आवाज द वाॅयस / नई दिल्ली
क्या कांग्रेस मुस्लिम बहुल मेवात की अपनी तीनों विधानसभा सीटें बरकरार रख पाएगी ? इस महत्वूपर्ण सवाल के साथ ही शनिवार सुबह से हरियाणा विधानसभा के लिए मतदान शुरू हो गया. इस बार मेवात के नूंह क्षेत्र के मौजूदा विधायक चैधरी आफताब अहमद को बीजेपी के संजय सिंह से कड़ी टक्कर मिल रही है. इसके अलावा फिरोजपुर झिरकार और पुन्हाना सीट से कांगेस के मम्मन खान इंजीनियर और चैधरी मोहम्मद इलियास का सामना बीजेपी से हो रहा है.
मेवात की यह तीनों सीटें कांग्रेस के लिए कितनी महत्वपूर्ण हैं, इसका अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि चुनाव प्रचार के लिए यहां राहुल गांधी को आना पड़ा था. इससे पहले के चुनावों में इलाके में प्रचार करने सोनिया गांधी आती रही हैं.
सत्तारूढ़ भाजपा राज्य में जीत की हैट्रिक लगाने की कोशिश में है, जबकि कांग्रेस एक दशक बाद वापसी की उम्मीद कर रही है.15वें हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए मंच तैयार है, जिसमें 2.03 करोड़ मतदाता शनिवार को मतदान कर रहे हैं. चुनाव में राज्य के 90 विधानसभा क्षेत्रों में कड़ी टक्कर देखने को मिल रही है, जिसमें 101 महिलाओं और 464 निर्दलीय उम्मीदवारों सहित 1,031 से अधिक उम्मीदवार मैदान में हैं.
चुनाव में मुख्य प्रतिद्वंद्वी दल भाजपा, कांग्रेस, आप, इनेलो-बसपा और जेजेपी-आजाद समाज पार्टी हैं.सुबह 7 बजे से शाम 6 बजे तक 20,632 बूथों पर मतदान चलेगा, जिसमें 1,07,75,957 पुरुष, 95,77,926 महिलाएँ और 467 थर्ड जेंडर मतदाता मतदान के पात्र होंगे.
कुल 1,49,142 विकलांग मतदाता, 85 वर्ष से अधिक आयु के 2,31,093 मतदाता और 8,821 शतायु मतदाता भी लोकतांत्रिक प्रक्रिया में भाग लेंगे.परिणाम 8 अक्टूबर, 2024 को घोषित किए जाएँगे.यह चुनाव सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के लिए एक उच्च-दांव की लड़ाई है, जो लगातार तीसरी बार सत्ता में आना चाहती है, जबकि विपक्षी कांग्रेस एक दशक के बाद वापसी की उम्मीद कर रही है.
सोहना, जुलाना, लाडवा, रानिया और उचाना कलां सहित हरियाणा के प्रमुख निर्वाचन क्षेत्रों में होने वाले मुकाबले प्रमुख नेताओं और राजनीतिक दलों के भाग्य का निर्धारण करेंगे, जिसमें नए और पुराने चेहरे भीषण राजनीतिक लड़ाइयों में शामिल होंगे.
सोहना: बहुकोणीय मुकाबला
हरियाणा के दक्षिणी हिस्से में स्थित सोहना विधानसभा सीट पर इस बार कड़ी टक्कर देखने को मिल रही है, क्योंकि निर्दलीय उम्मीदवार भाजपा और कांग्रेस दोनों को चुनौती देने के लिए तैयार हैं. 2014 में जीतने के बाद फिर से चुनाव लड़ रहे भाजपा के तेजपाल तंवर का मुकाबला कांग्रेस के रोहतास सिंह खटाना से है, जो गुज्जर मतदाताओं के बीच खासा प्रभाव रखने वाले उम्मीदवार हैं.
हालांकि, दो मजबूत निर्दलीय उम्मीदवारों की मौजूदगी से मुकाबला जटिल हो गया है, जिनमें एक पूर्व भाजपा नेता भी शामिल है, जो पार्टी टिकट न मिलने के बाद बागी हो गए.
जुलाना: राजनीति के मैदान में पहलवान
हरियाणा के जुलाना निर्वाचन क्षेत्र में दो महिला पहलवानों, एक पेशेवर पायलट और एक सेवानिवृत्त कर अधिकारी के बीच राजनीतिक मुकाबले ने पूरे देश का ध्यान खींचा है. कांग्रेस की उम्मीदवार ओलंपियन विनेश फोगट ने अंतरराष्ट्रीय कुश्ती से संन्यास लेने के बाद मैदान में उतरने का फैसला किया है.
उनका मुकाबला आम आदमी पार्टी (आप) की एक अन्य पहलवान कविता दलाल से है, जिन्हें डब्ल्यूडब्ल्यूई में भाग लेने वाली पहली भारतीय महिला के रूप में जाना जाता है. भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार योगेश बैरागी, जो एक पेशेवर पायलट हैं, और जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) के मौजूदा विधायक अमरजीत सिंह ढांडा भी मैदान में हैं.
