जश्न-ए-रेख़्ता 2023: उस्ताद सुल्तान खान के सितार और साबरी ब्रदर्स की कव्वाली पर झूम उठे लोग

Story by  मोहम्मद अकरम | Published by  [email protected] | Date 11-12-2023
Jashn-e-Rekhta 2023: People danced to Ustad Sultan Khan's sitar and Sabri Brothers' qawwali.
Jashn-e-Rekhta 2023: People danced to Ustad Sultan Khan's sitar and Sabri Brothers' qawwali.

 

मोहम्मद अकरम / नई दिल्ली

इन दिनों दिल्ली के ध्यानचंद्र स्टेडियम में जश्न ए रेख़्ता का जश्न अपने शबाब पर हैं, जिसका दिल्ली वासियों को महीनों इंतजार होता हैं. तीन दिवसीय के दूसरे रोज कव्वाली, किस्सा गोई, मुशायरा वगैरह पेश किया गया जिसका लोगों ने जी भी के आनंद लिया.

वही, महफिल ए खाना में जैसे ही महान उत्तर भारतीय शास्त्रीय संगीतकारों में से एक माने जाने वाले ग्रैमी-नामांकित सितार वादक उस्ताद शुजात हुसैन खान ने कृष्ण बिहारी नूर की नज्म पढ़ा कि हजारों लोगों तालियों से स्वागत किया-
 
ज़िंदगी से बड़ी सज़ा ही नहीं
और क्या जुर्म है पता ही नहीं

इतने हिस्सों में बट गया हूँ मैं 
मेरे हिस्से में कुछ बचा ही नहीं 

ज़िंदगी मौत तेरी मंज़िल है 
दूसरा कोई रास्ता ही नहीं

उस्तान शुजान हुसैन ने कहा कि पूरी दुनिया में पढ़ने के लिए जाता हूं लेकिन रेख़्ता में जो प्यार मिलता है वह दूसरी जगह नहीं मिलता-
 
अल्लाह के वलियों का जिस दर से तअल्लुक है
अपना भी उसी दर के टुकरों पे गुजारा है

दूसरी तरफ दयार ए इज़हार के प्रांगण में वरुण गरुवीर, स्वानंद किरकिर और नग़मा सहर ने हमारे नगमों की जान है उर्दू पेश किया. सुखन जार के प्रांगण में खुली निश्त फॉर उर्दू पॉटरी का आयोजन किया गया जिसमें जामियां मिल्लियां इस्लामिया, जवाहर लाल नेहरु यूनिवर्सिटी, दिल्ली यूनिवर्सिटी के छात्रों ने हिस्सा लिया और गीत, गजल पेश किया. 
 
बज्म ए ख्याल के प्रांगण में उर्दू और हिन्दी के कुरबतें (नजदिकयां) और फासले के विशष पर गीतांजली श्री, रहमान अब्बास ने खुल कर बातें रखीं और कहा कि उर्दू और हिन्दी के दरमियान भाई बहन- मामी और मौसी का रिश्ता है. दोनों के बगैर हम एक दिन भी लोगों के बीच नहीं रह सकते हैं. 
 
शुखन ज़ार के प्रांगण में इश्क का सफर विषय पर आमिर अजहर खान ने अब तक के तर्जुबे को बयां किया जिसे लोगों ने सराहा.आवाज़ों का नया आसमान के विषय पर शहनाज़ मुजीब, मानसा, डॉ. हैदर सेफ और कुशाग्र जोशी की सिंगिंग परफॉर्मेंस ने बातें पेश की. सुर, साज, सितार पर शुजात खान द्वारा सितार वादन, तर्जुमा हासिल और ला हासिल अनुवाद पर याकूब यावर विषय पर अतहर फ़ारूकी, नसीब खान, माजबान बिलाल की खास बातचीत हुई.
 
किस्सा गोई, जिसमें सलीम शाह ने उर्दू की खोई कहानी पेश किया. इश्क़ का सवाद नामा विषय पर आमिर अजहर ने शिरकत की. कहानी के किरदार तक उर्दू के सौंदर्य पर सुधीर मिश्रा, अनुराग कश्यप के साथ आतिका फारूकी की खास बातचीत हुई. तान की तहरीरें पर फेमिनिस्ट राइटिंग पर सरवत खान, शहनाज़ नाबी, नईमा जाफरी, शगुफ्ता यास्मीन के साथ  करेंगे बात की गई. रहमान खान द्वारा हुमारबाज नाटक की प्रस्तुति की गई.
 
देर शाम साबरी ब्रोडर्स ने कव्वाली पेश कर महफिल को याद और रंग मंच बना दिया.--छाप तिलक सब छीनी रे मोसे नैना मिलाइके