Exclusive interview  : इस्लाम देशभक्तिपूर्ण भाईचारा सिखाता है, यह संविधान के ढांचे में सह-अस्तित्व से निर्देशित हो: डाॅ. अल-इस्सा

Story by  मलिक असगर हाशमी | Published by  [email protected] | Date 15-07-2023
Exclusive interview  : इस्लाम देशभक्तिपूर्ण भाईचारा सिखाता है, यह संविधान के ढांचे में सह-अस्तित्व से निर्देशित हो: डाॅ. अल-इस्सा
Exclusive interview  : इस्लाम देशभक्तिपूर्ण भाईचारा सिखाता है, यह संविधान के ढांचे में सह-अस्तित्व से निर्देशित हो: डाॅ. अल-इस्सा

 

मलिक असगर हाशमी / नई दिल्ली

उदारवादी इस्लाम का बड़ा चेहरा माने जाने वाले मुस्लिम वल्र्ड लीग प्रमुख और सऊदी अरब सरकार में कानून मंत्री रहे मोहम्मद बिन अब्दुल करीम अल-इस्सा इनदिनों भारत दौरे पर हैं. इस दौरान सांप्रदायिक सौहार्द पर दिए गए उनके बयान दिल छूने वाले रहे. इस क्रम में आवाज द वाॅयस के मुख्य संपादक आतिर खान एवं तहमीना रिजवी ने मोहम्मद बिन अब्दुल करीम अल-इस्सा से एक्सक्लूसिव बातचीत की. पेश है इसके मुख्य अंश. पूरा इंटरव्यू देखने-सुनने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें-

सवालः यह आपकी पहली भारत यात्रा है. पिछले दो दिनों में आपने समाज के विभिन्न वर्गों के लोगों से बातचीत की है. हमारे देश की विविधता और आतिथ्य के बारे में आपकी क्या राय है?
 
डाॅ. अल-इस्सा: धन्यवाद ! मैं यहां आकर बहुत प्रसन्न हूं. मित्र गणतंत्र देश भारत आने से पहले मुझे पता था कि यहां विविधता है. जब मैं यहां आया तो मैंने सचमुच इसे जमीन पर पाया. हम सभी के साथ संवाद कर हैं. इसमें राजनेता भी शामिल हैं. विचारक भी.
 
सफल नेतृत्वकर्ता भी. यहां वास्तव में विविधता है. यह सह-अस्तित्व की सुंदरता को दर्शाता है. इसका मुझे पहले से आभास था. जानता हूं कि भारत संविधान से चलने वाला देश है. इसका संविधान समावेशी है.
 
सभी को गले लगाता है. हम जानते हैं कि भ्रम का असर हर किसी पर पड़ता है. यहां सभी के अधिकारों की रक्षा होती है. भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ बहुत महत्वपूर्ण बैठक हुई. हमने कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा की. हमारी महामहिम, भारत की राष्ट्रपति से भी महत्वपूर्ण मुद्दे पर चर्चा हुई. साथ ही हिंदू लीडर्स के साथ भी सार्थक बातें हुईं.
 
भारत में यह मित्रों की बैठक थी. दोस्ती का नवीनीकरण हुआ’. ऐसे कई हिंदू नेतृत्व हैं जिन्हें मैं पहले से जानता हूं. आप मिलते हैं और दोस्ती को नवीनीकृत करते हैं. इसी तरह, इस्लामिक नेताओं के साथ भी मेरी बहुत सार्थक बैठक हुई.
 
उन्हें इस बात की खुशी है कि उन्हें अपने राष्ट्र पर गर्व है. अपने साथी नागरिकों पर भी गर्व है. हालांकि, यहां भारत में मेरी यात्रा के दौरान, उपस्थित लोग बहुत विविध थे. भारतीय समाज के विभिन्न पहलुओं से, हर किसी से बहुत सकारात्मक प्रतिक्रिया मिली.
 
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भारत के सभी मजबूत सभ्यता और ऐतिहासिक संबंध हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अरब के साथ व्यापक रणनीतिक साझेदारी का मार्ग प्रशस्त किया है. भारत की जी 20 की अध्यक्षता नई विश्व व्यवस्था में हमारे संबंधों को मजबूत करने का एक और अवसर लेकर आई है.
 
सवाल: सऊदी अरब ने कई प्रगतिशील सुधारों का नेतृत्व किया है. पवित्र कुरान मुस्लिम महिलाओं को पुरुषों के बराबर का दर्जा देता है. इस्लामी दुनिया में महिला सशक्तिकरण की दिशा और मुस्लिम वर्ल्ड लीग में अपने काम के बारे में हमें बताएं ?
 
डाॅ. अल-इस्सा: हम समाज में महिलाओं की भूमिका को सकारात्मक मानते हैं. हम जानते हैं कि यह भूमिका महिलाओं और पुरुषों के बीच समान अधिकारों की है. हम इसे जमीन पर देख सकते हैं.
 
