एहसान फाजिली /श्रीनगर
रमजान के महीने में शेर-ए-कश्मीर इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस संक्षेप में एसकेआईएमएस मिशन रमजान मूड में है. यहां तकरीबन 1800 लोगों के बीच इफ्तार और सहरी की शक्ल में भोजन पैकेट बांटे जा रहे हैं. इसके लिए लगभग 15 स्वयंसेवकों को खास तौर से लगाया गया है. वी द हेल्पिंग हैंड्स फाउंडेशन (डब्ल्यूटीएचएचएफ) के ये युवा स्वयंसेवक इफ्तार और सहरी के खाने के पैकेट तीमारदारों और अन्य लोगों में वितरित करते हैं.
श्रीनगर के बाहरी इलाके में स्थित 700 बिस्तरों वाले इस अस्पताल में जरूरतमंद ज्यादा हैं.ऐसा पहली बार नहीं है. बल्कि एनजीओ के स्वयंसेवक भोजन तैयार करने और बांटने में लगभग पांच साल से लगे हुए हैं. हेल्पिंग हैंड्स फाउंडेशन के अध्यक्ष उमर वानी ने बताया, यह मुफ्त सेवा है.
हमने इस साल रात के खाने और सहरी के लिए भोजन तैयार करने के लिए दो वजा (कश्मीरी शेफ-रसोइया) लगाए हैं. विभिन्न लोग इस काम में नकद और सामान की शक्ल में सहायता कर रहे हैं. उमर वानी ने अवाज द वॉयस को बताया, हम सोशल मीडिया का सहारा लेते हैं. लोगों से बहुत अधिक प्रतिक्रिया मिल रही है. वे हमें रमजान के पूरे महीने निर्बाध रूप से सेवाएं जारी रखने में मदद कर रहे हैं.
वानी ने कहा, हर दिन हम 1800खाने के पैकेट तैयार करते बांटते हैं. इनमें 1200रात के खाने के लिए और 600इफ्तारी के लिए. सामान अस्पताल के अंदर बांटते हैं. उन्होंने कहा कि इफ्तार के लिए, रमजान का रोजा खोलने के लिए पानी की बोतलें, खजूर, केला और जूस भी मुहैया करा जा रहा है.
वानी ने कहा कि दैनिक आधार पर व्यंजनों की रेसिपी बदली जाती है. किसी दिन भोजन में मटन, चिकन तो किसी दिन पनीर, सब्जियां दी जाती हैं. एसकेआईएमएस घाटी और घाटी के बाहर से आने वाले रोगियों के तीमारदारों की मदद कर रहे हैं. अस्पताल आने वाले मरीजों में जम्मू के पुंछ,राजौरी और डोडा के लोगों की संख्या ज्यादा है.
लगभग चार साल पहले स्थापित किए गए एनजीओ के पूरी घाटी में 500से अधिक स्वयंसेवक हैं, जो जरूरतमंद और गरीब लोगों को विशेष रूप से रमजान के पवित्र महीने में मुफ्त सेवाएं प्रदान कर रहे हैं. 15से अधिक युवा स्वयंसेवकों का एक समूह हर तीन दिनों के लिए लगाया जाता है, जो अस्पताल में जरूरतमंदों को पैक भोजन-पानी उपलब्ध कराने में सक्रिय रहते हैं.
वानी ने बताया कि अस्पताल में जरूरतमंदों को भोजन उपलब्ध कराने के अलावा, संस्था ईद के त्योहार पर गरीबों और जरूरतमंदों को भोजन, आवश्यक वस्तुएं और उपहार भी देता है. इनमें किराना सामान, बेकरी, चिकन और अन्य आवश्यक सामग्री शामिल हैं.
उमर वानी, श्रीनगर के एक युवा व्यवसायी हैं, जो जरूरतमंदों की सेवा में लगे रहते हैं. वह बताते हैं कि 2017में रमजान के दौरान एक मरीज को देखने अस्पताल गए थे. तब महसूस हुआ कि दूर-दराज के इलाकों से आने वाले मरीजों के कई तीमारदारों को इफ्तारी और सहरी की जरूरत होती है.फिर उन्होंने अपने इस विचार को आकार दिया 2018 में.
उनकी टीम ने अस्पताल में इफ्तारी देना शुरू किया. उन्होंने कहा कि कई अन्य समूहों ने भी शहर के मध्य में होने वाले एसएमएचएस अस्पताल में ये सुविधाएं उपलब्ध करानी प्रारंभ कर दी. हेल्पिंग हैंड्स फाउंडेशन ने केवल एसकेआईएमएस पर ध्यान केंद्रित किया है. वानी ने कहा, हम अब पांचवें साल में हैं और रात के खाने के साथ सहरी के लिए भोजन की व्यवस्था कर रहे हैं.
वी द हेल्पिंग हैंड्स फाउंडेशन का मुख्य निकाय है जिसमें घाटी के सभी 10 जिलों में 500 से अधिक स्वयंसेवकों वाले छह सदस्य शामिल हैं. रमजान के पवित्र महीने के दौरान भोजन उपलब्ध कराने के अलावा, संस्था गरीब बच्चों की शिक्षा (किताबें और स्कूल की वर्दी जैसी सुविधाएं) और गरीब लड़के और लड़कियों के सामूहिक विवाह आयोजित करने के लिए भी क्षेत्र में जाना जाता है.
2019 में शुरू हुए सामूहिक विवाह कार्यक्रम के तहत संस्था अब तक 503 जोड़ों का विवाह करा चुकी है. वानी ने कहा, हम हर साल चार चरणों में लगभग 200 सामूहिक विवाह आयोजित करते हैं. वानी ने खुलासा किया कि पहला चरण इस साल जनवरी में आयोजित किया गया, जबकि और 61 और जोड़े रमजान के बाद शादी के बंधन में बंधेंगे.
वानी ने बताया कि संस्था कोविड-19के दौरान भी जरूरतमंदों के बचाव में काम कर चुकी है. मरीजों को उनके घर से अस्पताल लाने-ले जाने के लिए मुफ्त एम्बुलेंस सेवाएं प्रदान की थीं. उन्होंने कहा कि जब करीबी रिश्तेदार भी सामने आने को तैयार नहीं थे तब वे खुद मरीजों के साथ खड़े थे.
उन्होंने कहा कि कोविड की पहली और दूसरी लहर के दौरान जरूरतमंदों को भोजन भी उपलब्ध कराए गए. कोविड-19के दौरान कम से कम 5000 ऐसे फूड किट बांटे गए थे.संस्था का नेतृत्व करने वाला युवा व्यवसायी कश्मीर कला को समर्पित परिवार से संबद्ध है.यह परिवार पश्मीना, जामावर और कानी (शॉल) जैसे विभिन्न प्रकार के शॉल, निर्यात व्यवसाय, होटलों में डिस्पोजेबल सामग्री की आपूर्ति के लिए कश्मीर भर में जाना जाता है.
यह परिवार फ्रांस, जर्मनी, इटली और स्विट्जरलैंड जैसे यूरोपीय देशों में कश्मीर कला प्रदर्शनियों में भी नेता रहा है.