महाराष्ट्र की इस दरगाह में होती है गणपति बप्पा की स्थापना

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  [email protected] | Date 09-09-2024
Ganapati Bappa is established in this dargah of Maharashtra
Ganapati Bappa is established in this dargah of Maharashtra

 

प्रज्ञा शिंदे

देश के कुछ हिस्सों में धार्मिक तनाव की घटनाएं होती रहती हैं, लेकिन आमतौर पर भारत में हिंदू-मुसलमानों में शांतिपूर्ण संबंध और आपसी सद्भाव की एक लंबी परंपरा है. संभाजीनगर शहर की एक अनोखी परंपरा इस बात की गवाही देती है. यहां के पाडेगांव क्षेत्र के सैलानी नगर में सैलानी बाबा की प्रसिद्ध दरगाह है.

इस दरगाह परिसर में पिछले 30 सालों से हर साल गणेश जी की विधिवत स्थापना की जाती है. दिलचस्प बात यह है कि इस दरगाह परिसर में भगवान गणेश की आरती की जाती है. दूसरी ओर नमाज भी पढ़ी जाती है. इसमें हिंदू और मुस्लिम उत्साह से हिस्सा लेते हैं.

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संभाजीनगर शहर से सात किलोमीटर दूर सैलानी नगर में स्थित इस दरगाह के अहाते में  गणेश स्थापना की परंपरा सैलानी बाबा के निष्ठावान भक्त सद्गुरु शंकर बाबा पोथीकर जी ने शुरू की. सैलानी बाबा की असल दरगाह महाराष्ट्र के बुलढाणा इलाके में है, जो बड़ी मशहूर भी है.

 शंकर बाबा सैलानी बाबा के शिष्य थे. उन्होंने बड़ी श्रद्धा से पाड़ेगांव में, जहां वो रहते थे, वहां  सैलानी बाबा की दरगाह की प्रतिकृति बनाई. जिससे इस क्षेत्र को एक नई स्फूर्ति मिली.
 
इस दरगाह में सैलानी बाबा का उर्स तो मनाया ही जाता है,  गणेशोत्सव भी बड़े उत्साह और भक्ति भाव के साथ मनाया जाता है. यहाँ मनाए जाने वाले त्यौहार हिंदू-मुस्लिम एकता के प्रतीक है. दोनों समुदायों के लोग मिलकर  त्यौहार मनाते है.

धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों के साथ सामाजिक सद्भावना को प्रोत्साहित करने वाले कार्यक्रम भी इस उत्सव का हिस्सा होते हैं, जो इसे और भी खास बनाते हैं.सैलानी बाबा की इस दरगाह में विभिन्न धर्मों और जातियों के लोग आस्था से आते  हैं, जिससे इस स्थान का महत्व बढ़ जाता है.

यह पवित्र जगह समाज के सामने हिंदू-मुस्लिम एकता का आदर्श उदाहरण प्रस्तुत करता है, जिससे यहां आने वाले भक्तों के दिलों में एक-दूसरे के प्रति सम्मान और सद्भाव की भावना और भी गहरी हो जाती है. 


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 दरगाह में गणेश जी की स्थापना की गई 

सैलानी बाबा के मुरीद रहे शंकर बाबा के भक्त विभिन्न जातियों और धर्मों के थे.उन्होंने इस विविधता को सदा खुले दिल से स्वीकारा. सर्वेश्वरवाद की भावना को आगे बढ़ाते हुए, उन्होंने सैलानी बाबा की दरगाह में गणपति की स्थापना का साहसिक निर्णय लिया.

यह परंपरा, 30 साल पहले शुरू हुई थी, आज भी उतनी ही श्रद्धा और भक्ति के साथ निभाई जा रही है. उस समय यह निर्णय बहुत महत्वपूर्ण था, क्योंकि इससे धार्मिक सहिष्णुता और सद्भाव का संदेश समाज में गहराई तक पहुंचा.

