ओनिका माहेश्वरी/ नई दिल्ली
योगी आदित्यनाथ की उत्तर प्रदेश सरकार ने महाकुंभ की सुरक्षा, इसके सुचारु संचालन तथा तीर्थयात्रियों की गिनती से लेकर लेन-देन और अन्य जानकारियां प्रदान करने के लिए उन्नत तकनीक का उपयोग किया है. इसलिए इसे ‘डिजिटल कुंभ’ भी कहा जा रहा है. इसमें कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) और एआई क्षमता से लैस कैमरों के अलावा एप, उन्नत ड्रोन और साइबर सुरक्षा की भी व्यवस्था की गई है.
3 डी में 'समुद्र मंथन' की पौराणिक कहानी से लेकर डिजिटल प्रदर्शनियों और कलाकारों द्वारा लाइव प्रदर्शन तक, आप महाकुंभ के कलाग्राम में इसका आनंद ले सकते हैं.
महाकुंभ में पहली बार ड्रोन शो का आयोजन किया जा रहा है. इसमें 2,000 ड्रोन रात को आकाश में ‘प्रयाग महात्म्य’ और ‘समुद्र मंथन’ जैसे पौराणिक कथाओं पर आधारित शो से श्रद्धालुओं को अचंभित कर रहे हैं.
डिजिटल कुंभ में लगी भगवान नीलकंठ की प्रतिमा, समुद्र मंथन के पास लगे एरावत हाथी, नौका विहार में नाव के पास और दीप दान करते समय श्रद्धालु सेल्फी लेना नहीं भूल रहे हैं. पर्यटन विभाग की ओर से लगाए गए डिजिटल कुंभ के मैनेजर सोरन तोमर ने बताया कि अब तक लगभग 90 हजार से अधिक श्रद्धालुओं ने डिजिटल कुंभ का आनंद लिया है.
वर्चुअल रियलिटी (वीआर) स्टॉल तीर्थयात्रियों को डिजिटल प्रारूप में पेशवाई जुलूस, गंगा आरती और शुभ स्नान दिवस जैसे प्रमुख कार्यक्रमों का अनुभव प्रदान कर रहे हैं.
इतना ही नहीं, संगम में प्रदूषण न हो, इसके लिए भी तट पर रियल टाइम में जल गुणवत्ता निगरानी प्रणाली स्थापित की गई है, ताकि तीर्थयात्री स्वच्छ जल में स्नान कर सकें.
वहीं, श्रद्धालुओं ने एआई के माध्यम से नारायण से बात कर उनका हाल जाना और अपने सवाल भी पूछे श्रद्धालुओं ने कहा कि यह डिजिटल कुंभ के साथ-साथ सनातन का कुंभ भी है.
साइबर सुरक्षा के लिए मेला क्षेत्र में हेल्प डेस्क, पुलिस चौकियां बनाई गई हैं. साथ ही, श्रद्धालुओं को साइबर ठगी के प्रति सचेत करने और जागरूक करने के लिए जगह-जगह पर डिस्प्ले लगाए गए हैं. साथ ही, एआई, फेसबुक, एक्स और गूगल का भी भरपूर उपयोग किया जा रहा है.
कुंभ मेला मोबाइल एप
तीर्थयात्रियों को सूचित करने और सहज अनुभव सुनिश्चित करने के लिए कुंभ मेला मोबाइल एप उपलब्ध है, जो नेविगेशन सहायता, आपातकालीन संपर्क और अनुष्ठानों व घटनाओं पर लाइव अपडेट देगा. इसमें 'खोया और पाया' अनुभाग के अलावा आवास बुक करने या चिकित्सा सहायता जैसी सेवाएं भी उपलब्ध हैं. अधिकारियों का अनुमान है कि 15 लाख से अधिक लोग इसका उपयोग करेंगे.
यह एप हिंदी, अंग्रेजी और बांग्ला जैसे बहुभाषी विकल्पों के साथ स्थानीय और अंतरराष्ट्रीय, दोनों तीर्थयात्रियों के लिए सहायक होगा.
दुनिया के सबसे बड़े धार्मिक और मानवीय आयोजन महाकुंभ मेले को न सिर्फ धरती से बल्कि अंतरिक्ष से भी कैद किया जा रहा है. अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष केंद्र (आईएसएस) ने रविवार रात अंतरिक्ष से महाकुंभ की अद्भुत तस्वीरें कैद की हैं. इन तस्वीरों में महाकुंभ मेले का अद्भुत नजारा देखने को मिला.
AI-संचालित चैटबॉट नई सुविधाओं के साथ भक्तों के अनुभव को बढ़ाएगा
महाकुंभ में यदि कोई भटक गया हो या रास्ता मालूम न हो या किसी अखाड़े, घाट या मठ-मंदिर में जाना चाहता हो, तो वह चैटबॉट से मदद मांग सकता है. इसे खासतौर से देश-विदेश से महाकुंभ में आने वाले तीर्थयात्रियों के लिए विकसित किया गया है. इसकी शुरुआती सफलता को देखते हुए अनुमान लगाया जा रहा है कि लगभग 12 करोड़ लोग इससे जुड़ेंगे. यह चैटबॉट 11 भाषाओं में लोगों को मेला क्षेत्र में भोजन, रास्ता, पार्किंग, वॉशरूम, चेंजिंग रूम और लॉकर सहित हर तरह की जानकारी उपलब्ध करा रहा है.
