फरहान इसराइली/ जोधपुर
एक ऐसा दौर, जहां अक्सर स्वार्थ और लालच की खबरें सुर्खियाँ बनती हैं, वहीं जोधपुर के सोजती गेट इलाके में एक गरीब ऑटो चालक लाल मोहम्मद अब्बासी ने ऐसा काम किया है, जिसने न केवल शहर को गौरवान्वित किया, बल्कि इंसानियत, ईमानदारी और भरोसे की एक नई मिसाल भी कायम कर दी.
मामला क्या है?
घटना सोजती गेट क्षेत्र की है, जहां चमनपुरा निवासी ऑटो चालक लाल मोहम्मद को सड़क पर एक बैग पड़ा मिला.उन्होंने बिना देर किए उस बैग को सुरक्षित रख लिया.बैग में करीब18 तोले सोने के आभूषणऔर कुछ नकद राशि थी, जिसकी कुल कीमत लगभग20 लाख रुपयेआंकी गई है.
बैग किसका था और कैसे गिरा?
बैगकालू सिंहनामक व्यक्ति का था, जो कुड़ी भगतासनी क्षेत्र के निवासी हैं और घंटाघर क्षेत्र की एक दुकान पर काम करते हैं.
उनकी पत्नी को एक शादी समारोह में शामिल होना था, जिसके लिए उन्होंने बुड़किया स्थित मायके से गहने मंगवाए थे.कालू सिंह वह बैग लेकर बाइक से लौट रहे थे कि रास्ते में सोजती गेट के पास वह बैग उनकी बाइक से गिर गया.
जब उन्हें बैग के गिरने का अहसास हुआ, तो वे तुरंत सोजती गेट पुलिस चौकी पहुंचे और गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज करवाई.पुलिस ने तत्काल इलाके में तलाशी अभियान शुरू किया.
कैसे मिला बैग वापस?
इसी दौरान, पास ही केनई सड़क इलाके में ऑटो चला रहे लाल मोहम्मदने एक पुलिसकर्मी को बैग के बारे में बात करते सुना.
उन्हें महसूस हुआ कि यह वही बैग है जो उन्होंने उठाया था.बिना किसी हिचकिचाहट के, वेसीधे सोजती गेट पुलिस चौकीपहुंचे और वह बैग पुलिस की मौजूदगी में सही मालिक कालू सिंह को लौटा दिया.
लाल मोहम्मद ने बताया कि उन्होंने बैग को गिरा हुआ देखा और उसे तुरंत सुरक्षित रख लिया था.उन्होंने उस व्यक्ति का पीछा करने की भी कोशिश की, लेकिन पहचान नहीं हो सकी थी.
ईमानदारी का सम्मान
लाल मोहम्मद की इस अद्भुत ईमानदारी परसमाजसेवी संस्थाओं और स्थानीय लोगों ने उन्हें सम्मानित किया.टीपू सुल्तान सेवा संस्थान और ब्रदर ग्रुप की ओर से उन्हेंफूलमाला, राजस्थानी साफा और प्रशस्ति पत्रभेंट कर सम्मानित किया गया.
इस सम्मान समारोह में संस्था अध्यक्षसरफराज़ खानसहित वसीम अकरम, कासिम खान, मोहम्मद इसाक, शाहरुख, मुराद भाई सहित कई समाजसेवी मौजूद रहे.सरफराज़ खान ने कहा, "आज भी शहर में गंगा-जमुनी तहज़ीब जिंदा है.लाल मोहम्मद जैसे लोगों को सम्मान देना समाज की ज़िम्मेदारी है."
प्रशासन भी करेगा सम्मानित
पुलिस प्रशासन ने भी लाल मोहम्मद की ईमानदारी को सराहा है.अधिकारी उनके इस कदम को समाज में भरोसा बनाए रखने वाला मान रहे हैं और उन्हेंऔपचारिक रूप से सम्मानित करने की प्रक्रिया शुरूकी गई है.
एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा,"जब लालच और स्वार्थ हावी हो, ऐसे में लाल मोहम्मद जैसे लोग हमें उम्मीद देते हैं कि नैतिकता अब भी ज़िंदा है."
गरीबी नहीं, ज़मीर से होती है पहचान
लाल मोहम्मद एक साधारण ऑटो चालक हैं.उनकी आर्थिक स्थिति मजबूत नहीं है, लेकिन उन्होंने साबित कर दिया किईमानदारी का कोई मूल्य नहीं होता– वह दिल और चरित्र की बात है.उन्होंने न केवल 20 लाख के गहनों से भरा बैग लौटाया, बल्कि समाज को यह सिखाया किइंसानियत सबसे बड़ी पूंजी है.
“जो चीज़ हमारी नहीं, वो हमें क्यों रखनी चाहिए?” – लाल मोहम्मद अब्बासी
इस घटना ने जोधपुर को एक बार फिर इंसानियत और भरोसे का तोहफा दिया है.लाल मोहम्मद अब्बासी जैसे लोग समाज की वो नींव हैं, जिन पर आने वाली पीढ़ियाँ विश्वास और अच्छाई की इमारत खड़ी कर सकती हैं.