नूंह में बाकी है सौहार्द: मुस्लिम महिलाओं ने हिंदुओं को बचाने के लिए उठाई लाठियां, बच्चों की सुरक्षा में रातभर गुरुकुल के बाहर डटे रहे शौकत सरपंच
मलिक असगर हाशमी / गुरुग्राम
तमाम नफरती कार्रवाई और नारों के बीच मेवात के कई लोग अपनी सांप्रदायिक सौहार्द को बचाने में सफल रहे. धार्मिक जुलूस पर जब चैतरफ हमले हो रहे थे, गाड़ियां फूंकी जा रही थीं, दुकानें लूटेरों के निशाने पर थीं और धार्मिक स्थलों को नुकसान पहुंचाया जा रहा था, तब कई मुस्लिम महिलाओं ने अपनी जान पर खेलकर कई लोगों को बचाया. इनके अलावा कई अन्य मुस्लिम भी मेवात में हिंदुओं की रक्षा में ढाल बनकर खड़ हो गए.
नूंह जिले के पिनंगवा में बुधवार को बहुसंख्यक मुसलमानों ने इलाके के अल्पसंख्यक हिंदुओं की सुरक्षा का संकल्प लिया.स्थिति जब धीरे-धीरे शांति की ओर लौट रही है तो ऐसे में कई दिल को सकून देने वाली खबरें भी बाहर आने लगी हैं. जगह-जगह शांति समितियों की बैठक हो रही हैं. एक दिन पहले फरीदाबाद के तीनों उपमंडलों में एसडीएम की अध्यक्षता व एसपी की मौजूदगी में पीस कमेटी की बैठक हुईं.
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, चिंताजनक माहौल में भी मेवात, होडल, गुरूग्राम में कहीं हिंदू आगे आकर मुस्लिमों को बचा रहे हैं तो कहीं मुस्लिम परिवारों को हिंदू अपने घर में पनाह दे रहे हैं. एनबीटी की एक रिपोर्ट में बताया गया, नूंह से उठी नफरत की आग पर कुछ लोग हाथ सेंक रहे हैं,वहीं कुछ लोग इसे बुझाने की कोशिश में जुटे हैं.
मेवात में हिंदुओं को बचाने के लिए मुस्लिम मसीहा बनकर सामने आए. उनके साहस के चलते जहां गांव भादस में सैकड़ों की तादाद में उपद्रवी भागने पर मजबूर हुए, वहीं तीन मुस्लिम युवकों ने बाइक पर मासूम बच्ची के साथ जा रही एक दंपति को अपने घर में शरण दी.
इन दोनों मामलों में जहां गुरुकुल में 100 से अधिक बच्चों व टीचरों की जान बची, वहीं अपना अंतिम दिन समझ रहे दंपति को भी दूसरा जन्म मिला. इस तरह के कई उदाहरण मेवात में हिंसा के दौरान सामने आए हैं.
50 नकाबपोश आए थे गुरुकुल में आग लगाने
एक रिपोर्ट के अनुसार,मेवात के गांव भादस में 1994 से गुरुकुल चल रहा है. यहां काफी संख्या में बच्चे और अध्यापक रहते हैं. गुरुकुल के अध्यापकों ने बताया कि हिंसा के दिन करीब चार बजे यहां एकाएक 50 से अधिक बाइकों पर नकाबपोश युवक पहुंचे.
कई युवकों के हाथ में हथियार थे. कुछ के हाथ में पेट्रोल की बोतलें थीं. कुछे लाठी- डंडे से लैस थे. इस दौरान वहां से भादस के सरपंच शौकत निकल रहे थे. उन्होंने देखा कि उपद्रवी गुरुकुल की ओर बढ़ रहे हैं. वह जल्दी से गुरुकुल के मेन गेट पर पहुंचे.
यहां पर अपने परिवार के सर्फराज, हनान और इरशाद को बुलाया और गुरुकुल के मेनगेट पर खड़े हो गए. उपद्रवियों ने कहा कि वह वहां से हट जाएं. सरपंच के मना करने पर युवकों ने कहा कि उनके पैर में गोली मार दी जाएगी.
इसके बाद सरपंच ने गांव से जरजीस, शाबिर, हबीब सहित 50 से अधिक लोगों को बुलाया. गांव से 100 के करीब लोग एकत्र हो गए. ये लोग गुरुकुल के आगे डटे रहे. करीब 20 मिनट तक बहस चलती रही. इसके बाद सरपंच ने गुरुकुल से ही लाठी और डंडे लेकर उपद्रवियों को खदेड़ा.
