-फ़िरदौस ख़ान
मुस्लिम छात्रों की कामयाबी के लिहाज़ से यह साल बहुत अच्छा रहा है. इस साल शिक्षा के क्षेत्र में मुसलमानों ने कामयाबी के परचम फहराये हैं. पश्चिम बंगाल के 24परगना ज़िले के वली रहमानी ऐसे ही युवा हैं, जिन्होंने ग़रीब बच्चों के लिए अंग्रेज़ी माध्यम स्कूल बनाने के लिए महज़ छह दिनों में छह करोड़ रुपये इकट्ठे करके सबको चौंका दिया.
वली रहमानी का बचपन मुफ़लिसी में बीता. वे इस बात को बहुत अच्छे से समझते हैं कि एक ग़रीब बच्चे के लिए अंग्रेज़ी माध्यम स्कूल में पढ़ना कितना मुश्किल है. इसलिए उन्होंने ग़रीब बच्चों को पढ़ाने के लिए किराये के एक मकान में ‘उम्मीद एकेडमी’ खोली.
इसमें 300 बच्चे पढ़ रहे हैं. तक़रीबन 1500 बच्चे स्कूल में दाख़िला लेना चाहते हैं, लेकिन उनके पास जगह नहीं है. फ़िलहाल एकेडमी की इमारत की तामीर का काम चल रहा है.वली रहमानी का कहना है कि वे ग़रीब बच्चों के लिए एक ऐसा स्कूल बनाना चाहते हैं, जिसमें तमाम तरह की सुविधाएं मौजूद हों.
इसके लिए उन्होंने चन्दा जुटाने की कोशिश की. लोगों ने उन्हें आश्वासन बहुत दिए, लेकिन पैसा एक भी नहीं दिया. इसलिए उन्होंने एक वीडियो जारी किया, जिसमें उन्होंने अपील करते हुए कहा- "इस देश में 20 करोड़ मुसलमान हैं. इनमें से केवल 20 लाख लोगों से मैं अपील करता हूं. अगर 20 लाख मुस्लिम 100-100 रुपये दान करेंगे तो मैं स्कूल के लिए 10 करोड़ रुपये जुटा लूंगा.”
इस वीडियो का असर हुआ और उन्हें छह दिन में छह करोड़ रुपये का चन्दा मिल गया. क़ाबिले-ग़ौर है कि देशभर में विभिन्न मुस्लिम शिक्षण संस्थानों के छात्रों ने भी इस साल कामयाबी के परचम फहराये हैं.
मरकज़
दक्षिण भारत के केरल राज्य के करनथुर में स्थित मरकज़ के वर्ल्ड इंस्टीट्यूट फ़ॉर रिसर्च इन एडवांस्ड साइंस (डब्ल्यूआईआरएएस) के 21छात्रों को आधिकारिक तौर पर तमिलनाडु, केरल और कर्नाटक के उच्च न्यायालयों में वकील के रूप में नामांकित किया गया है.
इन्होंने वर्ल्ड इंस्टीट्यूट फ़ॉर रिसर्च इन एडवांस्ड साइंस से धार्मिक अध्ययन और मर्कज़ लॉ कॉलेज से बैचलर ऑफ़ बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन (बीबीए) के संयोजन के साथ एकीकृत पाठ्यक्रम पूरा किया है. अब ये अपनी एलएलबी डिग्री के साथ क़ानून के क्षेत्र में दाख़िल हो चुके हैं. यहां के 100से ज़्यादा पूर्व छात्र अब देशभर की अदालतों में वकालत कर रहे हैं.
जामिया मरकज़ के वाइस रेक्टर और शोधकर्ता डॉक्टर मुहम्मद रौशन नूरानी को प्रतिष्ठित फ़ुलब्राइट-नेहरू पोस्ट डॉक्टोरल फ़ैलोशिप से सम्मानित किया गया है. यह पुरस्कार, संयुक्त राज्य अमेरिका और भारत के बीच एक सहयोगात्मक पहल है.
इसे संयुक्त राज्य अमेरिका-भारत शैक्षिक फ़ाउंडेशन (यूएसआईईएफ़) द्वारा अमेरिकी विदेश विभाग और भारत सरकार के विदेश मंत्रालय के योगदान से प्रदान किया जाता है, जो इसे एक उच्च पुरस्कार के रूप में चिह्नित करता है. अंतर्राष्ट्रीय शैक्षणिक अनुसंधान के क्षेत्र में यह प्रतिष्ठित सम्मान माना जाता है.
मरकज़ अग्रणी शैक्षणिक और धर्मार्थ संस्थान है. इसकी स्थापना साल 1978 में हुई थी. यह देशभर में विभिन्न शैक्षणिक और धर्मार्थ संस्थान चला रहा है. यह देश के बेहतरीन निजी औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों (आईटीआई) में से एक है. धर्मार्थ संस्थान होने की वजह से यहां फ़ीस भी बहुत ज़्यादा नहीं है.
