फजल पठान
चुनाव अपने अंतिम चरण में है.महाराष्ट्र के 25 से अधिक विधानसभा क्षेत्रों में मुस्लिम वोट निर्णायक भूमिका निभाने वाले हैं.लेकिन कुछ जगहों पर एक से अधिक पसंदीदा उम्मीदवार होने के कारण मुस्लिम वोटों के बंटने की संभावना है.राज्य के इन मुस्लिम बहुल क्षेत्रों की कुछ चुनावी लड़ाइयों पर पूरे देश की निगाहें टिकी हुई हैं.ये निर्वाचन क्षेत्र अपने लोकप्रतिनिधियों के नाम से जाने जाते हैं.ऐसे ही चर्चित क्षेत्रों में से एक है मुंबई का अनुशक्तिनगर विधानसभा क्षेत्र.
मुंबई के अनुशक्तिनगर विधानसभा क्षेत्र में मुस्लिम आबादी लगभग 30%है.पिछले कई दशकों से इस क्षेत्र पर मलिक परिवार का दबदबा रहा है.2004से राष्ट्रवादी कांग्रेस के नवाब मलिक इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं.2022में शिवसेना के बाद राष्ट्रवादी कांग्रेस में भी विभाजन हुआ, जिससे अजित पवार और शरद पवार के अलग-अलग गुट बने.इसके बाद नवाब मलिक किस ओर जाएंगे, इस पर काफ़ी चर्चा हुई.आखिरकार, नवाब मलिक ने शरद पवार का साथ छोड़कर अजित पवार के गुट का समर्थन किया.
विधानसभा चुनावों की घोषणा के बाद अनुशक्तिनगर विधानसभा सीट से किसे टिकट मिलेगा, इस पर सबकी निगाहें थीं.अजित पवार के नेतृत्व वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस ने नवाब मलिक की बेटी सना मलिक को उम्मीदवार बनाया है, जबकि शरद पवार ने नए चेहरे फाहद अहमद को मैदान में उतारा है.दोनों प्रमुख दलों के मुस्लिम उम्मीदवारों के कारण इस बार अनुशक्तिनगर का चुनाव प्रतिष्ठा का प्रश्न बन गया है.
कौन हैं सना मलिक?
सना मलिक, नवाब मलिक की बेटी हैं.कोरोना काल में सामाजिक कार्यों के कारण वह चर्चा में आईं.नवाब मलिक के जेल जाने के बाद, सना मलिक ने अपने पिता के निर्वाचन क्षेत्र की जिम्मेदारी संभाली.कहा जाता है कि उन्होंने क्षेत्र के लोगों की समस्याएं सुलझाने के लिए विशेष प्रयास किए.उनकी रहबर फाउंडेशन ट्रस्ट के माध्यम से गरीबों और जरूरतमंदों की मदद की जाती है.
अजित पवार की राष्ट्रवादी कांग्रेस से टिकट मिलने पर सना मलिक ने कहा, "मैंने अपने पिता के साथ मिलकर क्षेत्र में विकास कार्य किए हैं और उनकी अनुपस्थिति में क्षेत्र को संभाला है.उस समय क्षेत्र के लोगों ने मुझ पर विश्वास दिखाया.टिकट मिलने से खुशी है, लेकिन यह मेरे लिए एक बड़ी जिम्मेदारी भी है.हम पूरी ताकत से लड़ेंगे और जीतेंगे."
कौन हैं फाहद अहमद?
फाहद अहमद ने मुंबई के टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज (TISS) से एमफिल की पढ़ाई की है.उन्हें राजनीतिक विरासत अपने परिवार से मिली है.उनके पिता जिरार अहमद अलीगढ़ में समाजवादी पार्टी के स्थानीय नेता हैं.TISS में पढ़ाई के दौरान ही फाहद ने छात्र आंदोलनों में भाग लेना शुरू किया.
अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के छात्रों की फीस माफी के लिए उन्होंने आंदोलन किया.इसके बाद CAA और NRC विरोधी आंदोलनों में भी वह अग्रणी रहे.फाहद की पत्नी, अभिनेत्री स्वरा भास्कर, विभिन्न सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों पर अपने विचार व्यक्त करने के लिए जानी जाती हैं.वह फहाद के लिए भी सक्रिय रूप से प्रचार कर रही हैं.
