आवाज द वॉयस/ नई दिल्ली
महाकुंभ में साधु-संतों के अनोखे रूप देखने को मिल रहे हैं. इसी बीच इस मेले में एक ऐसे बाबा भी देखने को मिले हैं जो ऊपर से नीचे तक सोने के आभूषणों से लदे हुए हैं. केरल के रहने वाले यह बाबा आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं. संगम नगरी प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ में साधु-संतों में से एक खास बाबा हैं गोल्डन बाबा, जो अपने सोने से सजे व्यक्तित्व के कारण कुंभ में चर्चा का विषय बने हुए हैं.
उनका असली नाम एसके नारायण गिरी जी महाराज है, और वे केरल के रहने वाले हैं, हालांकि फिलहाल वे दिल्ली में रहते हैं. गोल्डन बाबा निरंजनी अखाड़े से जुड़े हुए हैं और अपने अनोखे अंदाज के कारण श्रद्धालुओं का ध्यान आकर्षित कर रहे हैं.
बाबा के पास सोने के 6 लॉकेट हैं, जिनमें करीब 20 मालाएं हैं. उनका मोबाइल भी सोने की परत में ढका हुआ है. बाबा का कहना है कि उनका यह सोने से सजा रूप सिर्फ दिखावे के लिए नहीं है, बल्कि यह उनके आध्यात्मिक जीवन, साधना और अपने गुरु के प्रति श्रद्धा का प्रतीक है. कुंभ मेला में उनका व्यक्तित्व एक अलग ही छवि प्रस्तुत करता है, जो लोगों को मंत्रमुग्ध कर देता है. गोल्डन बाबा लोगों को अध्यात्म और भक्ति का संदेश देते हैं.
मिली जानकारी के मुताबिक, गोल्डन बाबा लगभग 4 किलो सोना पहनकर चलते हैं, जिसका मूल्य लगभग 6 करोड़ रुपए है.
एएनआई से बात करते हुए, केरल के एक प्रमुख हिंदू आध्यात्मिक नेता स्वामी नारायण नंद गिरी महाराज ने कहा कि ये आभूषण विभिन्न हिंदू देवताओं को समर्पित हैं, जिनमें नटराज, नरिश्मा, मुरुगन, भद्रकाली और अन्य शामिल हैं. इस आभूषण के उद्देश्य के बारे में पूछे जाने पर, स्वामी नारायण ने कहा कि इससे उन्हें "सकारात्मक ऊर्जा" मिलती है और पूजा के दौरान इसकी आवश्यकता होती है.
अपने विभिन्न आभूषणों के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा कि इनमें रुद्राक्ष, मूंगा, क्रिस्टल, मूंगा और माणिक, नीलम और पन्ना जैसे अन्य कीमती पत्थर शामिल हैं, जिनका उपयोग पूजा के दौरान किया जाता है. उनके आभूषणों में श्री यंत्र का प्रतीक भी शामिल है. गोल्डन बाबा ने कहा, "मेरा नाम श्री श्री 1008 अनंत श्री विभूषित स्वामी नारायण नंद गिरिजी महाराज है। मैं केरल से हूं और सनातन धर्म फाउंडेशन का अध्यक्ष हूं... इसमें रूद्राक्ष, मूंगा, क्रिस्टल और मूंगा है.
ये सभी नटराज, नरिश्मा, मुरुगन, भद्रकाली देवताओं को समर्पित हैं... मुझे पूजा के दौरान माणिक, नीलम और पन्ना जैसे अलग-अलग पत्थरों की जरूरत होती है। इसमें श्री यंत्र भी है..." "इन सभी आभूषणों में कुछ खास है.... मैंने 6.8 किलोग्राम से अधिक वजन के आभूषण पहने हैं. मैंने इन्हें 15 साल पहले पहनना शुरू किया था... ये रुद्राक्ष मेरे पिता ने दिए थे. इससे सकारात्मक ऊर्जा मिलती है जो दूसरों को भी दिखाई देती है... अगर मैं पतलून और शर्ट पहनता, तो आप मुझसे बात करने नहीं आते. भगवान ने मुझे सकारात्मक ऊर्जा फैलाने का यह अवसर दिया है..." उन्होंने कहा.
बाबा के शरीर पर सोने के गहने जैसे अंगूठियां, कंगन, घड़ी और यहां तक कि सोने की छड़ी भी है. इस छड़ी पर देवी-देवताओं के लॉकेट लगे हुए हैं, जो उनके साधना और आस्था का प्रतीक हैं.
बताया जा रहा है कि 67 साल के गोल्डन बाबा ने निरंजनी अखाड़े के अध्यक्ष रवींद्र पुरी महाराज से दीक्षा ली थी. वे धर्म और शिक्षा के क्षेत्र में भी सक्रिय हैं और उनका मानना है कि अगर धर्म और शिक्षा को साथ लेकर चला जाए तो समाज में सकारात्मक बदलाव लाया जा सकता है.
उनके प्रति श्रद्धा रखने वालों की भीड़ हमेशा उनके आसपास रहती है. श्रद्धालु उन्हें "गोल्डन बाबा" कहकर पुकारते हैं और उनकी उपस्थिति में एक अद्वितीय आकर्षण देखा जाता है.
बाबा का कहना है कि उनका यह सोना केवल दिखावा नहीं है, बल्कि यह उनकी साधना और आध्यात्मिक शक्ति का प्रतीक है.