बासित जरगर /श्रीनगर
कश्मीर घाटी में 'एंकर झील' के ठंडे पानी में डूबे इरशाद खान, अपने परिवार की जीविका के लिए कमल के डंठल तोड़ने का कठिन कार्य करते हैं.झील के पानी में घंटों बिताकर, इरशाद एक हाथ से नाव पकड़कर संतुलन बनाए रखते हैं और दूसरे हाथ से पानी के भीतर से कमल के डंठल तोड़ते हैं. डंठलों को तोड़ने के बाद, वे उन्हें साफ कर गुच्छों में बांधते हैं और बाजार में बेचते हैं.
कश्मीर में कमल का तना, जिसे स्थानीय भाषा में "नद्रु" कहा जाता है, एक बेहद लोकप्रिय सब्जी है. इसका उपयोग पारंपरिक कश्मीरी व्यंजनों में विशेष अवसरों पर किया जाता है. मलाईदार सफेद रंग और छिद्रयुक्त बनावट वाला यह तना 4 फीट से अधिक लंबा होता है.
पढ़ाई छोड़ मजबूरी में चुना ये पेशा
इरशाद खान, जो गरीबी और पारिवारिक समस्याओं के कारण 10वीं कक्षा से आगे नहीं पढ़ सके, पिछले 15 वर्षों से यह कार्य कर रहे हैं. उन्होंने बताया, "नद्रु की बिक्री मेरे परिवार का पेट पालने का एकमात्र जरिया है."
कमल का तना कश्मीर घाटी की एक खासियत है. इसे डल झील, वुलर झील, मानसर झील और अन्य जलाशयों के उथले हिस्सों में उगाया जाता है. हालांकि, यह महंगा व्यंजन है, लेकिन कश्मीरी इसे बहुत पसंद करते हैं. घाटी में इसका इस्तेमाल मुख्य रूप से तने और बीज तक सीमित रहता है.
कड़ी मेहनत और देखभाल का काम
इरशाद बताते हैं कि नद्रु के बगीचों को सालभर देखभाल की जरूरत होती है. खासकर गर्मियों में. पानी को साफ रखना और सड़े हुए पत्तों व शैवाल को हटाना जरूरी होता है. सितंबर-अक्टूबर में बगीचों को बिना देखे छोड़ दिया जाता है ताकि फसल बढ़ सके। ठंड का मौसम आते ही कमल की खेती शुरू हो जाती है.
कमाई और पोषण
इरशाद नद्रु के गुच्छे को 200 से 350 रुपये में बेचते हैं. पोषण विशेषज्ञों के अनुसार, कमल के तने में पोटेशियम, फास्फोरस, तांबा, लोहा, मैंगनीज, विटामिन बी6, सी और फाइबर जैसे पोषक तत्व होते हैं..
कश्मीरी व्यंजनों में नद्रु का महत्व
नद्रु से कई लोकप्रिय कश्मीरी व्यंजन बनाए जाते हैं, जैसे नादर-मोंजे (फ्रिटर्स), कटलेट और चिप्स. नद्रुयाखनी, जिसे नवरोज़ पर विशेष रूप से पकाया जाता है. मूंग दाल या मछली के साथ तैयार किया जाता है. यह कश्मीरी भोजन का अभिन्न हिस्सा है.
कमल के तने की खेती कड़ी मेहनत और समर्पण की मांग करती है, लेकिन इसके जरिए इरशाद जैसे लोग अपनी आजीविका चला रहे हैं, जो घाटी की सांस्कृतिक और पारंपरिक विरासत को भी जीवित रखे हुए हैं.