फाहद अहमद ने 2022में विधायक अबू आजमी और रईस शेख की मौजूदगी में समाजवादी पार्टी जॉइन की थी.लेकिन इस चुनाव में उन्होंने शरद पवार की राष्ट्रवादी कांग्रेस से टिकट लेकर अनुशक्तिनगर से चुनाव लड़ने का फैसला किया.
मुस्लिम वोटों के विभाजन से प्रतिनिधित्व पर खतरा ?
अनुशक्तिनगर एक मुस्लिम बहुल क्षेत्र है.यहां मुस्लिम और वंचित वर्ग के वोटों का प्रभाव है.पिछले कई वर्षों से यहां से मुस्लिम उम्मीदवार ही जीतते आए हैं.इस बार सना मलिक और फाहद अहमद के बीच मुख्य मुकाबला है, जिससे मुस्लिम वोटों के बंटने की संभावना है.
सना मलिक महायुती (एनडीए) की उम्मीदवार हैं.नवाब मलिक पर लगे आरोपों के कारण भाजपा ने उनके खिलाफ रुख अपनाया है.भाजपा और शिवसेना के वोट सना मलिक को मिलेंगे या नहीं, इस पर संशय है.वहीं, तीसरे प्रमुख दल की बात करें तो मनसे से आचार्य विद्याधर चुनाव लड़ रहे हैं.अगर सना और फाहद के बीच मुस्लिम वोट बंटते हैं, तो तीसरे दल के उम्मीदवार के जीतने की संभावना बन सकती है.
अनुशक्तिनगर के मुस्लिम विकास से मेहरूम
यहां झुग्गी-बस्तियों से लेकर BPCL, IPCL, और HPCL जैसी बड़ी कंपनियां हैं.सामाजिक कार्यकर्ता आमिर काज़ी का कहना है, "बड़ी कंपनियों के बावजूद यहां स्थानीय युवाओं को नौकरियां नहीं मिलतीं.हमने स्किल डेवलपमेंट सेंटर बनाने की मांग की थी, लेकिन अब तक वह पूरी नहीं हुई."
उन्होंने यह भी कहा, "अनुशक्तिनगर भौगोलिक रूप से बड़ा क्षेत्र है, लेकिन यहां अच्छी स्कूलें और कॉलेज नहीं.युवा नशे की चपेट में हैं.सड़कों और गटर के काम अधूरे हैं.कचरा प्रबंधन नहीं होने से स्वास्थ्य पर खतरा बढ़ गया है.यहां के मुसलमान आज भी विकास से वंचित हैं."
क्या है अनुशक्तिनगर के मुसलमानों के दिल में
कुछ नेता इस बार 'वोट जिहाद' का झूठा प्रचार कर रहे हैं.इस पर स्थानीय मतदाता रेहान पटेल का कहना है, "मुस्लिम हमेशा विकास और सामाजिक एकता के आधार पर वोट करता आया है.हम उम्मीदवार का धर्म देखकर वोट नहीं देते.जो हमारी सुरक्षा और विकास के लिए काम करेगा, उसे वोट देंगे."
आगे उन्होंने कहा, "हम छत्रपति शिवाजी महाराज को मानते हैं.शिव, शाहू, फुले और आंबेडकर का यह महाराष्ट्र है, जहां सभी जाति-धर्म के लोग मिलकर रहते हैं.कुछ नेता हमें बदनाम करने के लिए 'वोट जिहाद' जैसे झूठे प्रचार का सहारा ले रहे हैं.हमें समझना चाहिए कि हमने भाजपा-शिवसेना सहित हर पार्टी के उम्मीदवार को वोट देकर जिताया है."
अनुशक्तिनगर की रुकी हुई विकास परियोजनाएं, बेरोजगारी, शिक्षा का अभाव, और मुस्लिम समाज की सुरक्षा जैसे मुद्दे इस बार चुनाव का केंद्र हैं.जो उम्मीदवार इन समस्याओं को हल करेगा, वही जीत दर्ज करेगा.मुस्लिम बहुल क्षेत्र होने के कारण मुस्लिम वोट जिस ओर जाएंगे, जीत उसी की होगी.लेकिन अगर वोट बंटते, तो राजनीतिक समीकरण किसी भी दिशा में जा सकते हैं.