मोहम्मद अकरम / नई दिल्ली
इन दिनों मुस्लिम इलाकों में ईद अल-अज़हा की तैयारी को लेकर चहल पहल है. लोग नए कपड़े और पशुओं की खरीदारे के लिए बाजार पहुंच रहे हैं. वहीं, ईद अल-अज़हा की नमाज और उसके बाद जानवरों की कुर्बानी के रस्म को लेकर दिल्ली की सामाजिक संस्थाओं के साथ मदरसों के जिम्मेदारों ने अपने अपने तौर पर पहल की है.इस दौरान साफ-सफाई को लेकर लोगों को जागरूक कर रहे हैं. ताकि कुर्बानी के दौरान किसी तरह की गंदगी फैलने से रोका जाए.
ईदगाह जाफराबाद वेलकम में ईद अल-अज़हा की नमाज के लिए तैयारी जारी है. ईद की नमाज 6:45बजे पढ़ी जाएगी.कई वर्षों से नमाज दिल्ली के अमीर ए शरियत मौलाना मोहम्मद शमीम कासमी पढ़ाते हैं. ईदगाह में जारी काम को जंगी पैमाने पर दिया जा रहा है.
कुर्बानी के दौरान आस्था को ठेस नहीं पहुंचे
ईदगाह इंतजामिया के अध्यक्ष हाजी इकबाल अहमद ने बताया कि ईद अल-अज़हा मुसलमानों का दूसरा बड़ा त्योहार है जिसका इंतजार लोग करते है. नमाज के लिए ईदगाह का काम जारी है. ये ईदगाह बहुत बड़ी है, जिसमें कई हजार लोग एक साथ नमाज पढ़ते हैं.बाहर कोई नमाज नहीं पढ़ता है. ईदगाह कमेटी सभी तरह का इंतजाम करती हैं. जुमा की नमाज में लोगों से इस पर खुल कर बातें रखी गई ताकि कुर्बानी के दौरान किसी की आस्था को ठेस नहीं पहुंचे.
आसपास साफाई सुथराई रखे
पशुओं की कुर्बानी के बारे में हाजी इकबाल अहमद बताते, “इसके लिए सभी को पहले से बता दिया गया है .ईदगाह में नमाज के बादभी बताया जाएगा कि कोई गंदगी न फैलाएं. आसपास साफाई रखे. पशुओं के खाल और हड्डी के लिए मोहल्ले में मुनासिब जगह की व्यवस्था की जाए, जिससे गंदगी न फैले.
ईद-उल-अजहा इस्लाम धर्म में बलिदान का प्रतीक है
अमीर ए शरियत मौलाना मोहम्मद शमीम कासमी ने बताया यहां पर ईद-उल-अजहा या फिर बकरीद को इस्लाम धर्म में बलिदान का प्रतीक माना जाता है. इस दिन सुबह नमाज अदा की जाती है और उसके बाद जानवरों की कुर्बानी दी जाती है. इसके बाद कुर्बानी के बकरे को तीन भागों में बांटा जाता है जो अलग-अलग जगह देने का नियम होता है. इसमें पहले भाग को रिश्तेदारों और दोस्तों के लिए तो वहीं दूसरा हिस्सा गरीब, जरूरतमंदों को दिया जाता है जबकि तीसरा हिस्सा परिवार के लिए होता है.
सामाजिक सौहार्द बना रहे.
मौलाना शमीम कासमी ने आगे बताया कि ऐसा देखा गया है कि कुर्बानी के दिनों में जानवरों के गोश्त को एक जगह से दूसरी जगह ले जाने पर विवाद होता है. मुसलमानों को चाहिए कि वह इन दिनों के अलावा अन्य दिनों में भी गोश्त को छुपा कर ले जाएं. जुमा की नमाज में लोगों को इस के हवाले से जागरूक किया गया, जिससे सामाजिक सौहार्द बना रहे.
इसी ईदगाह कमिटी के जनरल सेक्रेटरी हाजी मोहम्मद सरवर ने बताया कि ईद की नमाज को लेकर कमिटी पूरी तैयारी के साथ काम कर रही है. इस काम के लिए मस्जिद और ईदगाह के आसपास के लोगों से मदद ली जा रही है. मुख्य द्वार को इस बार खूबसूरत बना दिया गया है. ईदगाह को अंदर से हर साल की तरह इस साल भी सजाने की तैयारी है.