मरकज़ का मक़सद अल्पकालीन और रोज़गारपरक व्यावसायिक प्रशिक्षण कार्यक्रम के ज़रिये ज़्यादा से ज़्यादा युवाओं को रोज़गार मुहैया कराना है, जिससे देश में बेरोज़गारी को कम किया जा सके. संस्थान द्वारा विभिन्न प्रकार के कोर्स का संचालन किया जा रहा है.
शाहीन ग्रुप ऑफ़ इंस्टीट्यूट
इस साल कर्नाटक के बीदर स्थित शाहीन पीयू कॉलेज ने राष्ट्रीय पात्रता और प्रवेश परीक्षा (एनईईटी) में असाधारण प्रदर्शन किया. कॉलेज के तीन छात्रों ने 720में से 705अंक हासिल किए. आठ छात्रों को 700 से ज़्यादा अंक मिले.
38 छात्रों ने 680 से ज़्यादा अंक हासिल किए. 161 छात्रों को 650से ज़्यादा अंक मिले.431 छात्रों ने 600 से ज़्यादा अंक हासिल किए, जबकि 666 छात्रों को 575 से ज़्यादा अंक मिले.
शाहीन ग्रुप ऑफ़ इंस्टीट्यूशन्स के चेयरमैन डॉक्टर अब्दुल क़दीर का कहना है कि कॉलेज शानदार नतीजे देता रहा है. पिछले दो सालों में सालाना 500से ज़्यादा छात्रों को सरकारी कोटे के तहत एमबीबीएस सीटें मिली हैं.
पिछले पंद्रह बरसों में कॉलेज के तक़रीबन चार हज़ार छात्रों ने सरकारी मेडिकल सीटें हासिल की हैं. उनमें से कई वर्तमान में डॉक्टर के तौर पर काम कर रहे हैं. वे इस उपलब्धि का श्रेय शाहीन के दोस्ताना माहौल को देते हैं. यहां के छात्र फ़ुज़ूल बातों में अपना वक़्त बर्बाद न करके पढ़ाई पर ख़ास तवज्जो देते हैं. इसकी वजह से उन्हें कामयाबी हासिल होती है.
ग़ौरतलब है कि कर्नाटक के बीदर स्थित शाहीन ग्रुप ऑफ़ इंस्टीट्यूट एक बेहतरीन शिक्षण संस्थान है. डॉक्टर अब्दुल क़दीर ने साल 1989में सिर्फ़ 17बच्चों के साथ इसकी स्थापना की थी. उन्होंने वाजिब फ़ीस में बेहतर शिक्षा देने का लक्ष्य रखा.
नतीजतन आज यह देश का एक अग्रणी शिक्षण संस्थान बन गया है. अब इस संस्थान में हज़ारों बच्चे तालीम हासिल कर रहे हैं. इसकी देशभर के विभिन्न राज्यों में शाख़ाएं हैं.
कर्नाटक में बीदर के शाहीन नगर, मैलूर और गोले ख़ाना के अलावा राज्य के औराद, बसवकल्याण, चितगुप्पा, हुमनाबाद, बीजापुर, गुलबर्गा, रायचूर, बेलागावी यानी बेलगाम, हुबली, कोलार, जमखंदी, तुमकुरू, निपानी, हसन, शिवामोग्गा, रामनगर, कालाकेरी, अलंद और कालाबुरगी में शाहीन के शैक्षणिक संस्थान हैं.
तेलंगाना में हैदराबाद के मलकपेट, आरामघर, चार मीनार और टोली चौक के अलावा राज्य के निज़ामाबाद, मोइनाबाद और आदिलाबाद में शाहीन के शैक्षणिक संस्थान हैं.
महाराष्ट्र के मुम्बई के कुर्ला, कांदिवली और मीरा रोड के अलावा राज्य के पुणे, नांदेड़, औरंगाबाद, सांगली, परभणी, अकोला, बीड, मालेगांव, न्यू नासिक, लातूर, जलगांव और कोकण में शाहीन के शैक्षणिक संस्थान हैं.
उत्तर प्रदेश के लखनऊ, अलीगढ़, नोएडा, मुज़फ़्फ़रनगर, आज़मगढ़ और बनारस में भी शाहीन के शैक्षणिक संस्थान हैं.मध्य प्रदेश के भोपाल और रतलाम में शाहीन के शैक्षणिक संस्थान हैं.
बिहार के पटना और सीवान में शाहीन के शैक्षणिक संस्थान हैं.पश्चिम बंगाल के कोलकाता और हावड़ा में भी शाहीन के शैक्षणिक संस्थान हैं. राजधानी दिल्ली के ओखला इलाक़े में भी शाहीन का शैक्षणिक संस्थान है.
आंध्र प्रदेश के कडपा, राजस्थान के उदयपुर, झारखंड के जमशेदपुर, जम्मू कश्मीर के श्रीनगर और आसाम के सिलचर में शाहीन का शैक्षणिक संस्थान है.कर्नाटक के बीदर, बगदल, भालकी, चितगुप्पा, हालीखेड़, हुमनाबाद, उडुपी, मन्नाखेड़ी और महाराष्ट्र के परभणी में शाहीन के विद्यालय भी हैं, जो बच्चों को बेहतरीन तालीम दे रहे हैं.