ढाई क्विंटल की ‘ कुरान ए करीम’ देखनी हो तो जयपुर आइए

Story by  फरहान इसराइली | Published by  [email protected] | Date 18-03-2024
If you want to see 'Quran-e-Kareem' worth two and a half quintals, then come to Jaipur.
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फरहान इसराइली / जयपुर

मजहब-ए-इस्लाम के पाक माह ए रमज़ान में जयपुर का रवींद्र मंच गंगा-जमुनी तहजीब का संगम बना हुआ है.दुनिया की सबसे बड़ी कुरान ए करीम जयपुर के रवींद्र मंच की हीरक जयंती के अवसर पर आयोजित चार दिवसीय रंग उत्सव में प्रदर्शित की जा रही है.दावा है कि यह दुनिया की सबसे बड़ी कुरान शरीफ है.

इसे देखने के लिए दूर-दूर से लोगों की भीड़ उमड़ रही है.कुरान की खासियत यह है कि इसे जर्मनी की स्याही का इस्तेमाल कर दो सालों की कड़ी मेहनत से तैयार किया गया है.टोंक निवासी मौलाना जमील और उनके पूरे परिवार ने इसे तैयार किया है.

जयपुर के सांगानेरी प्रिंट से बनी इस ढाई क्विंटल की कुरान की लंबाई करीब 10.5 फीट और चौड़ाई 7.6 फीट है, जिसे उठाने के लिए 20-25 लोगों की जरूरत पड़ती है.

big quran

इसको पढ़ने के लिए सीढ़ी की जरूरत पड़ती हैं.64 पेज की इस कुरान में 30 वर्ग हैं और हर वर्ग की डिजाइन भी अलग व अनूठी है.वही हैंडमेड पेपर से 18 सीट को जोड़कर एक पेज बनाया गया है.हर पेज पर 41लाइने लिखी हुई हैं.जिसमें हर लाइन को अलिफ से शुरू किया गया है, जिसे जर्मनी की स्याही से लिखा गया हैं.

कुरान को बनाने वाले मौलाना जमील अहमद ने awaz the voive.inको बताया कि ख्वाजा बाघ सेवा डिस्ट्रिक्ट, चित्तौड़गढ़ के जनाब हाजी मोहम्मद शेर खान साहिब की देखरेख में उनके परिवार के सभी सदस्यों ने मिलकर इसे 2साल में तैयार किया हैं.

इसके हर पेज पर अलग-अलग फ़ूलों की नकाशी की गई है.कुरान के हाथ से बने पेजो का निर्माण भारत में विशेष देखभाल के साथ किया गया है.साथ ही इस्तेमाल की गई स्याही जर्मनी से लाई गई थी.सभी वरक़ों में 41लाइनें है जिसको नस्ख़ शैली में लिखा गया है.

इस कुरान मजीद की खासियत के बारे में मौलाना जमील अहमद ने बताया, “इस पाक कुरान की हर लाइन अरबी के अलिफ अक्षर यानि लफ्ज से शुरू होती है, इसलिए इसे अल्फ़ी कुरआने करीम भी कहते हैं.

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“इस कुरान शरीफ के हर पेज में 41लाइनें हैं.जिल्द पर चांदी के कोने और गोल्डन प्लेट लगी हुई है.खोलने और बंद करने के लिए पीतल के कब्जों का इस्तेमाल किया गया है.कुरान शरीफ के एक पेज को पलटने में या खोलने में 2शख्स को लगना पड़ता है.इसकी जिल्द खोलने के लिए 6लोगों की जरूरत होती है.

मौलाना जमील अहमद का दावा है, “यह हाथ से लिखी हुई दुनिया की सबसे बड़ी और भारी कुरान मजीद है.इसका डिजाइन भी कम्प्यूटर से नहीं, बल्कि हाथ से बनाया गया है.कागज भी हैंडमेड हैं, जो जयपुर ई सांगानेर में बने हैं.

“इसे लिखने वाले टोंक के ही गुलाम अहमद हैं.इस कुरान मजीद को तैयार करने में मौलाना जमील की बेटियों ने अपने भाइयों, चाचा के साथ मिलकर लिखा और सजाया है.

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 मौलाना जमील अहमद बताते हैं कि वर्ष 2012 में इसे बनाना शुरू किया था, जो 22 जनवरी 2014 को तैयार हुई थी.तब से इस टोंक शहर के अरबी फारसी शोध संस्थान ( APRI)  में रखा गया है.

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10 साल में पहली बार इसे टोंक शहर से बाहर लाया गया है.उनके भाई ने इस कुरान को हाथ से लिखा, बेगम और बेटों ने कागज को काटा और जोड़ा, बेटियों ने इसमें रंग भरे हैं.

सभी पेजों पर अलग-अलग फूलों की नक्काशी की गई है.इसमें इस्तेमाल की गई स्याही जर्मनी से लाई गई थी.कवर पर शीर्षक 'कुरान ए करीम' चांदी से अंकित किया है.

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