबरार के साथ शाहीन बाग पहुंचीं हैं. वह शाहीन बाग आंदोलन और मौजूदा शाहीन बाग के बारे में कहती हैं कि यहां के गली, मोहल्ला बदल गए हैं. पहले इस कदर दुकानें नहीं थीं. नोएडा की एक इलेक्ट्रॉनिक कंपनी में काम करने वाले अरशद खान ने बताया कि यहां वे इफ्तार और तरावीह की नमाज के बाद खाना खाने वाले हैं.
उनके जैसे अकेले रहने वाले कामकाजी रोजेदार घर पर खाना बनाकर खाने के बजाए बाहर ही खाना ज्यादा पसंद करते हैं. इनदिनां इसलिए यहां भीड़ ज्यादा दिखती है.
शाहीन बाग कैसे पहुंचे ?
अगर आप शाहीन बाग पहुंच कर व्यंजनों का स्वाद चखना चाहते हैं और दूसरे इलाके में रहते हैं तो आप यहां पहुंचने के लिए मेट्रो और बस से आसानी से पहुंच सकते हैं. मेट्रो से आना चाहते हैं तो कालिंदी कुंज या जसोला विहार शाहीन बाग मेट्रो उतर कर पैदल 5 मिनट चलने के बाद शाहीन बाग 9 नंबर पहुंच सकते हैं. बस से आ रहे हैं तो 507,894,302 और 274 नंबर की बस कहीं से भी पकड़ कर यहां आसानी से पहुंचा जा सकता है.