"जुलाना की बहू" के रूप में प्रचार कर रहीं विनेश फोगट अपने पति की स्थानीय जड़ों से प्रेरणा लेती हैं, जबकि पास के गांव की रहने वाली कविता दलाल खुद को "जुलाना की बेटी" के रूप में पेश करना चाहती हैं. जुलाना के मतदाता, जिसमें 40% जाट मतदाता हैं,
साथ ही अनुसूचित जाति और पिछड़े वर्ग की एक बड़ी आबादी है, बेरोजगारी, बुनियादी ढांचे और शिक्षा के मुद्दों पर विभाजित है. जुलाना में परिणाम यह संकेत दे सकते हैं कि क्या फोगट की स्टार पावर स्थानीय नेताओं को मात दे सकती है.
लाडवा: नए सीएम के लिए परीक्षा
कुरुक्षेत्र जिले का छोटा सा शहर लाडवा, मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी की उम्मीदवारी के कारण महत्वपूर्ण हो गया है. इस साल की शुरुआत में शीर्ष पद पर आसीन हुए सैनी, ओबीसी सैनी समुदाय से आते हैं. इस निर्वाचन क्षेत्र से अपना पहला विधानसभा चुनाव लड़ रहे हैं. उन्हें कांग्रेस के मौजूदा विधायक मेवा सिंह और इंडियन नेशनल लोकदल (आईएनएलडी) की सपना बरशामी से कड़ी टक्कर मिल रही है.
सैनी समुदाय से आने वाले मुख्यमंत्री की हैसियत, जो लाडवा की आबादी का लगभग 7.5% है, उन्हें बढ़त दिला सकती है. हालांकि, 2019 के चुनाव में भाजपा यहां हार गई थी, जब कांग्रेस के मेवा सिंह ने 12,637 वोटों के अंतर से जीत हासिल की थी. निर्दलीय उम्मीदवार संदीप गर्ग, जो भाजपा के पूर्व नेता और स्थानीय उद्योगपति हैं, भी इस दौड़ में हैं. भाजपा के वोट बैंक में सेंध लगाने की उम्मीद कर रहे हैं.
उचाना कलां: वंशवाद का टकराव
जींद जिले का हिस्सा उचाना कलां हमेशा से ही राजनीतिक रूप से काफी चर्चित रहा है, यहां की आबादी जाटों की है. कई दिग्गज नेता वर्चस्व की होड़ में लगे रहते हैं. यह चुनाव भी कुछ अलग नहीं है, यहां कांग्रेस के बृजेंद्र सिंह, जो भाजपा के पूर्व सांसद और दिग्गज नेता बीरेंद्र सिंह के बेटे हैं, का मुकाबला भाजपा के देवेंद्र चतुर्भुज अत्री और जेजेपी नेता दुष्यंत चौटाला से है, जो फिर से चुनाव लड़ रहे हैं.
ओम प्रकाश चौटाला के पोते दुष्यंत को इस निर्वाचन क्षेत्र में बाहरी माना जाता है. वे मूल रूप से सिरसा से हैं. उन्होंने 2019 में भाजपा की प्रेम लता सिंह को हराकर यह सीट जीती थी.
रानिया: पारिवारिक कलह और राजनीतिक विरासत
बागड़ी बहुल रानिया निर्वाचन क्षेत्र में, एक नाटकीय लड़ाई सामने आ रही है,. चौटाला परिवार के एक अलग सदस्य, अनुभवी राजनेता रंजीत सिंह चौटाला, निर्दलीय के रूप में अपनी सीट बरकरार रखने के लिए लड़ रहे हैं. हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला के सबसे छोटे भाई रंजीत ने 2019 का चुनाव निर्दलीय के रूप में जीतने और बाद में भाजपा के साथ गठबंधन करने के बाद भाजपा सरकार में कैबिनेट मंत्री के रूप में कार्य किया.
हालांकि, 2024 के आम चुनावों में अपनी हार के बाद, रंजीत ने भाजपा से नाता तोड़ लिया. एक बार फिर स्वतंत्र रूप से चुनाव लड़ रहे हैं. उनके पोते, अर्जुन चौटाला, जो भारतीय राष्ट्रीय लोक दल (INLD) का प्रतिनिधित्व करते हैं,
एक मजबूत चुनौती पेश करते हैं, जिससे यह एक पारिवारिक झगड़ा बन जाता है जो हरियाणा में चौटाला विरासत को बदल सकता है. कांग्रेस ने यूट्यूब पत्रकार सर्व मित्तर कंबोज को मैदान में उतारा है, जबकि जेजेपी ने इस सीट पर अपना उम्मीदवार न उतारकर रंजीत को मौन समर्थन दिया है.