बांदीपुरा के किफायतुल्लाह मलिक ने सामाजिक कार्यों में अपनी सेवा से बदल दी बच्चों की जिंदगी

Story by  ओनिका माहेश्वरी | Published by  onikamaheshwari | Date 03-02-2025
Kifayatullah Malik receives NSS award from President for social service
Kifayatullah Malik receives NSS award from President for social service

 

ओनिका माहेश्वरी/ नई दिल्ली 
 
मेरे परिवार में, मैं पहला स्कूल जाने वाला बच्चा था क्योंकि मेरे पिता एक किसान हैं. और अब मेने ये बीड़ा उठाया है कि कोई भी बच्चा पढ़ाई से वंचित न रहे. ये कहना है बांदीपुरा के एक छोटे गांव से प्रतिष्ठित राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त करने वाले किफायतुल्लाह मलिक का, जिनकी कहानी अटूट दृढ़ता और दृढ़ संकल्प का प्रतीक है.

25 वर्षीय किफायतुल्लाह मलिक एक सामाजिक कार्यकर्ता, युवा नेता, पर्वतारोही, राष्ट्रपति पुरस्कार विजेता हैं. जिन्होनें आवाज द वॉयस को बताया कि उन्होंने अपना जीवन पहाड़ी क्षेत्रों में बच्चों को प्रेरित करने, शिक्षा, खेल और समग्र कल्याण को बढ़ावा देने के लिए समर्पित कर दिया है. उनका मिशन वंचित बच्चों को अवसर और आगे बढ़ने के लिए एक मंच प्रदान करके उनका उत्थान करना है.
 
 
शिक्षा 
 
किफायतुल्लाह मलिक ने बुनियादी स्कूली शिक्षा गवर्नमेंट बॉयज़ मिडिल स्कूल, लवायपोरा से प्राप्त की इसके बाद उन्होनें अपनी स्नातक की डिग्री श्रीनगर के अमर सिंह कॉलेज से सोशियोलॉजी और पोलिटिकल साइंस में ग्रहण की और कश्मीर विश्वविद्यालय से सामाजिक कार्य में मास्टर्स पूरी की. 
 
किफायतुल्लाह मलिक ने आवाज द वॉयस को बताया कि वे शुरुवात से ही टीम लीडिंग गतिविधीयों में सक्रिय रहे और उन्होनें ये भी देखा कि उनके साथ पढ़ने वाले ज्यादातर छात्रों ने स्कूल छोड़ दिया. हालांकि उन सभी की अपनी अलग-अलग वजह थीं. जैसे आर्थिक परेशानी या घरेलू सोच. जब वे कॉलेज गए तो उन्होनें अपनी जैसी विकासवादी सोच के लोगों से सम्पर्क कर शिक्षा से वंचित बच्चों की मदद करने की ठानी.
 
 
सामाजिकता 

किफायतुल्लाह मलिक कहते हैं कि "जब आपकी नियत साफ होती हैं, तो सभी आपकी मदद करने के लिए आगे आते हैं." ऐसा ही उनके साथ हुआ और लोगों ने उनकी मदद करनी शुरू की. क्राउड फंडिंग के जरिए उनके स्वयंसेवक मिशन को एक नई ऊर्जा मिली और उन्होनें छात्रों की पढ़ाई में मदद करनी शुरू की.
 
 
किफायतुल्लाह मलिक एक पर्वतारोही भी हैं उन्होनें अपनी इस रुचि का लाभ लेते हुए पहाड़ी क्षेत्रों में जाकर छात्रों की मदद करनी शुरू की. और अपने उन दोस्तों से किताबें एकत्रित की जिनकी पढ़ाई पूरी हो चुकी थी ताकि वो उन किताबों को जरुरतमंद बच्चों में वितरीत कर सकें.
 
किफायतुल्लाह मलिक स्वयंसेवी कार्य के अलावा,  REACHA (बागवानी और कृषि वानिकी के संरक्षण के लिए अनुसंधान और विस्तार संघ) के साथ एक जिला समन्वयक के रूप में भी काम कर रहे हैं, स्मार्टपुर परियोजना पर जिसके माध्यम से हम डिजिटल डिवाइड को ला रहे हैं और कश्मीर के दूर-दराज के क्षेत्र में जुड़े हुए लोगों को जोड़ रहे हैं.
 
