कर्नाटक के हिरेबिदानूर में मुस्लिम नहीं हिंदू मनाते हैं मुहर्रम !

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  onikamaheshwari | Date 23-07-2023
 कर्नाटक के हिरेबिदानूर में मुस्लिम नहीं हिंदू मनाते हैं मुहर्रम !
कर्नाटक के हिरेबिदानूर में मुस्लिम नहीं हिंदू मनाते हैं मुहर्रम !

 

मोहम्मद अकरम/ बेंगलुरू

पैगंबर मोहम्मद साहब के नवासों से केवल मुसलमान ही मुहब्बत नहीं करते. इनसे अन्य कौम के लोगों का भी गहरा लगाव और इनमें आस्था है. इसका जीता जागता उदाहरण है वह कर्नाटक प्रदेश, जहां की कुछ छिटपुट घटनाओं को लेकर इसकी तस्वीर मुस्लिम विरोधी बना दी गई है. 

इस प्रदेश के बेलगावी जिले के सौंदत्ती तालुका के हिरेबिदानूर गांव में एक भी मुस्लिम परिवार नहीं रहता. इसके बावजूद लगभग एक सदी से हिरेबिदानूर के ग्रामीण मुहर्रम का आयोजन करते आ रहे हैं.
 
muharram
 
हम जिस दुनिया में रहते हैं, उसमें धर्म की राजनीति से घिरी यह एक दुर्लभ घटना है. जानकर आश्चर्य होगा कि हिरेबिदानूर के हिंदू पुजारी फकीरेश्वर स्वामी स्थानीय मस्जिद की देख-भाल तो करते ही हैं, हर साल मुहर्रम के मौके पर  धार्मिक आयोजनों की व्यवस्था में भी आगे-आगे रहते हैंं.
 
मस्जिद के इमाम यल्लप्पा नायकर ने इस बारे में एक अंग्रेजी अखबार से बात की. नायकर के अनुसार, बहुत पहले दो मुस्लिम भाइयों ने मस्जिदों का निर्माण किया था- एक गुटनाट्टी के पास और दूसरी हिरेबिदानूर में.
 
भाइयों की मृत्यु के बाद भी स्थानीय लोग हर साल मुहर्रम की प्रार्थना और पालन करते हैं. इसके लिए हम हर साल मुहर्रम के दौरान पास के बेविनकट्टी गांव से एक मौलवी को आमंत्रित किया जाता है. एक सप्ताह तक वह मस्जिद में रहते हैं और पारंपरिक इस्लामी तरीके से नमाज अदा करते है. अन्य दिनों में नाइकर मस्जिद की जिम्मेदारी संभालते हैं.
 
करीब 3,000 की आबादी वाले हिरेबिदानूर में कुरुबा और वाल्मीकि समुदायों का वर्चस्व है. मुहर्रम के दौरान सड़कों पर रोशनी की जाती है. मातम होता है. आग पर चलने की रस्म अदा की जाती है.
 
हाल ही में क्षेत्र के विधायक महंतेश कौजालगी ने मस्जिद भवन के जीर्णोद्धार के लिए 8 लाख रुपये मंजूर किए हैं. रमजान के बाद दूसरा सबसे पवित्र महीना मुहर्रम इस्लामिक कैलेंडर का पहला महीना है. इस साल यह महीना 31 जुलाई से शुरू होकर 28 अगस्त को खत्म होगा. इस महीने के एक से दस तारीख को आशूरा कहा जाता है.
 
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गौरतलब है कि पिछले साल कर्नाटक से ही हिजाब विवाद शुरू हुआ था. बाद में स्थिति इतनी खराब हुई कि हाई कोर्ट ने स्कूल-कॉलेजों में मुस्लिम लड़कियों के हिजाब पहनने पर ही पाबंदी लगा दी. इसके बाद मुस्लिम व्यापारियों के बहिष्कार, हलाल मीट की बिक्री पर रोक सहित कई ऐसे मुद्दे सामने आए जिससे प्रदेश का धार्मिक सौहार्द बिगड़ता ही गया.
 
इसी क्रम में कई हिंदूवादी एवं मुस्लिम युवकों की हत्या कर दी गई. आज भी इस मुद्दे पर प्रदेश के कई हिस्से में तनावपूर्ण हालात हैं. ऐसे में कर्नाटक के इस छोटे से गांव से राहत भरी खबर आई है.