यह सिर्फ कागजों पर नहीं है. सभी अधिकारों के हकदार हैं.सऊदी अरब की तुलना अन्य देशों से की जाती है. यहां तक कि कुछ बहुत उन्नत देशों से भी. यह बात अलग है कि वहां दोनों लिंगों के बीच पूरी तरह से न्यायपूर्ण समानता है.
 
अरब देशों में कुछ भेदभाव या असमानताएं पाई जा सकती हैं, पर यह दुनिया के बहुत उन्नत देशों से अलग है. हम देखते हैं कि ये समान अधिकार सिर्फ दो लिंगों के बीच हैं, पर वो इस्लामी न्यायशास्त्र पर आधारित हैं.
 
हम एक सऊदी हैं. यहां बहुत ही निष्पक्ष, दो लिंगों के बीच का उत्थान बहुत व्यापक है. सऊदी महिलाएं समाज के सभी क्षेत्रों में उपस्थिति हैं . वो समान अवसरों के साथ काम करती है. जो कोई भी अरब का दौरा करता है और पहली बार इसका अनुभव करता है, वह इसे जमीन पर देख सकता है. 
 
विविध समाजों में रहने वाले मुसलमानों की भूमिका, मुस्लिम महिलाओं के अधिकार, अंग दान, ब्याज, बैंकिंग इंटरनेट पर पूछे गए एक सवाल के जवाब में डाॅ. अल-इस्सा ने कहा- 
इस संबंध में इस्लाम में स्पष्ट अवधारणा है.
 
इसका बहुमुखी स्वरूप है. अर्थात् धर्म में कोई बाध्यता नहीं है. हर कोई अपनी आस्था चुनने के लिए स्वतंत्र है. एक विस्तृत क्षितिज और एक विस्तृत और खुला आउटलेट है. हमारी दुनिया में स्थिरता को बढ़ावा मिला है.
 
विचारधारा में मतभेद के बावजूद -मुसलमान, जहां भी वे विभाजित हैं, उन्हें कानून, प्रचलित संस्कृति और लोगों की इच्छा का पालन करना होगा ताकि ये अवधारणाएं लोगों के बीच सह-अस्तित्व को बढ़ावा दे सकें.
 
अन्य का आदर करें. प्यार के दायरे में रहकर सम्मान करना चाहिए. विविधता या मतभेद संघर्ष का स्रोत नहीं, बल्कि संवर्धन का स्रोत बनाना चाहिए.- निस्संदेह, इस्लाम एक राष्ट्र के नागरिकों को  देशभक्तिपूर्ण भाईचारा सिखाता है. इसे संविधान के ढांचे के भीतर सह-अस्तित्व द्वारा निर्देशित किया जाना चाहिए. जापान में भी इसी आधार पर इस्लाम है.
 
उन्होंने कहा-धर्म में कोई बाध्यता नहीं है. इसे अपने हिसाब से हर कोई चुनने के लिए स्वतंत्र है. इस्लाम आया, जब पहनावे में समझदारी की बात आई.  विस्तृत एवं खुला दृष्टिकोण   हमारी दुनिया में स्थिरता को बढ़ावा देता है.
 
मुसलमान, जहां भी विभाजित हैं, उन्हें कानून, प्रचलित संस्कृति और वहां के लोगों की इच्छा का पालन करना होगा. यानी ये अवधारणाएं विचारधारा में अंतर के बावजूद लोगों के बीच सह-अस्तित्व को बढ़ावा देती हैं.उन्होंने कहा कि इस्लामवादी छात्र और विद्वान को उसके अनुसार काम करना चाहिए.
 
मक्का के चार्टर के बारे में बात करते हुए अल-इस्सा ने इसे ऐतिहासिक चार्टर बताया. कहा कि यह विभिन्न घटकों के साथ काम करने का यह एक तरीका है. इसलिए हमारे पास यह चार्टर है. इस चार्टर के अनुच्छेदांे के माध्यम से सबको समझा जा सकता है.
 
हर किसी के समझने के लिए यह ऑनलाइन उपलब्ध है. यह शांति और सौहार्दपूर्ण और छोटा और हानिरहित है.  ताइवान और सूडान का अंत हो चुका है. हमें इससे बहुत कुछ मिला है. मुस्लिम वल्र्ड लीड के प्रयासों का जिक्र करते हुए डाॅ अल-इस्सा ने कहा  हमने एक पहल शुरू की है.
 
यह संयुक्त राष्ट्र द्वारा मान्यता प्राप्त है. इसका स्वागत किया गया है. संयुक्त राष्ट्र के महासचिव ने भी इसका स्वागत किया है. एक घटना के रूप में यह सार्वभौमिक है. हमारे पास भी यहां कुछ काम है और हमने इसे बचाने के लिए उनका समर्थन किया है.
 
