जेएमआई स्कूल के लेक्चरर हयात आलम नौसेना डॉकयार्ड के समुद्री प्रशिक्षण शिविर में

Story by  मलिक असगर हाशमी | Published by  [email protected] | Date 29-12-2024
JMI School lecturer Hayat Alam at the maritime training camp at Naval Dockyard
JMI School lecturer Hayat Alam at the maritime training camp at Naval Dockyard

 

आवाज द वाॅयस / नई दिल्ली

जामिया मिल्लिया इस्लामिया (जेएमआई) के स्कूल ऑफ एक्सीलेंस के लेक्चरर और तृतीय अधिकारी (एएनओ, जूनियर डिवीजन) हयात आलम ने हाल ही में 11 से 22 दिसंबर, 2024 तक मुंबई के प्रतिष्ठित नौसेना डॉकयार्ड में आयोजित 12 दिवसीय समुद्री प्रशिक्षण शिविर में भाग लिया. इस शिविर का आयोजन दास नौसेना इकाई, मुंबई द्वारा किया गया था, जिसका उद्देश्य नौसेना संचालन, प्रशिक्षण, और भारतीय नौसेना की कार्यप्रणाली की गहन समझ प्रदान करना था.

यह समुद्री प्रशिक्षण शिविर विशेष रूप से कैडेटों और एएनओ (एनसीसी के एसोसिएटेड एनसीसी ऑफिसर्स) को भारतीय नौसेना के कार्यों और संचालन की व्यावहारिक और सैद्धांतिक जानकारी देने के लिए डिजाइन किया गया. यह प्रशिक्षण उन कौशलों को विकसित करने पर केंद्रित था जो कैडेटों और अधिकारियों को भविष्य में समुद्री रक्षा और सुरक्षा के क्षेत्र में अपनी भूमिकाओं को और अधिक प्रभावी ढंग से निभाने में सक्षम बनाएंगे.

कार्यक्रम की मुख्य गतिविधियाँ

12 दिवसीय शिविर के दौरान, प्रतिभागियों को नौसेना के विभिन्न पहलुओं से परिचित कराने के लिए एक व्यापक कार्यक्रम तैयार किया गया. 
इसमें शामिल थीं:

जहाजों का दौरा:प्रतिभागियों ने भारतीय नौसेना के युद्धपोतों और अन्य जहाजों का दौरा किया. इस दौरान उन्हें जहाज के उपकरण, संचालन पद्धतियों और तकनीकी कार्यप्रणाली के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई.

जहाज पर प्रशिक्षण:शिविर के दौरान, प्रतिभागियों को नौसेना के विभिन्न प्रशिक्षण मॉड्यूल में भाग लेने का अवसर मिला। इस प्रशिक्षण ने उन्हें जहाज की संरचना, कार्यप्रणाली, और समुद्र में इसकी संचालन क्षमता को समझने में मदद की.

व्यावहारिक अनुभव:प्रशिक्षण का एक प्रमुख आकर्षण प्रतिभागियों को नौसेना कर्मियों के साथ सीधे संवाद और कार्य करने का मौका था। यह अनुभव उन्हें नौसेना की कार्य संस्कृति और अनुशासन को करीब से समझने का अवसर प्रदान करता है.

सैन्य कौशल और रणनीति: शिविर के दौरान, नौसेना के वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा विभिन्न व्याख्यान और कार्यशालाएँ आयोजित की गईं, जिनमें आधुनिक नौसेना रणनीति, समुद्री सुरक्षा और जहाज संचालन जैसे विषयों पर ध्यान केंद्रित किया गया.
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हयात आलम की भूमिका और योगदान

हयात आलम, जो जामिया मिल्लिया इस्लामिया में लेक्चरर होने के साथ-साथ एनसीसी (जूनियर डिवीजन) के एसोसिएट एनसीसी ऑफिसर भी हैं, ने इस शिविर में सक्रिय भागीदारी की. उनकी भागीदारी ने न केवल उनके व्यक्तिगत अनुभव और कौशल को बढ़ाया बल्कि उनके छात्रों और एनसीसी कैडेटों के लिए प्रेरणा का स्रोत भी प्रदान किया.

हयात आलम ने अपने अनुभव साझा करते हुए कहा, "यह प्रशिक्षण न केवल मेरे लिए बल्कि उन कैडेटों के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण है जिन्हें मैं प्रशिक्षण देता हूँ. यह शिविर नौसेना के कार्यों को समझने और उनके व्यावहारिक अनुप्रयोग को सीखने का एक अद्भुत अवसर था."

नौसेना प्रशिक्षण के व्यापक प्रभाव

यह प्रशिक्षण शिविर भारतीय नौसेना और एनसीसी इकाइयों के बीच मजबूत संबंध स्थापित करने का एक महत्वपूर्ण माध्यम है. यह कैडेटों और प्रशिक्षकों को नौसेना के आदर्शों, कार्यशैली, और देश की समुद्री सीमाओं की सुरक्षा में उनकी भूमिका को समझने में मदद करता है.

इस प्रकार के प्रशिक्षण कार्यक्रम न केवल प्रतिभागियों के व्यक्तिगत और पेशेवर विकास में सहायक हैं, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा और सामरिक मामलों में जागरूकता बढ़ाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. हयात आलम जैसे समर्पित अधिकारियों की भागीदारी यह सुनिश्चित करती है कि नई पीढ़ी के कैडेटों को प्रेरणा और सही दिशा मिले.

नौसेना डॉकयार्ड मुंबई में आयोजित यह 12 दिवसीय समुद्री प्रशिक्षण शिविर न केवल प्रशिक्षण का एक माध्यम था, बल्कि यह राष्ट्रीय सेवा और अनुशासन की भावना को मजबूत करने का एक प्रयास भी था. हयात आलम और अन्य प्रतिभागियों के प्रयास इस दिशा में एक बड़ा कदम साबित होंगे, जो भारत की सुरक्षा और रक्षा को नई ऊँचाइयों पर ले जाएंगे..