नूंह दंगे की इंसाइट स्टोरी: जानिए, रमजान चौधरी ने दंगाइयों से कैसे बचाई मैजिस्ट्रेट अंजलि जैन और उनकी आठ साल की बेटी की जान
मलिक असगर हाशमी / नूंह
अधिकवक्ता और मेवात के चर्चित समाज सेवी रमजान चौधरी 31 जुलाई के उस पल को याद करके आज भी सिहर उठते हैं. बातचीत में कहते हैं, ‘‘शहर में शोर-शराबे की जानकारी मिलते ही मैं कोर्ट से निकलने ही वाला था कि अचानक जिला सत्र न्यायाधीश सुशील गर्ग अदालत से उठकर चैंबर में चले गए. तब दिन का करीब 1ः 35 बज रहा था.
रमजान चौधरी ‘आवाज द वाॅयस’ से बातचीत में नूंह दंगे वाले दिन को याद कर कहते हैं, जिला सत्र न्यायाधीश के अचानक अदालत से उठते ही उनका चपरासी गाड़ी निकालने के लिए बाहर भागा. वहां से लौटा तो उनके पास आया और बोला कि आपको जज साहब बुला रहे हैं.
रमजान चौधरी ने बताया कि अंदर चैंबर में पहुंचने पर देखा कि जिला सत्र न्यायाधीश के माथे पर शिकन है. परेशान नजर आ रहे थे. रमजान चौधरी को देखते ही कहने लगे,‘‘ मजिस्ट्रेट अंजलि जैन नल्हड़ अस्पताल के पास अपनी आठ साल की बेटी के साथ दवाई लेने गई हैं. उन्हें दंगाइयों ने चारों तरफ से घर लिया है. जान बचाकर वह रोडवेज की वर्कशॉप में छुप गई हैं. आप उन्हें किसी तरह बचाकर निकाल लाइए.
रमजान चौधरी ने बताया कि यह सुनने ही उनके भी हाथ-पैर फूल गए. फिर उन्हें याद आया कि उनका एक मित्र जुबैर वर्कशॉप के पास ही रहता है. उनके घर और वर्कशॉप की दीवार बिलकुल सटी हुई है. रमजान चौधरी ने उन्हें तुरंत फोन मिलाया और सारी बातें बताकर उनसे आग्रह किया कि किसी भी तरह मैजिस्ट्रेट अंजलि जैन और उनकी बेटी को दंगाइयों से सुरक्षित वर्कशॉप से निकाल लाएं.
रमजान चौधरी ने बताया कि उनके दोस्त जुबैर तुरंत ही अपनी छत्त पर चार-छह लोगों को लेकर पहुंच गए. मजिस्ट्रेट अंजलि जैन को आवाज देकर हौसला दिया कि घबराएं नहीं, आप सुरक्षित हैं. हम लोग आपकी रखवाली कर रहे हैं. इसके साथ ही उन्होंने एक लंबी लकड़ी की सीढ़ी नीचे वर्कशाॅप में डाली ताकि मैजिस्ट्रेट अंजलि जैन, उनकी पुत्री और उनका पीएसओ सुरक्षित उपर आ जाएं.
रमजान चौधरी बताते हैं कि उस वक्त का शहर का माहौल देखकर अंजलि जैन को सहसा विश्वास नहीं हुआ. उन्होंने अपने पीएसओ के मोबाइल से जिला अदालत में बात करनी चाही, मगर वहां कोई मौजूद नहीं होने के कारण उनकी किसी से बात नहीं हो पाई. तब उन्होंने सीढ़ी चढ़कर जुबैर की छत्त पर जाने से मना कर दिया.
रमजान चौधरी आवाज द वाॅयस से बातचीत में बताते हैं कि उनके दोस्त जुबैर ने फोन पर सारी बातें उन्हें बताईं, जिसकी जानकारी उन्होंने फोन से जिला सत्र न्यायाधीश गर्ग साहब को दे दी.इतना सुनकर जिला सत्र न्यायाधीश ने उनसे ही आग्रह किया कि वह ही वहां चले जाएं और उन्हें निकाल लाएं.
