जयपुर में हिंदू-मुस्लिम एकता: सांस्कृतिक संवाद से धार्मिक दूरियों को मिटाने की कोशिश

Story by  फरहान इसराइली | Published by  [email protected] | Date 11-04-2025
Hindu-Muslim unity in Jaipur: An attempt to bridge religious divide through cultural dialogue
Hindu-Muslim unity in Jaipur: An attempt to bridge religious divide through cultural dialogue

 

फरहान इसराइली / जयपुर

महाराष्ट्र के नागपुर से शुरू हुआ एक अनोखा अभियान अब राजस्थान तक पहुंच चुका है, जो मस्जिदों से गैर-मुसलमानों को परिचित कराने का कार्य करता है. इस अभियान का उद्देश्य हिंदू और मुस्लिम समुदायों के बीच दूरियों को खत्म करना और एक-दूसरे की संस्कृति, धार्मिक आस्थाओं और प्रथाओं को समझने का अवसर प्रदान करना है.

 

 

राजस्थान की राजधानी जयपुर में इस पहल की शुरुआत हुई है, जहां हिंदू-मुस्लिम एकता सामाजिक समिति ने कई पहलें की हैं, जिनसे न केवल सांप्रदायिक सद्भाव को बढ़ावा मिल रहा है, बल्कि गंगा-जमुनी तहज़ीब को भी जीवित रखने की कोशिश की जा रही है.

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मस्जिद से परिचय: धार्मिक समझ का सेतु

वर्ष 2023 में जयपुर के विद्याधरनगर क्षेत्र में "मस्जिद परिचय" कार्यक्रम आयोजित किया गया, जिसमें हिंदू समुदाय के लोगों को पहली बार मस्जिद में आमंत्रित किया गया. इस कार्यक्रम का आयोजन जमात-ए-इस्लामी द्वारा किया गया था और इसका उद्देश्य था कि लोग इस्लाम के बारे में सही जानकारी प्राप्त करें, नमाज़ की प्रक्रिया को समझें और अज़ान के वास्तविक अर्थ को जानें.

समिति के वरिष्ठ उपाध्यक्ष फिरोजुद्दीन बताते हैं, “हमारे हिंदू भाई जब मस्जिद आए, तो उन्होंने देखा कि नमाज कैसे पढ़ी जाती है, मस्जिद में अनुशासन कैसा होता है, और इस्लाम के मूल विचार क्या हैं. इससे धार्मिक दूरी नहीं, बल्कि समझ और आत्मीयता पैदा हुई।” इस पहल ने यह साबित किया कि धार्मिक अज्ञानता ही विवाद और संघर्ष का कारण बनती है, और सही जानकारी से आपसी समझ और भाईचारे को बढ़ावा दिया जा सकता है.

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सांप्रदायिक सद्भाव की मिसाल: संवाद और साझा संस्कृति

इसके बाद, वर्क संस्था के तत्वावधान में काज़ी असगर साहब ने एक अनूठा संवाद आयोजित किया, जिसमें एक मंदिर के महंत को मस्जिद में बुलाया गया. इस कार्यक्रम में हिंदू और मुस्लिम धर्म के प्रतिनिधियों ने एक साथ बैठकर शांति और सद्भाव पर चर्चा की.

यह कार्यक्रम "संवाद और साझा संस्कृति" का बेहतरीन उदाहरण बना और इसने जयपुर में एक नई मिसाल कायम की. फिरोजुद्दीन का कहना है, “जब दोनों धर्मों के प्रतिनिधि आपस में बैठकर एक-दूसरे के विचारों को समझते हैं, तो वही समाज के लिए सबसे बड़ी सेवा होती है.”

ईद पर गुलाब की पंखुड़ियाँ और भाईचारे का संदेश

हाल ही में जयपुर में ईद के मौके पर दिल्ली बाईपास स्थित ईदगाह पर समिति द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में हिंदू समाज के लोगों ने मुसलमानों का गुलाब की पंखुड़ियों से स्वागत किया. भगवा कुर्ता और गमछा पहनकर समिति के सदस्यों ने मंच से फूल बरसाए और ईद की मुबारकबाद दी.

