कोलकाता : मुसलमानों ने कराई पांच गरीब हिंदू लड़कियों की शादी , समाज को दिया एकता का संदेश

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  [email protected] | Date 02-02-2025
Muslims got five poor Hindu girls married, giving a message of unity to the society
Muslims got five poor Hindu girls married, giving a message of unity to the society

 

जावेद अख्तर / कोलकाता

 कोलकाता के मछवा फूल मंडी में एक अनोखी घटना घटी, जब जमात-उल-रईन पश्चिम बंगाल ने पांच गरीब हिंदू लड़कियों की शादी कराई. इस प्रयास का उद्देश्य समाज में एकता और भाईचारे का संदेश देना था. यह कदम समुदायों के बीच सहयोग को बढ़ावा देने के लिए उठाया गया था. इस शादी का आयोजन मुसलमानों द्वारा किया गया, जो एक प्रेरणादायक उदाहरण प्रस्तुत करता है कि किस तरह विभिन्न धर्मों के लोग एक साथ मिलकर समाज के भले के लिए काम कर सकते हैं. 

इस आयोजन को लेकर मछवा फूल मंडी में व्यापारिक गतिविधियों को स्थगित किया गया. हालांकि यह मंडी लाखों रुपये के कारोबार का केंद्र है. इस कार्यक्रम को लेकर संगठन के अध्यक्ष मुहम्मद सोहराब ने बताया कि पिछले साल से यह आयोजन शुरू हुआ था.

अब यह दूसरे साल में प्रवेश कर चुका है. उनका कहना है कि समाज में एकजुटता और सहयोग बढ़ाने के लिए इस तरह के कार्य किए जा रहे हैं. शादी का पूरा खर्च संस्था ने अपनी ओर से उठाया, और इसे पूरी तरह से दान के माध्यम से किया गया.


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संस्था की भूमिका और विचारधारा  

जमात-उल-रईन पश्चिम बंगाल के अध्यक्ष मुहम्मद सोहराब ने इस पहल के बारे में बताते हुए कहा, "हम लंबे समय से कुछ ठोस कदम उठाने पर विचार कर रहे थे. हम चाहते थे कि समाज में एकता और सामूहिकता को बढ़ावा मिले, और यह एक सकारात्मक उदाहरण प्रस्तुत हो. हमारे संगठन में मुसलमानों के साथ-साथ हिंदू भाई भी शामिल हैं, और हम सभी ने मिलकर यह निर्णय लिया कि गरीब लड़कियों की शादी करानी चाहिए."

शेख सोहराब ने यह भी बताया कि पहले यह तय किया गया था कि केवल मुस्लिम लड़कियों की ही शादी कराई जाएगी, लेकिन बाद में हिंदू परिवारों से भी इस संबंध में पूछताछ शुरू हुई. इसके बाद निर्णय लिया गया कि मुस्लिम लड़कियों के साथ-साथ हिंदू लड़कियों का भी विवाह कराया जाएगा. इस प्रकार यह कदम पूरी तरह से धार्मिक भेदभाव से परे था और इसमें सभी धर्मों के गरीब परिवारों की बेटियों को शामिल किया गया.


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दहेज का वितरण और शादी की व्यवस्था

इस विशेष शादी की व्यवस्था में संस्था ने दहेज के साथ-साथ शादी की अन्य व्यवस्थाओं का भी ध्यान रखा. दहेज में हिंदू लड़कियों को एक गीता, अलमारी, पलंग, कंबल, शॉल, साड़ी, सैंडल, बर्तन, और घर की जरूरत की सभी चीजें दी गईं.

इसके अलावा, दूल्हे और दुल्हन के परिवारों के लिए खाने-पीने का भी इंतजाम किया गया. इस दहेज को उपहार के रूप में दिया गया था, जिसमें सभी दैनिक जीवन की चीजें शामिल थीं जो एक नई शादीशुदा जोड़ी को चाहिए होती हैं.


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शादी के कार्यक्रम में शामिल होने वाली पांच हिंदू लड़कियां और उनके परिजन
  
यहां शादी करने वाली पांच हिंदू लड़कियों के नाम और उनके परिजनों के विवरण भी जारी किए गए हैं. इन लड़कियों की शादियां विभिन्न स्थानों के लड़कों से हुईं, जिनमें से कुछ के नाम इस प्रकार हैं:

1. **अनुश्री मिस्त्री** (हरवा उत्तर 24 परगना) की शादी प्रणय मंडल (रायपुर छोटू सहारा उत्तर 24 परगना) से हुई.
2. **सुजाता घोष** (जाता बेरा उत्तर 24 परगना) की शादी बेला दुर्गा नगर निवासी से हुई.
3. **सोनाली सरदार** (गोपालगंज साउथ 24 परगना) की शादी चित्तरंजन बयान (बिला बेरिया साउथ 24 परगना) से हुई.
4. **वली मौमिता सिंह** (भरतगढ़ दक्षिण 24 परगना) की शादी दिलीप कोला (हारन मोइपुर दक्षिण 24 परगना) से हुई.
5. **ललिता मिस्त्री** (महेश टाकरी रानी घाची हरवा) की शादी कृष्णकांत भुइयां (संदेश खाली निवासी) से हुई.


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समाज में एकता और भाईचारे का संदेश 

समाज के विभिन्न वर्गों के बीच एकता और भाईचारे को बढ़ावा देने के लिए इस शादी का आयोजन किया गया. संस्था के सदस्यों का कहना है कि मुसलमानों के साथ-साथ हिंदू समुदाय के गरीब लोग भी अपनी बेटियों की शादी करने में सक्षम नहीं होते.

इसलिए इस तरह के आयोजनों के माध्यम से सभी धर्मों के जरूरतमंदों की मदद करना बेहद महत्वपूर्ण है. मुहम्मद सोहराब ने कहा, "हम सभी धर्मों के लोगों को समान रूप से सम्मानित करते हैं और हमारे लिए यह जरूरी है कि हम समाज में एकता और भाईचारे को बढ़ावा दें."


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संगठन का भविष्य और आगामी योजनाएँ 

इस समिति में शामिल अन्य सदस्य भी इस पहल में अपनी भूमिका निभा रहे हैं। मुहम्मद अकरम, मुहम्मद मुमताज, शाहिद अहमद खान, बिलाल अहमद, आमिर इश्तियाक, संजय सरकार, और अन्य सदस्य इस पहल को सफल बनाने में जुटे हैं.

उन्होंने कहा कि यह सिर्फ शुरुआत है और भविष्य में इस प्रकार के आयोजन को और बढ़ाया जाएगा. उनका उद्देश्य समाज के विभिन्न वर्गों को एक साथ लाकर उन्हें अपने धर्म, जाति, और पंथ से ऊपर उठाकर मदद प्रदान करना है.

इस तरह के आयोजन केवल धार्मिक एकता का प्रतीक नहीं हैं, बल्कि यह समाज में सामाजिक न्याय और समरसता को बढ़ावा देने का भी एक महत्वपूर्ण कदम है. इस कदम के माध्यम से यह संदेश दिया गया है कि समाज के सभी वर्गों को बराबरी का हक मिलना चाहिए, और इस प्रकार की कार्यवाही से एकता और सामूहिकता को प्रोत्साहित किया जा सकता है.