फरहान इसराइली/अजमेर
सूफी संत हजरत ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती के 812वें उर्स कुल की महफिल के साथ संपन्न हो गई.सज्जादानशीन की सदारत में आयोजित महफिल में कव्वालों ने अमीर खुसरो का लिखा कुल पढ़ा.वहीं बड़े पीर साहब की पहाड़ी से तोप दागी गई.शाहजहानी गेट से शादीयाने बजाए गए.
इस मौके सभी ने एक-दूसरे को मुबारकबाद पेश की.मलंग और कलन्दरों ने महफिल खाने में ही दागोल की रस्म अदा की.उर्स के मौके पर नाजिम लियाकत अली आफाकी द्वारा तमाम शामिल मेहमानों और दुनिया भर के ख्वाजा साहब के मानने वाले लोगों को उर्स की मुबारकबाद पेश की.
नाजिम आफाकी ने बताया कि यह हमारी खुशनसीबी है कि हमें ख्वाजा साहब के मेहमानों की खिदमत का मौका मिला है, इसमें हम जितना बेहतर करसकते थे,अपनी टीम के साथ पूरी कोशिश की.कई बेहतर नतीजे भी हमें मिले .छठी के कुल के साथ ही आस्ताना शरीफ का वक्त बदल जाएगा.
गौरतलब है कि 25 जमादिउस्सानी झंडे की रस्म के बाद से ही दरगाह शरीफ में खिदमत सज्जादानशीन साहब के आस्ताना शरीफ में जाते ही जन्नती दरवाज़ा बन्द हो गया.विश्रामस्थली कायड़ में ख्वाजा साहब के उर्स में शामिल होने वाले जायरीन की रवानगी का सिलसिला शुरू हो गया है.
कुल की फातेहा के बाद से ही बड़ी संख्या में जायरीन अपने घरों को लौटना शुरू कर दिया.इस साल उर्स में 1000बजे आई थी जिसमें 565वापस लौट चुकी थी.यह सिलसिला तेजी से जारी है.विश्राम स्थली पर सुबह छठी की फातेहा मौलाना जाकिर शम्सी ने लगाई. फातेहा में बड़ी संख्या में जायरीन ने हिस्सा लिया.
जन्नती दरवाज़ा बंद
कुल की महफिल के साथ ही दोपहर एक बजकर 10 मिनट पर नाजिम आफाकी द्वारा उर्स के सफल आयोजन पर जिला प्रशासन को बधाई दी गई, आफाकी ने कहा कि यह सभी के साझा प्रयासों का नतीजा है कि कड़ी चुनौतियों के बावजूद उर्स का सफल और कुशल आयोजन हुआ.
ख्वाजा साहब के उर्स में दरगाह शरीफ की सजावट मुख्य आर्कषण रहा.सुनहरे और सफेद रंगों पर सजाई गई दरगाह के कोने-कोने को जायरीन अपने मोबाईल में तस्वीर लेता दिखाई दिया.उर्स के सफल आयोजन के बाद नाजिम लियाकत अली आफाकी सज्जादानशीन साहब की हवेली पहुंचे.
सज्जादानशीन साहब दीवान सैयद जैनुल आबेदीन अली द्वारा नाजिम आफाकी की दस्तारबंधी की गई और उर्स में बेहतर इन्तेजामात के लिए मुबारकबाद पेश की.