इस्लाम में पारिवारिक मूल्यों का महत्व: सेमिनार में रिश्तों को संभालने का आह्वान

Story by  मोहम्मद अकरम | Published by  [email protected] | Date 31-10-2024
Importance of family values ​​in Islam: Call to take care of relationships in the seminar
Importance of family values ​​in Islam: Call to take care of relationships in the seminar

 

मोहम्मद अकरम /नई दिल्ली

 पारिवारिक मूल्य वह सिद्धांत और आचरण हैं जिन्हें पीढ़ी दर पीढ़ी समाज में आगे बढ़ाया जाता है. इस्लाम धर्म ने पारिवारिक मूल्यों को विशेष महत्व देते हुए इन्हें कुरान और हदीस में स्पष्ट किया है. इसी संदर्भ में, ओखला के अबुलफजल में "पारिवारिक मूल्य और युवाओं की भूमिका" पर आयोजित एक सेमिनार में, अल निकाह मिन सुनती की अध्यक्ष मेहर आगा ने अपने विचार साझा किए.

 उन्होंने कहा कि वर्तमान में समाज पश्चिमी संस्कृति को तेजी से अपना रहा है, और ऐसे में मुस्लिम समाज को अपने पारिवारिक मूल्यों को संरक्षित रखना महत्वपूर्ण है.मेहर आगा ने बताया कि इस्लाम में परिवार के प्रत्येक सदस्य के लिए निर्देश दिए गए हैं, जिनमें लड़की का ससुराल में आचरण, बच्चों की देखभाल और समाज में रहने का तरीका सम्मिलित है.

उन्होंने महिलाओं से आग्रह किया कि वे इन पारिवारिक मूल्यों पर ध्यान देकर समाज में सकारात्मक बदलाव ला सकती हैं.


semminar
तलाक और पारिवारिक विघटन पर चिंता

मेहर आगा ने समाज में तलाक और परिवारिक विघटन के बढ़ते मामलों पर भी चिंता जताई. उन्होंने कहा कि इस्लाम ने विवाह के बाद के रिश्तों को मजबूत रखने के लिए मार्गदर्शन दिया है, परंतु आज छोटी-छोटी बातों पर रिश्ते टूट रहे हैं. इनसे समाज में पारिवारिक व्यवस्था प्रभावित होती है, और पीढ़ियाँ अस्थिर हो जाती हैं.

शादी के सही समय पर ध्यान देने का आग्रह

उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि माता-पिता को अपने बेटों की शादी उस समय कर देनी चाहिए जब वे वयस्क हो जाएं, ताकि परिवारिक ढांचा मजबूत हो सके. उन्होंने यह भी बताया कि शिक्षा का महत्व है, लेकिन शादी की उम्र में देर से शादी करने के कारण कई बार परिवार में अस्थिरता उत्पन्न हो जाती है. इसीलिए, शिक्षा प्राप्त करते समय परिवारिक जिम्मेदारियों का भी ध्यान रखा जाना चाहिए.

माता-पिता की सेवा में जन्नत का मार्ग

मेहर आगा ने इस्लाम में माता-पिता की सेवा के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि मां के पैरों के नीचे जन्नत है, और उनके बुढ़ापे में उनकी देखभाल करना संतानों की जिम्मेदारी है. उन्होंने कहा कि यदि परिवार में माता-पिता प्रसन्न रहेंगे, तो ही पूरा परिवार सुखी और संतुलित रह सकेगा.

समय पर विवाह न होने से उत्पन्न समस्याएँ

उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि मुस्लिम समाज में लड़कियों की शादी के सही समय पर न होने से पारिवारिक तनाव बढ़ता जा रहा है. उच्च शिक्षा के नाम पर लड़कियाँ शादी में देरी करती हैं, जिससे रिश्तों में दूरियां बढ़ जाती हैं. उन्होंने लड़कियों से अपील की कि वे बिना दहेज और लेन-देन की शादी करें और अपने माता-पिता का सम्मान बनाए रखें.


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पैगंबर ﷺ की जीवनी और कुरान का अध्ययन करें

 सेमिनार में बी अम्मा फाउंडेशन की संस्थापक शाहीन कौसर ने पैगंबर ﷺ की शिक्षाओं का महत्व बताया. उन्होंने कहा कि इस्लाम ने मानवता, सेवा और परिवार के महत्व को रेखांकित किया है और मुस्लिम समाज को इसे पढ़कर समझने की आवश्यकता है.

जामिया मिल्लिया इस्लामिया की छात्रा जुबिना नाज़ ने भी अपने भाषण में कुरान और हदीस के मार्ग पर चलने की बात कही. सवाल उठाया कि अगर दूसरे धर्म के लोग इस्लाम को समझकर आगे बढ़ रहे हैं तो हमारा समाज पीछे क्यों जा रहा है? इसका उत्तर कुरान को समझने और अध्ययन करने में ही निहित है.

सेमिनार की शुरुआत कुरान की आयत से हुई, जिसे डॉ. इलयास ने पढ़ा. अंत में, सुप्रीम कोर्ट के वकील असलम अहमद ने सभी का धन्यवाद किया और पारिवारिक मूल्यों को समाज में बढ़ावा देने का आह्वान किया.