इस कार्यक्रम ने जयपुर की गंगा-जमुनी तहज़ीब की बेहतरीन मिसाल पेश की और इस आयोजन की तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हो गईं. फिरोजुद्दीन कहते हैं, “यह हमारे समाज के लिए एक नई दिशा है, जहां हम एक-दूसरे की खुशी में शामिल होते हैं और एक-दूसरे का सम्मान करते हैं.”

साल दर साल साथ मनाए जाते हैं पर्व

हिंदू-मुसलमान एकता सामाजिक समिति द्वारा पिछले चार-पाँच वर्षों से ईद मिलन, होली मिलन और दीवाली मिलन जैसे आयोजन लगातार किए जा रहे हैं. इन आयोजनों में दोनों समुदायों के लोग एक साथ बैठते हैं, साथ खाना खाते हैं और एक-दूसरे को त्योहारों की शुभकामनाएँ देते हैं.

यह सिर्फ एक सांस्कृतिक कार्यक्रम नहीं है, बल्कि यह एक मौका है जब दोनों समुदाय एक-दूसरे के साथ मिलकर अपनी धरोहर, विचार और संस्कृति को साझा करते हैं. फिरोजुद्दीन कहते हैं, “हमारा मकसद सिर्फ आयोजन करना नहीं है, बल्कि एक-दूसरे को समझना और सम्मान देना है. जब लोग साथ बैठते हैं, तो मनमुटाव मिटते हैं और भाईचारे की भावना को बल मिलता है.”

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समिति का गठन और महत्वपूर्ण कार्य

जयपुर की हिंदू-मुस्लिम एकता सामाजिक समिति की नींव 2018 में शास्त्री नगर क्षेत्र में हुए सांप्रदायिक तनाव के बाद रखी गई थी. इस संघर्ष के बाद, कई सामाजिक कार्यकर्ताओं ने मिलकर इस समिति को स्थापित किया ताकि दोनों समुदायों के बीच विश्वास और समझ का वातावरण तैयार किया जा सके.

समिति के सदस्य बताते हैं कि इसने शहर में कई बार बिगड़े माहौल को शांत करने का काम किया है. फिरोजुद्दीन कहते हैं, “हमने देखा कि जब भी दोनों समुदायों के बीच कोई मसला आता है, तो हमारा पहला काम होता है उस मसले को बातचीत और समझ के जरिए हल करना. हम राजनीति से दूर रहते हुए सिर्फ शांति और सद्भाव की दिशा में काम करते हैं.”

2022 में, जयपुर के शास्त्री नगर थाने में एक अनोखा कार्यक्रम आयोजित किया गया, जिसमें हिंदू समुदाय के लोगों को आमंत्रित किया गया और इस्लामिक विद्वानों ने हज़रत मोहम्मद साहब की सीरत पर प्रकाश डाला। यह राजस्थान में पहली बार था कि किसी थाने में इस तरह का कार्यक्रम हुआ, और इसने एक नई पहल का आरंभ किया.

युवाओं को धर्म और संस्कृति से परिचित कराना

फिरोजुद्दीन का मानना है कि युवाओं को एक-दूसरे के धर्म और संस्कृति से परिचित कराना बेहद ज़रूरी है, ताकि वे कट्टरता से बच सकें और आपसी समझ को बढ़ावा दे सकें. उनका सुझाव है कि कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में ऐसे मंच बनाए जाएं, जहां कुरआन और वेदों की शिक्षाओं को सही संदर्भ में समझाया जाए. इससे न केवल धार्मिक समझ बढ़ेगी, बल्कि युवा पीढ़ी के बीच आपसी सम्मान और भाईचारे की भावना भी मजबूत होगी.

जयपुर की हिंदू-मुस्लिम एकता सामाजिक समिति ने यह साबित कर दिया है कि जब नीयत साफ हो और उद्देश्य इंसानियत हो, तो धर्म की दीवारें भी पुल बन सकती हैं. आज जब देश कई बार धर्म के नाम पर बंटता हुआ दिखता है, तब जयपुर की यह समिति उम्मीद की एक किरण बनकर उभरी है.

यह पहल न केवल राजस्थान, बल्कि पूरे देश के लिए एक प्रेरणा है, जहां धार्मिक सौहार्द्र को बढ़ावा देने के लिए छोटे-छोटे कदमों से बड़े बदलाव की शुरुआत की जा सकती है.