रमजान चौधरी बताते हैं कि उस समय सड़क पर जैसे हालात थे, बाहर निकलना मुनासीब मोल लेना था. इसके बावजूद जब वह अपनी गाड़ी से रोडवेज वर्कशाॅप की तरफ बढ़े तो पूरा शहर दंगाईयों के हवाले था. हर तरफ मार-काट मची थी.
सड़कों पर गाड़ियां जल रही थीं. कहीं कोई पुलिस वाला नहीं था. इस बीच कुछ लोग लाठी-डंडा लेकर उनकी गाड़ी के आसपास आ गए. रमजान चौधरी को वापस जाने को कहा गया. इसपर उनकी दंगाइयों के साथ कुछ देर तक बहस भी हुई. रमजान चौधरी कहते हैं कि उनके आक्रामक तेवर देखकर एक समय तो उन्हें भी लगने लगा था कि अब शायद बचकर घर न लौट पाएंगे.
इस बीच भीड़ में से किसी ने उन्हें पहचान लिया और उन्हें आगे जाने दिया.रमजान चौधरी बताते हैं कि वह जब वर्कशाॅप के पास पहुंचे तो उसके आगे भीड़ लगी हुई थी. इसी बीच उनके दोस्त जुबैर भी अपने कुछ पड़ोसियों के साथ वहां डटे नजर आए. रमजान उनके साथ वर्कशॉप के अंदर गए.
मजिस्ट्रेट अंजलि जैन और उनकी पुत्री से मिले. उन्हें ढाढस बंधाया. फिर उनकी जिला सत्र न्यायाधीश से फोन पर बात करवाई. अंजलि जैन को जब इत्मीन हो गया कि वो सुरक्षित हाथों में हैं तो उन तीनों को सीढ़ी के जरिए जुबैर की छत्त पर उतारा गया. फिर गलियों से लेकर वे अधिवक्ता मुजीब के घर पहुंचे.
रमजान बताते हैं कि मुजीब एडवोकेट के घर मैजिस्ट्रेट अंजलि जैन, उनकी आठ वर्षीय पुत्री और उनके पीएसओ को जल-पान कराया गया. इस बीच एडीजी ममता सिंह को फोन पर सारी जानकारी दी गई.ममता सिंह से बातचीत के दौरान अंजलि जैन ने बताया कि कैसे रमजान चैधरी और उनके अधिवक्ता साथियों ने उनकी और उनकी बेटी की जान बचाई. यदि वे नहीं आगे आते तो आज उनका बचना मुश्किल था.
इसके बाद एक गाड़ी पर मैजिस्ट्रेट अंजलि जैन, उनकी बेटी और उनके पीएसओ को बैठाया गया. ड्राइविंग सीट खुद रमजान चौधरी ने संभाली और उन्हें उनके घर तक छोड़ा गया.31 जुलाई की घटना को याद कर रमजान चैधरी कहते हैं कि वह दिन मेवात के लिए अब तक का सबसे बुरा दिन था.
साथ ही वह यह भी कहते हैं कि उसके बाद पुलिस प्रशासन ने जो किया वह भी कुछ ठीक नहीं था. उन्होंने शिकायती लहजे में कहा कि जिन घरों में रहने वालों ने लोगों की जान बचाई उनके घर भी बुल्डोजर से तोड़ दिए गए.
उन्होंने कहा कि कजरिया टाइल के मालिक का भी मकान ढहा दिया गया, जबकि उन्होंने दो अधिकारियों को दंगाइयों से बचाने के लिए अपने घर में पनाह दी थी. उन दोनों अधिकारियों ने इस बारे में गवाही भी दी है, पर किसी ने उनकी नहीं सुनी. उन्होंने बताया कि मजिस्ट्रेट अंजलि जैन ने अपने साथ जो कुछ हुआ उसको लेकर एक एफआईआर दर्ज कराई है, जिसमें उनकी जान बचाने में वकीलों की भूमिका का जिक्र किया गया है.