ऐसे हो रही तीर्थयात्रियों की गिनती
एआई कैमरों से कुंभ में आने वाले तीर्थयात्रियों की गिनती की जा रही है. इसके लिए अलग से एक टीम गठित की गई है, जिसे 'क्राउड असेसमेंट टीम' नाम दिया गया है. यह टीम रियल टाइम के आधार पर महाकुंभ में आने वाले श्रद्धालुओं की गिनती कर रही है. दरअसल, एआई कैमरे लोगों के चेहरे को स्कैन कर वहां मौजूद भीड़ के आधार पर एक-एक व्यक्ति की गिनती करते हैं कि कितने घंटे में कितने लाख लोग आए. मेला क्षेत्र में उच्च गुणवत्ता वाले 1,800 कैमरे लगाए गए हैं.
इनमें शहर के भीतर 268 स्थानों पर 1,107 स्थायी कैमरे, जबकि मेला क्षेत्र में 200 स्थानों पर 744 अस्थायी एआई कैमरे लगाए गए हैं जो 360 डिग्री में देख सकते हैं. साथ ही, 100 से अधिक पार्किंग स्थलों पर भी 720 कैमरे लगाए गए हैं. इसके अलावा, ड्रोन कैमरे की सहायता से भी तीर्थयात्रियों की गिनती की जा रही है.
ये ड्रोन कैमरे एक निश्चित क्षेत्र में भीड़ के घनत्व का आकलन कर लोगों की उपस्थिति का सटीक अनुमान लगाते हैं. इसी तरह, मेला क्षेत्र में पार्किंग, घाट और संगम तट तक पहुंचने वाले रास्तों पर 328 एआई कैमरे लगाए गए हैं, जो भीड़ को नियंत्रित करने में मदद कर रहे हैं.
ये एआइ कैमरे प्रति मीटर 'हेड काउंट' कर लगातार नियंत्रण कक्ष को अलर्ट करते हैं. इसलिए जैसे ही किसी जगह क्षमता से अधिक लोगों की भीड़ एकत्रित होती है, सुरक्षाकर्मी तत्काल भीड़ को गतिमान कर देते हैं. कैमरों के जरिये लोगों पर निगरानी के लिए इंटीग्रेटेड कमांड एंड कंट्रोल सेंटर (आईसीसी) और नियंत्रण कक्ष के अलावा अरैल और झूसी में निगरानी केंद्र भी बनाए गए हैं. खास बात यह है कि श्रद्धालुओं की बार-बार गिनती न हो, इसमें भी ये मददगार साबित हो रहे हैं.
पहली बार मेला परिसर में ड्रोन रोधी प्रणाली
पहली बार मेला परिसर में उच्च तकनीक वाली चार एंटी-ड्रोन प्रणाली लगाई गई है, जो अवांछित ड्रोनों को मार गिराने और निष्क्रिय करने में सक्षम है. यही नहीं, ड्रोन पानी के नीचे भी तीर्थयात्रियों की निगरानी करेगा. ये अत्याधुनिक अंडरवॉटर ड्रोन 100मीटर तक गोता लगा सकते हैं. इन ड्रोनों का संचालन असीमित दूरी तक किया जा सकता है. ये पानी के भीतर किसी भी संदिग्ध गतिविधि की सटीक जानकारी देंगे.
इसके अलावा, मेला क्षेत्र की हवाई सुरक्षा के लिए टेथर्ड ड्रोन भी तैनात किए गए हैं. इसकी कमान विशेषज्ञ टीम के पास होगी, जो एक सेकंड में अलर्ट मोड में आ सकती है. खास बात यह है कि टेथर्ड ड्रोन सुरक्षित डेटा ट्रांसमिशन सुनिश्चित करता है. यह ऊंचाई से हर ब्योरा चाहे बड़ा हो या छोटा, सभी को कैप्चर करता है. 24 घंटे हाई अलर्ट पर रहने के कारण यह किसी भी संदिग्ध ड्रोन को निष्क्रिय कर सकता है.
यह पंडाल हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) द्वारा निर्मित तेजस विमान के मॉडल के रूप में प्रस्तुत की गई है, जो न केवल भारतीय रक्षा की ताकत को दर्शाता है, बल्कि देश के प्रति आस्था और समर्पण का भी प्रतीक बन गया है.
महाकुम्भ-2025 के तृतीय दिवस की रात्रि पर अद्भुत, अलौकिक, आनंदित करने वाली छटा.
महाकुंभ में यूपी पुलिस की ओर से पानी में फ्लोटिंग पुलिस चौकी स्थापित की गई है. श्रद्धालुओं की सहायता के लिए इसका शुभारंभ पौष पूर्णिमा स्नान पर्व पर सोमवार को किया गया. यह पुलिस चौकी 45 दिनों तक कार्य करेगी।.