आवाज द वाॅयस/नई दिल्ली
हाल के दिनों में इजरायल और हमास के बीच बढ़ते तनाव ने भारतीय बासमती चावल के निर्यात पर गंभीर प्रभाव डाला है.ईरान, जो सऊदी अरब के बाद भारतीय बासमती का दूसरा सबसे बड़ा आयातक है, इस संघर्ष के कारण खासा प्रभावित हुआ है.भारत से निर्यात होने वाले बासमती चावल का लगभग 25% हिस्सा हर साल ईरान को जाता है, लेकिन मौजूदा स्थिति ने निर्यात में महत्वपूर्ण कमी ला दी है.
निर्यात में गिरावट के आंकड़े
कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा) के हालिया आंकड़ों के अनुसार, पिछले वर्ष भारत ने ईरान को 9.98 लाख टन बासमती चावल निर्यात किया था.इस वर्ष अप्रैल से अगस्त के बीच का आंकड़ा केवल 3.98 लाख टन है.इस कमी ने न केवल निर्यातकों को प्रभावित किया है, बल्कि बासमती धान की खरीद में भी गिरावट आई है, जिसका सीधा असर कीमतों पर पड़ा है.
कीमतों में गिरावट
हरियाणा और पंजाब की मंडियों में बासमती धान की 1509 किस्म की कीमतें वर्तमान में 2800 से 3200 रुपये प्रति क्विंटल के बीच हैं, जबकि पिछले वर्ष इसी समय यह कीमत 3500 से 3800 रुपये प्रति क्विंटल थी.
अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी बासमती चावल की कीमतों में कमी आई है.निर्यातकों के अनुसार, 1509 बासमती चावल की कीमत लगभग 880 डॉलर प्रति टन है, जो पिछले साल से लगभग 15% कम है। पिछले साल इस समय में 1509 बासमती चावल का भाव 1000 डॉलर प्रति टन से ऊपर था.
व्यापार में रुकावट
बासमती चावल निर्यातकों का कहना है कि ईरान-इजरायल संघर्ष के चलते बीमा कंपनियों ने ईरान को निर्यात पर बीमा प्रदान करना बंद कर दिया है.बीमा सुरक्षा के बिना निर्यातकों के लिए जोखिम बढ़ गया है, और वे निर्यात करने से हिचक रहे हैं.इस स्थिति ने व्यापार में और अधिक रुकावटें उत्पन्न की हैं, जिससे निर्यातकों की चिंता बढ़ी है.
नहीं मिल रहा बड़ा ऑर्डर
अमृतसर के अजनाला के एक बासमती किसान मंजीत सिंह ने कहा कि उन्हें कोई बड़ा ऑर्डर नहीं मिला है, क्योंकि निर्यातक संघर्ष का हवाला दे रहे हैं.उन्होंने कहा कि यह विडंबना है कि अनुकूल मौसम के कारण अच्छी पैदावार होने के बाद भी किसानों को अपनी उपज का उचित दाम नहीं मिल पा रहा है.
पिछले साल भी, राज्य के बासमती निर्यातकों को परेशानियों का सामना करना पड़ा था.क्योंकि बीमा कंपनियों ने सऊदी अरब, जो कि बासमती चावल का एक प्रमुख आयातक है, को भेजे जाने वाले स्टॉक को कवर करना बंद कर दिया था.ऐसा जेद्दा के यमन से निकटता के कारण हुआ था। बासमती निर्यातक अमरजीत सिंह ने कहा कि ऐसा इसलिए था क्योंकि इस रास्ते पर चलने वाले जहाजों को यमन में हौथी विद्रोहियों से खतरा था.
सरकार की प्रतिक्रिया
ऑल इंडिया राइस एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष सुशील गोयल ने बताया कि ईरान-इजरायल संघर्ष ने निर्यात पर प्रभाव डाला है, लेकिन सरकार द्वारा पिछले महीने न्यूनतम निर्यात मूल्य (एमईपी) को हटाने के बाद बासमती धान की कीमतों में सुधार भी हुआ है.1509 धान की कीमतों में 500 से 700 रुपये की वृद्धि हुई है, जिससे किसानों को थोड़ी राहत मिली है.
भविष्य की उम्मीदें
सुशील गोयल ने यह भी कहा कि ईरान-इजरायल तनाव के कारण मध्य पूर्व (खाड़ी देशों) में बासमती चावल की मांग पर असर पड़ सकता है, लेकिन उद्योग को उम्मीद है कि कुल मिलाकर आगे भी मांग बनी रहेगी.हरियाणा राइस एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष सुशील जैन ने भी इस बात पर जोर दिया कि संघर्ष के कारण निर्यात में सीधा असर पड़ा है, लेकिन उन्हें विश्वास है कि स्थिति में सुधार होगा.
निर्यातकों और किसानों की उम्मीद
इस संघर्ष के चलते भारतीय बासमती चावल के निर्यात में कमी आई है, लेकिन निर्यातकों और किसानों को उम्मीद है कि जल्द ही स्थिति में सुधार होगा.इस समय बाजार में स्थिरता लाने के लिए उद्योग और सरकार दोनों को सक्रिय कदम उठाने की आवश्यकता है.
बासमती चावल न केवल भारतीय कृषि का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, बल्कि यह देश की अर्थव्यवस्था में भी महत्वपूर्ण योगदान देता है.ऐसे में इस संकट को हल करना आवश्यक है ताकि किसानों और निर्यातकों को दीर्घकालिक लाभ मिल सके.