जश्न-ए-रेख्ता: उर्दू और तकनीक के संगम का अनोखा उत्सव शुरू

Story by  एटीवी | Published by  [email protected] | Date 15-12-2024
Jashn-e-Rekhta: A unique celebration of the confluence of Urdu and technology begins
Jashn-e-Rekhta: A unique celebration of the confluence of Urdu and technology begins

 

आवाज़ द वॉयस / नई दिल्ली

रेख्ता फाउंडेशन द्वारा आयोजित 9वां जश्न-ए-रेख्ता राजधानी दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम में धूमधाम से शुरू हुआ. यह सिर्फ एक उत्सव नहीं, बल्कि उर्दू के प्रति जुनून का प्रतीक है, जिसमें तकनीक के साथ साहित्य को जोड़ने का प्रयास बेहद सफल साबित हो रहा है.

रेख्ता फाउंडेशन के संस्थापक संजीव सराफ ने उद्घाटन समारोह के दौरान कहा, "हम साहित्य में सभ्यता पाते हैं और इसे संरक्षित करना हमारा दायित्व है. नई पीढ़ी को साहित्य से जोड़ने के लिए हमने हिंदी साहित्य के लिए hindvi.com, सूफी साहित्य के लिए सूफीनामा जैसे प्लेटफॉर्म शुरू किए हैं.

इसके साथ ही राजस्थानी और गुजराती भाषाओं के लिए भी इसी तरह की पहल की जा रही है."इस अवसर पर, रेख्ता फाउंडेशन ने साहित्यिक किताबों की बिक्री और प्रकाशन को प्रोत्साहित करने के लिए रेख्ता बुक्स डैम नामक एक नई वेबसाइट लॉन्च की.

जश्न की महफिल और शुभकामनाएं

उद्घाटन समारोह में मशहूर शायर और लेखक जावेद अख्तर ने जश्न-ए-रेख्ता की सराहना करते हुए कहा, "उर्दू और हिंदी में बस लिखावट का फर्क है; हमें भाषाओं के प्रति खुले दिल और दिमाग से सोचना चाहिए."

कार्यक्रम की शुरुआत दीया जलाकर की गई. इसके बाद ग़ज़ल, सूफी संगीत, कव्वाली, और कविता की महफिलों ने सर्द मौसम में राजधानी को एक खास रंग में रंग दिया. इस तीन दिवसीय उत्सव का आयोजन रेख्ता फाउंडेशन की ट्रस्टी और क्रिएटिव डायरेक्टर हुमा खलील ने किया है, जिसमें 200 से अधिक कलाकार अपनी कला का प्रदर्शन करेंगे.

— Awaz-The Voice URDU اردو (@AwazTheVoiceUrd) December 13, 2024

महंगा लेकिन हिट जश्न

शुरुआत में यह उत्सव उर्दू के प्रचार-प्रसार के लिए निशुल्क था. लेकिन अब टिकटों के माध्यम से इसका आयोजन किया जा रहा है. इस बार टिकटों की कीमत एक दिन के लिए न्यूनतम ₹499 और तीन दिन के गोल्डन पास के लिए ₹9000 रखी गई है, जबकि प्लेटिनम पास की कीमत ₹22,500 है..

हालांकि, महंगे टिकटों के बावजूद, यह महोत्सव इतनी लोकप्रियता हासिल कर चुका है कि सभी टिकट दस दिन पहले ही बिक चुके हैं. आयोजकों का कहना है कि इस आयोजन का उद्देश्य केवल कला और संस्कृति को बढ़ावा देना ही नहीं, बल्कि उर्दू भाषा और साहित्य के महत्व को भी नई पीढ़ी तक पहुंचाना है.

इस बार के जश्न-ए-रेख्ता में उर्दू साहित्य, संगीत, नृत्य और कला के विभिन्न आयामों का अनूठा प्रदर्शन देखने को मिलेगा. इसमें ग़ज़ल, सूफी संगीत, मुशायरा और कविता जैसे दिलचस्प कार्यक्रम शामिल हैं, जो इसे कला और संस्कृति का एक अद्वितीय संगम बनाते हैं.



Rekhta App: Another gift to Urdu lovers
इतिहास-संस्कृति
Rekhta: A story beyond the website
इतिहास-संस्कृति
Astrology in Islamic Viewpoint
इतिहास-संस्कृति