यदि आप इस पहल के लिए पूछें, तो एक अंतरराष्ट्रीय कार्यक्रम है जो पूरी दुनिया में जगह लेगा, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि यह शांति के विचार को बढ़ावा दे रहा है. हमारे बीच मतभेद हैं. हम अलग हैं, लेकिन हमारे पास कई मूल्यों के जानकार भी हैं.
 
हम यह भी चाहते हैं कि हम इन्हें साथ लाएं. मैं आपका, किसी का भी स्वागत करूंगा. यह दो सभ्यताओं की झलक होगी. डायलॉग से कोशिशें बढ़ती हैं. मेरे बहुत सारे दोस्त हिंदू हैं. मुझसे मिलने बहुत-सी प्रमुख हस्तियां दूर-दूर से आती हैं और अभियान को बढ़ावा देने के लिए हिस्सा बनती हैं.
 
आप जानते हैं, ऐसे सम्मेलनों का उद्देश्य. सम्मेलन के बाद, मेरी मुलाकात होती है. मिशन को समर्थन मिलता है. यह सम्मेलन महत्वपूर्ण पहल है. मार्था लूथर किंग के बेटे भी ऐसे कार्यक्रम में आ चुके हैं.
 
उन्होंने कहा था कि यह आयोजन एक महत्वपूर्ण विषय प्रस्तुत करता है. इसलिए मैं भारत में हूं. हमें सिर्फ पहल की जरूरत नहीं है. हमें पहल करने की जरूरत है. हमें सिर्फ शब्दों की जरूरत नहीं. हमें कार्रवाई की जरूरत है. 
 
भारत में विभिन्न सम्मेलनों में भाग लेने के उनके अनुभव को लेकर पूछे गए एक सवाल के जवाब में डाॅ. अल-इस्सा ने कहा-निश्चित रूप से यह अपर्याप्त है. हमें उन्हें एक साथ बुलाना होगा. तब और राष्ट्रीय समाजों के बीच अधिक सामंजस्य और अधिक सामयिक होगा.
 
मुझे यकीन है कि मेरे अधिकांश दोस्तों के पास इसका महत्व है. हम उनसे लगातार संपर्क में रहेंगे. सांप्रदायिक सद्भाव, राष्ट्रीय एकत को बढ़ावा दंेगे. भारतीय उन्नत ज्ञान की बात करते हैं, जो समृद्धि रही है. 
 
सोशल मीडिया और अन्य मीडिया द्वारा फैलाए जा रहे नकारात्मकता पर बात करते हुए अल-इस्सा ने कहा किऐसी विचारधाराओं और स्ट्रीमिंग का मुकाबला करने के लिए टेलीविजन प्रणाली के पास सबसे तेज मंच है.
 
अपने सभी दोस्तों और समुदायों के साथ, वे विचारों जैसे देशों के लिए बहुत, बहुत सक्षम हैं, निश्चित रूप से, इसका इस्तेमाल करें. ऐसे लोग दोनों धर्मों के हैं या किसी आतंकवादी से जुड़े हुए हैं. ऊपर से आने वाला कोई भी नकारात्मक प्रभाव खतरनाक है.
 
उन्होंने एक सवाल के जवाब में कहा कि यह सुनिश्चित करने के लिए पर्याप्त है कि शांति और सौहार्द हानिरहित है. यह इस्लाम की आवश्यकता है. बौद्धिक हमलों को रोका जा सकता है.  जांच, सुलह और संवाद से टकराव और निंदा को कम किया सकता है. ऐसे में कौन जाएगा और कौन रहेगा, इसकी चिंता नहीं करनी चाहिए. 
 
उन्होंने कहा,  इसलिए हमने दुनिया भर के लोगों और देशों के बीच दोस्ती करने का अभियान अपनाया. हमारा काम दुनिया में सामंजस्य सुनिश्चित करना है.हम दुनिया भर में साझेदार हैं. इस समान उद्देश्य के लिए एक साथ आएं और मिलकर काम कर रहे हैं. मैं इससे बहुत खुश हूं. मुझमें एक जादूगर, मेरी सफल बैठकों के लिए. 
 
अंत में उन्हांेने एक बार फिर कहा-भारत की यह यात्रा भारत गणराज्य में हमारे दोस्तों की यात्रा है. मैं इस यात्रा से बहुत खुश हूं. इस यात्रा के दौरान, निश्चित रूप से, हमारी बहुत महत्वपूर्ण बैठकें हुईं और मुझे राजनीतिक क्षेत्र के नेतृत्व के साथ धार्मिक नेतृत्व से भी मिलकर खुशी हुई.
 
ये सभी बैठकें बहुत समृद्ध थीं. हमने कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा की जो राष्ट्रीय समाजों की सद्भावना और हमारी दुनिया की शांति से संबंधित हैं. मुस्लिम वर्ल्ड लीग के भारत में मुसलमानों को अपने संविधान पर गर्व है, साथी नागरिकों के साथ उनके भाईचारे के रिश्ते हैं.
 
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