मोहम्मद अकरम / नई दिल्ली
21 वीं सदी में पूरी दुनिया बदल गई है हमें भी बदलना होगा. भारत में मुसलमान सदियों रह रहा हैं उस समय भी इस्लाम को कोई खतरा नहीं था और नहीं आज के वक्त में खतरा है. भारत एक सेकुलर देश है. इस्लाम ने हमेशा राष्ट्र के निर्माण पर जोर दिया है.
जब भारत पर अंग्रेजों का शासन था तो उस समय 21 वीं हमसे मन में आधुनिकता पैदा करना चाहती है. उन्होंने ने आगे कहा कि अल्लाह ने नहीं हमने धर्मों में लोगों को बांट दिया है. यह बातें दिल्ली के इंडिया इस्लामिक कल्चरल सेंटर में खुसरो फाउंडेशन की तरफ से आयोजित 21 वीं सदी में आधुनिकता का अर्थ (The Meaning of Modernity in 21st Century) को संबोधित करते हुए राजनेता और मशहूर लेखक एमजे अकबर ने कहीं.
उन्होंने कहा कि हमारा देश साझा संस्कृति वाला देश हैं. जब होली निकलता था तो उसमें मुसलमान भी खेलते थे, नवाज मुर्सिबादी लोगों के साथ होली खेलते थे, हमने उसे धर्म के आईने देखने लगे. हिजाब को हमें कोई मसला नहीं बना कर आगे बढ़ना चाहिए.
देश की स्वतंत्रता आंदोलन में मुसलमानों का जिक्र करते हुए कहा कि पहली बार किसी मुस्लिम धर्मगुरु ने अंग्रेजों के खिलाफ मुसलमानों के लिए दार उल हर्ब (जंग का मैदान) करार दिया था. शाह वलीउल्लाह के बेटे शाह अब्दुल अजीज ने दारुल हर्ब करार दिया था.
एमजे अकबर ने आगे कहा कि हिन्दू और मुसलमानों के बीच में कोई अंतर नहीं है, ये 21वीं सेंचुरी का भारत है. कोई मजहब से नहीं वतन से बनती है.
अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर प्रो. तारिक मंसूर ने अध्यक्षीय भाषण में कहा कि हमारा देश अनेकता में एकता वाला देश है. यहां सभी धर्म के लोग आपसी मेल मुहब्बत से सदियों से रहते हुए आए हैं.
प्रोग्राम का संचालन खुसरो फाउंडेशन के चेयरमैन प्रो. अख्तरुल वासे ने नौजवानों पर जोर देते हुए कहा कि 21 वीं सदी में उनका भविष्य कैसा होगा ये उनके ऊपर बहुत बड़ी जिम्मेदारी है.
इससे पहले खुसरो फाउंडेशन की तरफ से प्रकाशित हुए दो किताब हिन्दी अदब में मुस्लिम अदीबों का हिस्सा और मुस्लिम उलेमा का मुताला ए हिन्दू धर्म का विमोचन किया.