गांव के सरपंच शौकत ने बताया कि उपद्रवियों की उम्र 20 से 25 साल के बीच थी. उनके पास हथियार थे. वे कहीं दूर के गांवों के थे. सरपंच ने बताया कि वह अपने गांव के लोगों के साथ अल सुबह चार बजे तक फोर्स के आने तक डटे रहे.
दो मुस्लिम युवकों ने दी घर पनाह
एनबीटी की रिपोर्ट में कहा गया है कि सोमवार दोपहर करीब दो बजे के करीब नूंह के खेड़ला से जलाभिषेक यात्रा निकल रही थी. इस दौरान उपद्रवियों ने यात्रा पर पथराव कर दिया. इसके बाद फायरिंग शुरू हो गई.
इस हिंसा के दौरान मेवात के पुन्हाना में अपने रिश्तेदार का हाल जानने बाइक पर अपनी पत्नी और तीन साल की बच्ची के साथ आए गांव बिछौर निवासी हरिओम शर्मा जब गांव सिंगार पहुंचे तो यहां उपद्रवी वाहनों को रोककर तोड़फोड़ कर रहे हैं.
आगजनी की जा रही थी. करीब साढ़े चार बजे का समय था. गांव सिंगार के तिरवाड़ा मोड़ पर कई वाहनों को उपद्रवियों ने आग के हवाले कर दिया. इस माहौल में हरिओम के हाथ पैर फूल गए. वह बुरी तरह से घबरा गए. उन्हें समझ नहीं आ रहा था कि आखिर वह क्या करंे.
जब उन्होंने बाइक को वापस पुन्हाना की ओर मोड़ा तो उपद्रवी उनके पीछे पड़ गए. इस दौरान वहां पर दो मुस्लिम युवक आए. वे उनको मेन रोड से हटाकर गलियों के रास्ते अपने घर ले गए. यहां उन्हें एक कमरे में बैठाकर गेट बंद कर दिया.
उनको पानी पिलाया और भरोसा दिलाया कि दंगे शांत होने तक वह बिना डर के यहां पर रहें. करीब डेढ़ घंटे बाद इन युवकों ने खेतों के रास्ते उनको दूसरी रोड से निकाला. इस दौरान यह युवक अपनी बाइक से उनके आगे- आगे काफी दूर तक चलते रहे. हरिओम ने बताया कि अगर वह दोनों युवक न होते तो शायद वह उनका और उनके परिवार का आखिरी दिन था.
मुस्लिम महिलाओं ने हिंदू की रक्षा में उठाई लाठियां
इस बीच खबर है कि मेवात के सिंगार में 31 जुलाई को होडल निवासी बुधराम, उनका बेटा निखिल, उनके अकाउंटेंट अजीत फंस गए. उपद्रवियों ने हमला कर दिया. लूटपाट की गई. मारपीट कर उनकी कार को आग लगा दी.
बुधराम ने बताया, लग रहा था कि जिंदा नहीं बच पाएंगे. तभी सिंगार के हाजी मोहम्मद पहुंचे. हमें अपने घर ले गए. इससे गुस्साए उपद्रवी हाजी के घर पहुंच गए. उन्होंने घर से तीनों को बाहर निकालने की चेतावनी दी. हाजी के परिवार की महिलाओं ने हमारी रक्षा के लिए लाठियां उठा लीं.
ऐसी ही एक और घटना हुई. पूर्व सरपंच मोहित रावत ने होडल में हुई मारपीट में घायल बड़ी संख्या में लोगों को अस्पताल पहुंचाया. मोहित धार्मिक स्थल पर उपद्रवियों के हमले की सूचना पर मौके पर पहुंचे और उपद्रवियों से बचाकर मुस्लिम समुदाय के लोगों को सुरक्षित बाहर निकाला.
सुरक्षित पहुंचाया अस्पताल
ऐसी ही एक और घटना हुई. होडल निवासी पूर्व सरपंच मोहित रावत ने होडल में हुई मारपीट में घायल हुए बड़ी संख्या में लोगों को अस्पताल पहुंचाया. फिर उन्हें उनके घरों तक सुरक्षित ले गए. पूर्व सरपंच ने बताया कि सोमवार को वह खेतों पर थे.
सूचना मिली कि उसके घर के सामने बने मस्जिद पर उपद्रवियों ने हमला कर दिया है. वहां लोगों को घायल करने की सूचना है. सूचना मिलते ही वह वहां पहुंच गए. उपद्रवियों से बचाकर मुस्लिम समुदाय के लोगों को सुरक्षित बाहर निकाल कर अस्पताल और उनके घर पहुंचाया.
गांव बिछोर के पूर्व सरपंच इकबाल जैलदार ने बताया कि हिंदू समुदाय के लोगों ने दंगे में फंसे दर्जनों मुस्लिम समुदाय के लोगों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचकर सद्भावना की मिसाल पेश की है.