आवाज द वाॅयस / नई दिल्ली
दरगाह अजमेर शरीफ के गद्दीनशीन हाजी सैयद सलमान चिश्ती ने कहा है कि संवाद सफलता की ओर महत्वपूर्ण कदम है. उन्होंने यह बात प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात के बाद कही. हाजी सैयद सलमान चिश्ती उन 25 अल्पसंख्यक धार्मिक नेताओं में हैं जिन्होंने गत दिनों नए संसद भवन में पीएम मोदी और उपराष्ट्रपति से मुलाकात की थी और संसद के कार्य देखे थे.
हाजी सैयद सलमान चिश्ती ने एक बयान में कहा,संवाद का खुला मार्ग एकता, शांति और सफलता की नींव को मजबूत करता है.पीएम से मिलने वालों में राधा स्वामी सत्संग, ब्यास के प्रमुख गुरिंदर सिंह ढिल्लों बाबाजी , प्यारे जिया खान अध्यक्ष बाबा ताजुद्दीन ट्रस्ट, नागपुर भी थे.सलमान चिश्ती ने कहा कि सभी धार्मिक नेता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व से पूरी तरह सहमत दिखे.
चिश्ती ने कहा कि आध्यात्मिकता और आस्था परंपराओं के पवित्र सूत्र हैं. संवाद का भी अपना गहरा मतलब है. ज्ञान को शाश्वत रखने में इसकी अहम भूमिका होती है.उन्होंने कहा, संवाद के रूप में सत्य केवल वार्तालाप नहीं, यह वह आधारशिला है जिस पर सफलता, एकता और शांति की इमारत खड़ी होती है.
सलमान चिश्मी ने कहा कि अक्सर विभाजन और कलह से जूझ रही दुनिया में, संवाद की शक्ति एक प्रकाशस्तंभ के रूप में खड़ी है, जो एकता और सफलता के मार्ग को रोशन करती है.उन्होंने कहा, विचारों, विश्वासों और आकांक्षाओं के आदान-प्रदान से एक मजबूत और सामंजस्यपूर्ण समाज के सूत्र बुने जाते हैं.
सलमान चिश्ती ने संसद भ्रमण के अपने अनुभव साझा करते हुए कहा, ‘‘ भारतीय संसद के अंदर जैसे ही आध्यात्मिक नेता एकत्र हुए, सभी ने एक साथ प्रदर्शित किया कि संवाद केवल एक बातचीत नहीं, बल्कि दिल और दिमाग का एक पवित्र मिलन है. एक सामंजस्यपूर्ण सिम्फनी है जो एकता के तारों के साथ गूंजती है.
उन्होंने पीएम की तारीफ में कहा कि वे दूरदृष्टि और समर्पण के धनी राजनेता हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रीय समृद्धि को बढ़ावा देने में बातचीत के महत्व पर लगातार जोर दिया है.इस ऐतिहासिक सभा में समझ और सहयोग के पुल बनाने की उनकी प्रतिबद्धता प्रतिबिंबित हुई.
सलमान चिश्ती ने कहा कि पीएम ने विविध परंपराओं के आध्यात्मिक नेताओं के लिए मंच प्रदान करके एक संवाद का मार्ग प्रशस्त किया है जो धर्म की सीमाओं से परे है.उन्होंने बताया, जैसे ही आध्यात्मिक नेताओं ने भारत की नई संसद के हॉल में अपनी अंतर्दृष्टि साझा की, एकता का एक शानदार संदेश हवा में गूंज उठा.
प्रत्येक नेता ने मानवता को एकजुट करने वाले सामान्य सूत्र पर जोर देते हुए अपने धर्मों की शिक्षाओं को सामने लाया. विविध आवाज एक सामंजस्यपूर्ण कोरस में विलीन हो गई. हमें याद दिलाया कि सच्ची सफलता व्यक्तिगत उपलब्धियों में नहीं, एकता की सामूहिक भावना से मापी जाती है.
इस दौरान तमाम धार्मिक नेताओं ने एक स्वर में पुष्टि की कि सच्ची सफलता न केवल आर्थिक समृद्धि में है, बल्कि उस शांति में है जो समझ, सम्मान और स्वीकृति से उत्पन्न होती है. उनके शब्द एक सार्वभौमिक सत्य को प्रतिध्वनित करते हैं. एक राष्ट्र तब फलता-फूलता है जब उसके लोग शांति से रहते हैं. एक-दूसरे की मान्यताओं की पवित्रता का सम्मान करते हैं.
सलमान चिश्मी ने कहा कि इस ऐतिहासिक समागम में अध्यात्म के ताने-बाने से गुंथे संवाद के धागों ने एक मजबूत आधार तैयार किया है. यह नींव नई संसद की दीवारों तक सीमित नहीं, नागरिकों के दिलों तक फैली हुई है. एक सामूहिक चेतना को बढ़ावा देती है जो सभी की परस्पर निर्भरता को पहचानती है.
बता दें कि दरगाह अजमेर शरीफ की आध्यात्मिक विरासत के गद्दी नशीन, हाजी सैयद सलमान चिश्ती, सूफीवाद के मार्ग पर चल रहे हैं. यह एक ऐसा मार्ग जो मानव अनुभव की सार्वभौमिकता और सभी अस्तित्व की एकता को गले लगाता है.
वह इस बात पर जोर देते हैं कि संवाद वह कुंजी है जो सफलता के दरवाजे खोलती है. यह केवल शब्दों का आदान-प्रदान नहीं, आत्माओं का मिलन भी है.हाजी सैयद सलमान चिश्ती इस बात पर जोर देते हैं कि संवाद वह माध्यम है जो यह मान्यता विकसित करता है कि उन सभी सीमाओं को पार करता है जो अक्सर समाजों को विभाजित करते हैं.
उन्होंने इस ऐतिहासिक क्षण को व्यवस्थित करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भारतीय अल्पसंख्यक फाउंडेशन की अनूठी दृष्टि के प्रति आभार व्यक्त किया.