आवाज द वाॅयस/नई दिल्ली
मुस्लिम राष्ट्रीय मंच (MRM) द्वारा आयोजित "सद्भावना सप्ताह" के तहत दिल्ली के मदरसे के बच्चों के साथ एक विशेष संवाद सत्र आयोजित किया गया. इस कार्यक्रम में मंच के मार्गदर्शक और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के वरिष्ठ सदस्य इंद्रेश कुमार ने भाग लिया.
इस दौरान मदरसे में "इंकलाब जिंदाबाद," "वंदे मातरम" और "जय हिंद" के नारों से देशभक्ति का जोश उमड़ पड़ा. वक्ताओं ने स्वतंत्रता संग्राम के नायकों को याद करते हुए कहा कि आज़ादी सिर्फ अधिकार नहीं, बल्कि जिम्मेदारी भी है.
इस अवसर पर राष्ट्रीय अल्पसंख्यक शैक्षिक संस्थान आयोग (NCMEI) के कार्यवाहक अध्यक्ष डॉ. शाहिद अख्तर, डॉ. शालिनी अली, कर्नल ताहिर मुस्तफा, जस्टिस ताशी रफ़्तान, शिराज कुरैशी, हाफिज साबरीन, इमरान चौधरी, फैज अहमद फैज, शाकिर हुसैन, डॉ. रहमतुल्लाह, और मदरसे के मौलाना मोहम्मद साद समेत अन्य शिक्षक व गणमान्य लोग मौजूद रहे.
इंद्रेश कुमार ने मदरसे के बच्चों से संवाद किया और पूछा— "आप लोग बड़े होकर क्या बनना चाहते हैं? वैज्ञानिक, डॉक्टर, इंजीनियर या कोई प्रशासनिक अधिकारी?" उन्होंने बच्चों की महत्वाकांक्षाओं को प्रेरित करते हुए कहा कि धार्मिक शिक्षा (मदरसे की तालीम) के साथ-साथ आधुनिक शिक्षा (दुनियावी तालीम) भी बेहद आवश्यक है.
उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि डॉक्टर बनने के लिए जीवविज्ञान, इंजीनियर बनने के लिए गणित और विज्ञान, प्रशासनिक अधिकारी बनने के लिए तर्कशक्ति और समसामयिक विषयों की जानकारी जरूरी है.
उन्होंने जोर देकर कहा कि ज्ञान ही सबसे बड़ी ताकत है और मुस्लिम समाज को अपने बच्चों को बेहतर भविष्य देने के लिए उनकी शिक्षा पर विशेष ध्यान देना चाहिए.
इंद्रेश कुमार ने बच्चों को एक महत्वपूर्ण संदेश दिया— "सबसे पहले हिंदुस्तानी बनो." उन्होंने कहा, "तुम जो भी बनना चाहते हो— डॉक्टर, इंजीनियर, अफसर, साइंटिस्ट— सबसे पहले खुद को हिंदुस्तानी मानो.
सबसे बड़ा धर्म इंसानियत, सबसे बड़ा कर्म देशभक्ति और सबसे बड़ी पहचान 'हिंदुस्तानी' है।" उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम के महापुरुषों महात्मा गांधी, सुभाष चंद्र बोस, डॉ. जाकिर हुसैन और सरदार पटेल के योगदान की चर्चा की और कहा कि "जब हम भारत माता की जय बोलते हैं, तो वह केवल एक नारा नहीं, बल्कि हमारी संस्कृति का प्रतीक होता है."
NCMEI के कार्यवाहक अध्यक्ष डॉ. शाहिद अख्तर ने कहा, "बच्चों को सिर्फ धार्मिक शिक्षा तक सीमित नहीं रहना चाहिए, बल्कि आधुनिक विज्ञान, गणित, कंप्यूटर और व्यवसायिक शिक्षा में भी आगे बढ़ना चाहिए.
जब तक शिक्षा में बदलाव नहीं होगा, तब तक तरक्की मुश्किल है।" उन्होंने मदरसों को राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 के अनुरूप आधुनिक शिक्षा के साथ जोड़ने की जरूरत बताई.
मंच की राष्ट्रीय संयोजक डॉ. शालिनी अली ने कहा, "एक शिक्षित महिला एक पूरे परिवार को शिक्षित करती है. इसलिए, मुस्लिम राष्ट्रीय मंच का संकल्प है कि हर गरीब और जरूरतमंद बच्चे को शिक्षा मिले, खासकर लड़कियों को.
" उन्होंने घोषणा की कि मंच द्वारा दिल्ली, उत्तर प्रदेश, बिहार और राजस्थान में जरूरतमंद महिलाओं को स्वरोजगार प्रशिक्षण दिया जाएगा, जिसमें सिलाई मशीन, ट्यूशन सेंटर और कंप्यूटर प्रशिक्षण जैसी सुविधाएँ दी जाएँगी.
मंच की सेवा यात्रा केवल शिक्षा तक सीमित नहीं है, बल्कि स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी आगे बढ़ रही है. झारखंड के बोकारो में 550 बेड के "मेडिकेंट कैंसर हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर" का उद्घाटन किया गया, जो झारखंड और पूर्वोत्तर भारत के कैंसर मरीजों के लिए वरदान साबित होगा.
मंच के राष्ट्रीय संयोजक और अस्पताल के प्रबंध निदेशक डॉ. माजिद तालिकोटी ने कहा, "सेवा ही सच्चा धर्म है। हमारा उद्देश्य सिर्फ एक अस्पताल खोलना नहीं, बल्कि गरीब और जरूरतमंद मरीजों तक सस्ता और सुलभ इलाज पहुँचाना है."
उन्होंने घोषणा की कि हर साल 18 फरवरी को जरूरतमंद मरीजों के लिए निःशुल्क कैंसर इलाज किया जाएगा.
"सद्भावना सप्ताह" केवल दिल्ली तक सीमित नहीं रहा, बल्कि पूरे भारत में मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के कार्यकर्ता सक्रिय रहे. इस दौरान:
महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और उत्तराखंड में गरीबों को राशन, गर्म कपड़े, कंबल, दवाइयाँ और फल वितरित किए गए.
लखनऊ और देहरादून में रक्तदान शिविर आयोजित किए गए.
भोपाल और जयपुर में स्वच्छता अभियान और पौधारोपण कर पर्यावरण सुरक्षा का संदेश दिया गया.
मस्जिदों, मंदिरों, चर्चों और गुरुद्वारों में शांति और भाईचारे की प्रार्थनाएँ की गईं.
पटना और भोपाल में "सद्भावना यात्रा" आयोजित हुई, जिसमें हर समुदाय के लोगों ने भाग लिया.
मंच के पदाधिकारियों ने इस बात को दोहराया कि वे हर गाँव, हर शहर, हर समुदाय तक जाकर शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार और समाज सेवा के लिए काम करेंगे. "सद्भावना सप्ताह" सिर्फ एक कार्यक्रम नहीं, बल्कि राष्ट्र सेवा, भाईचारे और एकजुटता का संकल्प है.