शंकर बाबा के निधन के बाद उनकी समाधि भी इसी दरगाह में बनाई गई. बाद में उनकी पत्नी की समाधि भी यहीं स्थापित की गई, जिससे यह स्थान एक महत्वपूर्ण धार्मिक तीर्थ स्थल बन गया. 

पिछले तीन दशकों से यहां गणेशोत्सव बड़े उत्साह के साथ मनाया जा रहा है. हर साल गणेश जी की मूर्ति स्थापित की जाती है. इस अवसर पर विभिन्न धर्मों और समुदायों के लोग मिलकर उत्सव का आनंद लेते हैं. यह स्थान अब हिंदू-मुस्लिम एकता का प्रतीक बन चुका है, जहां भगवान गणेश की पूजा और नमाज दोनों एक ही स्थान पर पूरी श्रद्धा से की जाती हैं.
 
यह दृश्य सर्वेश्वरवाद की भावना को जिंदा करता है, जहां धार्मिक उत्साह और एकता का अनोखा संगम देखने को मिलता है. गणपति की आरती और नमाज का एक साथ होना, समाज में सहिष्णुता और एकता का संदेश देता है. 

यह सैलानी बाबा की दरगाह न केवल धार्मिक आस्था का केंद्र बन गई है, यह सामाजिक सद्भाव और सहिष्णुता का प्रतीक भी बन चुकी है. यहां विभिन्न धर्मों के लोग अपनी आस्था का पालन करते हुए एकता की मिसाल देते  हैं. 

शंकर बाबा का परिवार करता है भक्तों की खिदमत

पल्लवी पोथिकर, जो शंकर बाबा की बहू हैं, बताती हैं, "शंकर बाबा की शुरू से ही सैलानी बाबा पर गहरी आस्था थी. सैलानी बाबा मुस्लिम थे, इसलिए यहां उनकी दरगाह है. शंकर बाबा की समाधि भी यहीं स्थित है, इसीलिए यहां सभी धर्मों का सम्मान किया जाता है.

 दरगाह परिसर में हनुमान और महादेव का भी मंदिर है. हर गुरुवार यहां गणपति, दत्त, महादेव के साथ सैलानी बाबा की भी आरती की जाती है."आगे वह बताती हैं, "इस स्थान पर सभी धर्मों के भक्त आते हैं. यहां सभी धर्मों के त्योहार मनाए जाते हैं. हम यहां गणेशोत्सव कि तरह कालिका माता और तुळजाभवानी माता के उत्सव भी धूमधाम से मनाए जाते हैं."

दरगाह में आने वाले भक्तों में से एक, अनवर पठान, बताते हैं, "दरगाह में आने के बाद आध्यात्मिक संतुष्टि मिलती है. यहां बाबा की समाधि के साथ गणेशजी की मूर्ति भी है. यहां सभी धर्मों के लोग आते हैं. मिलकर हर त्यौहार मनाते हैं. सैलानी बाबा का उरूस भी यहां पूरे उत्साह के साथ मनाया जाता है."


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मंदिर में एक अनोखा सामंजस्य
 
गुरुवार को इस दरगाह में सभी धर्मों की आरती, पूजा और नमाज अदा की जाती है. इस दिन शंकर बाबा का विशेष अनुष्ठान किया जाता है, जिसके बाद ग्यारह बजे सभी धर्मों की आरती की जाती है. 

इस दरगाह की देखरेख हिंदू और मुस्लिम दोनों करते हैं. छोटी-छोटी वजहों से हिंदू-मुस्लिम रिश्तों में दरार बढ़ाने का काम सामाजिक समूह करते हैं. जो धर्म की बात पर लड़कर समाज में कलह पैदा करते हैं, उन लोगों के लिए सैलानी बाबा की दरगाह, शंकर बाबा और उनके द्वारा स्थापित यह परम्परा एक अच्छी मिसाल है.