REACHA सिर्फ एक संगठन नहीं है, यह हमारे देश के हर कोने में लोगों तक पहुँचने और सकारात्मक बदलाव लाने का एक मिशन है. 
 
 
योगदान

किफायतुल्लाह मलिक ने आवाज द वॉयस को बताया कि उनमें हमेशा से ही सामुदायिक सेवा के लिए जोश रहा है, उन्होंने अपनी यात्रा स्कूल के दिनों से ही शुरू कर दी थी. समुदाय की सेवा करने की उनकी प्रेरणा उनके अपने संघर्षों और स्कूल के दिनों में उनके सामने आई चुनौतियों से उपजी थी. उनका सपना था कि कोई और बच्चा उनके द्वारा झेली गई कठिनाइयों का सामना न करे, जिसके कारण वे सामाजिक कार्य के क्षेत्र में आए. 
 
 
सामुदायिक सेवा में उनकी यात्रा स्कूल से शुरू हुई और कॉलेज के वर्षों के दौरान गति पकड़ी जब उन्होंने उन लोगों से पुरानी किताबें एकत्र करना शुरू किया जिन्हें अब उनकी ज़रूरत नहीं थी और उन्हें उन छात्रों को वितरित करना शुरू किया जिन्हें उन्हें प्राप्त करने में कठिनाई होती थी. उनके प्रयास धीरे-धीरे बढ़ते गए और नए युवा और भावुक व्यक्ति उनके मिशन में शामिल हो गए और अब वे उन लोगों के लिए सकारात्मक बदलाव ला रहे हैं जिन्हें इसकी सबसे ज़्यादा ज़रूरत है. वे खुद एक पेशेवर पर्वतारोही हैं, वे बांदीपोरा के पहले उन्नत पर्वतारोही हैं.
 
 
उदेश्य
 
किफायतुल्लाह मलिक ने आवाज द वॉयस को बताया कि हमारा खास मकसद ड्राप आउट छात्रों की समस्याओं को समझकर उसका समाधान निकालने पर ज्यादा है. इसमें हमारी टीम के सभी मेंबर्स सक्रियता से प्रयासरत हैं. क्योंकि उनका मानना है कि यूथ्स ही हमारा भविष्य हैं और उनकी सोच और जिंदगी को बेहतर बनाया जाये तभी देश में बदलाव आएगा और हमारा कल्याण होगा.
 
 
किफायतुल्लाह मलिक ने आवाज द वॉयस को बताया कि शिक्षा के साथ-साथ दूर-दराज के इलाकों जैसे केट्सन, दाखी, डांगरनार, चिंचार, आदि गावों में जाकर उन्होनें अपनी टीम के साथ जागरूकता कैम्प्स का आयोजन भी किया. जिसमें महिला सशक्तीकरण, निशुल्क और लाभकारी सरकारी स्कीम्स और खास तोर पर पर्यावरणीय स्थिरता, ड्रग्स के दुरुपयोग पर जागरूकता के मुद्दे प्रमुखता से उठाए.
 
 
उपलब्धियाँ
 
किफायतुल्लाह का काम पर्यावरण संरक्षण, शिक्षा, नशा मुक्ति, जागरूकता पैदा करना, पर्यटन को बढ़ावा देना और मानवीय सहायता सहित विभिन्न क्षेत्रों में फैला हुआ है. उनके उत्कृष्ट योगदान के कारण उन्हें वर्ष 2021-2022 के लिए भारत की माननीय राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से सामाजिक कार्य और सामुदायिक कल्याण के लिए प्रतिष्ठित राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त हुआ.
 
 
 
इसके अतिरिक्त, किफायतुल्लाह को कई अन्य पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है, जिसमें जम्मू और कश्मीर के सामाजिक वानिकी विभाग से वृक्षारोपण के लिए सर्वश्रेष्ठ वन मित्र पुरस्कार शामिल है. मानवता का राजदूत पुरस्कार 2024, जो पूरे भारत में 10 अलग-अलग क्षेत्रों में हर साल 10 व्यक्तियों को दिया जाता है, 2024 में सामाजिक कार्य के लिए पुरस्कार किफायतुल्लाह मलिक को दिया गया.
 
वैश्विक मानवाधिकार पुरस्कार, ADG’s प्रशंसा पुरस्कार 2019 सहित कई अन्य पुरस्कार और मान्यताएँ. उनका लेख द इंडियन जर्नल मैगज़ीन में भी प्रकाशित हुआ.