अदिति भादुड़ी
आवाज़ द वॉयस चार साल का हो गया ! और मैं इससे ज़्यादा खुश और गौरवान्वित नहीं हो सकती. इसकी शुरुआत 2021 में "सकारात्मक कहानियाँ" कहने की मामूली आकांक्षा के साथ हुई थी और इसने अपनी साख पर कायम रहते हुए अपना वादा निभाया और एक और साल पूरा हुआ !
इस नए साल में हम एक अनिश्चित दुनिया में प्रवेश कर चुके हैं. भारत सहित दुनिया भर में कई तरह के संघर्ष चल रहे हैं. कभी-कभी, कोई यह महसूस किए बिना नहीं रह सकता कि अपने सभी युद्धों के बावजूद, भारत स्थिरता के नखलिस्तान की तरह बना हुआ है. यहाँ जनसंचार माध्यमों की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है. यह लाखों लोगों के दिमाग को आकार देता है. उनके विचारों को रंग देता है. जीवन के प्रति उनके दृष्टिकोण को बदलता है. यहाँ, आवाज द वाॅयस निराश नहीं करता.
आवाज द वाॅयस के साथ सहयोग करते हुए यह मेरा तीसरा साल है. आवाज द वाॅयस के साथ मेरा रिश्ता दोहरा है. जैसे ही मैंने इसके लिए लिखना शुरू किया, मैंने इसे पढ़ना भी शुरू कर दिया. यहाँ मैंने जो पाया वह यह है:आवाज द वाॅयस केवल सकारात्मक कहानियाँ ही नहीं बनाता, यह ऐसी कहानियाँ भी ढूँढ़ता है जो लंबे समय से धूल खा रही थीं और खत्म हो चुकी थीं. यह उन सूचनाओं, आख्यानों और अनुभवों के अंशों को उजागर करता है जिनकी बहुत आवश्यकता है, लेकिन किसी न किसी कारण से शायद ही कभी उजागर किया जाता है.
इसलिए, यह साइट लंबे समय से भूले हुए इतिहास का भी वर्णन करती है. यह मानवीय अनुभव का एक महत्वपूर्ण भंडार बन गया है. साथ ही, मुख्यधारा की घटनाओं और समाचारों का इसका कवरेज भी पूरी तरह बरकरार है. एक पर ध्यान केंद्रित करने से दूसरे को बाहर नहीं किया जा सकता. इसलिए मेरे लिए, आवाज द वाॅयस समाचार, विचार और ज्ञान का एक महत्वपूर्ण स्रोत बन गया है.
अब, एक योगदानकर्ता के रूप में आवाज द वाॅयस के साथ अपने अनुभव की बात करें तो मैं वास्तव में प्रभावित हूँ. आवाज द वाॅयस के विस्तारित परिवार के हिस्से के रूप में यह मेरा तीसरा वर्ष है और अब तक मुझे किसी भी संपादकीय हस्तक्षेप का सामना नहीं करना पड़ा. न केवल मुझे अपनी इच्छानुसार लिखने की अनुमति है, बल्कि जब मुझे कोई विशेष विषय दिया जाता है, तो मुझे इसे जिस तरह से देखना है, उस तरह से कवर करने की पूरी स्वतंत्रता है. आज मीडिया की दुनिया में यह दुर्लभ है.
मेरी कहानियों को कभी भी बदला या संपादित नहीं किया जाता है, प्रक्रिया त्वरित और सुव्यवस्थित है, और अक्सर क्षेत्रीय भाषाओं में भी प्रकाशित होती है, जिससे पहुँच और पाठक वर्ग का विस्तार होता है.यह भी सराहनीय है कि आवाज द वाॅयस ऐसी खबरें भी प्रकाशित करता है जिनका कभी-कभी भारत से कोई स्पष्ट संबंध नहीं होता, लेकिन फिर भी भू-राजनीति, रणनीतिक और विश्व मामलों के संदर्भ में महत्वपूर्ण हैं. उदाहरण के लिए, ईरान में चुनाव और ताजिकिस्तान में हिजाब पर प्रतिबंध.
हालांकि इनमें से किसी भी विषय का भारत से कोई सीधा संबंध नहीं , फिर भी वे भारत सहित दुनिया की बड़ी योजनाओं में महत्वपूर्ण हैं. आवाज द वाॅयस के पास इसे समझने की सूझबूझ और दूरदर्शिता है, जबकि कई अन्य मुख्यधारा के प्रकाशनों में दूरदर्शिता का अभाव है और वे इस तरह के विश्लेषण को छोड़ देते हैं.
यही वह चीज है जिसने आवाज द वाॅयस की सफलता में मदद की है. यह अपने सूक्ष्म और स्थूल दोनों दृष्टिकोणों के साथ एक व्यापक, परिष्कृत और जिम्मेदार समाचार और विश्लेषणात्मक पोर्टल के रूप में तेजी से उभर रहा है. इसलिए, यह बहुत खुशी और गर्व के साथ है कि मैं इस कठिन क्षेत्र में एक और सफल वर्ष पूरा करने पर आवाज़-द वॉयस को बधाई देती हूं. मैं आवाज़-द वॉयस के साथ कई दशकों तक पढ़ने और सहयोग करने की भी उम्मीद करती हूं.
(अदिति भादुड़ी एक स्वतंत्र पत्रकार हैं, जिनकी विशेषज्ञता मध्य-पूर्व और मध्य एशियाई मामलों पर है)