’मैं हवा हूं, कहां वतन मेरा’ के गायक हुसैन बंधु के बारे में जानें दिलचस्प बातें

Story by  फरहान इसराइली | Published by  [email protected] | Date 25-02-2024
Know interesting things about Hussain Bandhu, singer of 'Main Hawa Hoon, Kahan Watan Mera'
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फरहान इसराइली/ जयपुर

राजधानी जयपुर के रहने वाले पद्मश्री हुसैन बंधु उस्ताद अहमद हुसैन और उस्ताद मोहम्मद हुसैन किसी परिचय के मोहताज नहीं.गज़ल और कव्वाली गायकी के लिए मशहूर हुसैन बंधु आज भी खुद को उस्ताद नहीं शागिर्द मानते हैं.

संगीत की तालीम दोनों भाइयों ने बचपन में अपने पिता उस्ताद मरहूम अफजल हुसैन जयपुर वाले से प्राप्त की थी.'उस्ताद अफज़ल हुसैन भी ग़ज़ल और ठुमरी के उस्ताद रहे हैं.जब दोनों ने संगीत सीखने का मन बनाया, तो वालिद ने मां से कहा कि दोनों बच्चों को मेरे पास बेटों के तौर पर नहीं शागिर्द के तौर पर भेजना. तभी असली गायकी का बारीक ज्ञान हासिल कर पाएंगे.

 उस्ताद मोहम्मद हुसैन बताते हैं,“हमने एक ही घर में जन्म लिया.हमारे वालिद ने हमें यही सिखाया कि हमेशा साथ काम करो.उन्होंने ही हमारी जोड़ी बनाई थी.हमारा यह रिश्ता कमजोर नहीं.एक खून, एक खयालात व एक सुर का रिश्ता है.

ahmad mohammad

गायकी का सफर

हुसैन बंधुओं ने गायकी का सफ़र 1958 में शुरू किया.इसके बाद 1959 में चाइल्ड आर्टिस्ट के रूप में आकाशवाणी, जयपुर से सफर शुरू किया.क्लासिकी ठुमरी फनकारों के तौर पर पहला एल्बम 'गुलदस्ता' 1980 में रिलीज़ हुआ,जो बेहद कामयाब रहा.

इसके बाद अपनी आवाज और संगीत को जनता तक ले जाने के लिए 50से ज्यादा एल्बम बनाए.फिर एल्बम 'मान भी जा' में टैंपॉ संगीत के जरिए कला बिखेरी.साल 1978में 'मैं हवा हूं कहां वतन मेरा' की गज़ल गायकी से काफी नाम मिला.

उसके बाद वीरजारा सहित कई फिल्मों में मौका मिला.पॉपुलर गज़ल 'चल मेरे साथी चल', 'नज़र मुझसे' भी काफी चर्चाओं में रहीं.दोनों भाइयों ने कई बार कहा है कि जमाना बदला है तो संगीत पेश करने का तरीका भी बदलेगी ही.

जैसे मौसम, खयालात, दिमाग और हालात सब बदल जाते हैं तो संगीत भी बदलता है.अब तक दोनों भाइयों की गजलों की लगभग 65 से ज़्यादा एल्बम बाजार में आ चुकी है.इनमें कुछ एल्बम के नाम गुलदस्ता, हमख्याल, मेरी मोहब्बत, द ग्रेट गजल्स, कृष्ण जनम भयो आज, कशिश, रिफाकत, याद करते रहे, नूर-ए-इस्लाम आदि खास हैं.

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मिल चुके हैं कई सम्मान

सम्मानों की बात करें तो हुसैन बंधुओं को राजस्थान सरकार द्वारा स्टेट अवार्ड, राजस्थान संगीत नाटक अकेडमी अवार्ड, 'बेगम अख्तर अवार्ड', नई दिल्ली, उ.प्र. सरकार द्वारा 'मिर्जा गालिब अवार्ड', महाराष्ट्र सरकार द्वारा 'अपना उत्सव अवार्ड' और हाल में वर्ष 2023 में पद्मश्री पुरस्कार से भी नवाजा जा चुका है.

 मोहम्मद हुसैन बताते है, “ एक बार जब वे जयपुर में परफॉर्म कर रहे थे,सितारा देवी भी आई हुई थीं.उन्होंने अपने साथ माया नगरी मुम्बई चलने को कहा. वहां काम तो काफी मिल रहा था, लेकिन पैसा ज्यादा नहीं था.इस कारण दोनों बंधुओं ने जयपुर में ही ज्यादातर वक्त काम किया.बीच-बीच में मुम्बई भी जाते रहे.”

इस दौरान सितारा देवी ने इन्हें कल्याणजी-आनंदजी से मिलवाया.1970 में एल्बम ‘गुलदस्ता’ रिलीज हुआ, जिसका गाना 'मैं हवा हूं कहां वतन मेरा' बहुत पसंद किया गया.यह एल्बम इतना लोकप्रिय हुआ कि दोनों भाईयों ने फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा.दोनों भाई कहते हैं, “पहचान अल्लाह देता है.आदमी की खूबी होती है कि वह उसे कितना निखारता है.“

सबसे पहले हमने अपनी 'गुलदस्ता' एल्बम के लिए गज़ल 'मैं हवा हूँ, कहाँ वतन मेरा' गाई थी.इस गज़ल में हमने हारमोनाईजेशन के कई प्रयोग किए थे.पहले तो लोगों ने हमारे इस प्रयोग पर ध्यान नहीं दिया परंतु बाद में जब लोगों ने उसे समझा, तब वहीं हमारी पहचान बनी.

ahmad

आज के दौर में गज़ल के मुकाम को बताते हुए हुसैन बंधु कहते हैं यह तो कुदरत है, जिसमें मौसम, खयालात, दिमाग व हालात सब बदल जाते हैं तो संगीत बहुत बड़ी चीज है.लेकिन कभी-कभी इस तरह के नावाकिफ लोग अपने एक्सपेरीमेंट को सामने लाते हैं, जिसको लोग पॉप, इंडीपॉप, रीमिक्स आदि कहते हैं.

हम तो यही मानते हैं कि कोई भी संगीत खराब नहीं है.संगीत वो खराब है, जो बेसुरा है.वो लय वाकई में अच्छी है जिसको सुनकर आपको चैन मिले.जिस लय पर केवल आपका शरीर हरकत करे, वह अच्छी नहीं है.