मानवता के लिए सीमाएं मिटाईं: भारतीय नागरिक सम्मान से नवाजे जाएंगे पाकिस्तानी आसिफ बशीर

Story by  मलिक असगर हाशमी | Published by  [email protected] | Date 12-01-2025
Crossed boundaries for humanity: Pakistani Asif Bashir to be honoured with Indian civilian award
Crossed boundaries for humanity: Pakistani Asif Bashir to be honoured with Indian civilian award

 

आवाज द वाॅयस / नई दिल्ली/पेशावर

भारत ने पड़ोसी पाकिस्तान को सैन्य और आर्थिक मार्चे पर पटखनी देने के बाद अब मानवता के क्षेत्र में भी पछाड़ दिया है. हज के दौरान भारतीयों की जान बचाने के लिए अब एक पाकिस्तानी को नागरिक सम्मान से सम्मानित किया जा रहा है. मजे की बात है कि इसकी पाकिस्तान को ही भनक नहीं लग पाई कि उसके देश का एक नागरिक भारत में 26 जनवरी पर सम्मानित होगा. जब से यह रहस्सोद्घटन हुआ है मियां शहबाज शरीफ सरकार में खलबली मची है.

पाकिस्तान के पेशावर के निवासी आसिफ बशीर ने एक असाधारण उपलब्धि हासिल करते हुए भारतीय नागरिक सम्मान "जीवन रक्षक पुरस्कार" से सम्मानित होने वाले व्यक्तियों की सूची में अपना नाम दर्ज किया है. यह पुरस्कार उन्हें हज 2024 के दौरान किए गए उनके वीरतापूर्ण और निस्वार्थ बचाव प्रयासों के लिए प्रदान किया जाएगा.
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आसिफ बशीर अब पेशावर के इतिहास में अब्दुल गफ्फार खान के बाद दूसरे ऐसे व्यक्ति बन गए हैं जिन्हें भारत सरकार ने नागरिक पुरस्कार से सम्मानित किया है. भारत सरकार ने घोषणा की है कि गणतंत्र दिवस के अवसर पर बशीर को यह प्रतिष्ठित सम्मान प्रदान किया जाएगा.

हज 2024: वीरता की मिसाल

हज के दौरान बशीर एक स्वयंसेवक के रूप में सेवा दे रहे थे. यह सेवा उन्होंने 22 जून से 27 जून 2024 के बीच मीना के तीव्र गर्मी भरे दिनों में दी, जब हज के तीर्थयात्रियों को अत्यधिक गर्मी और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ा.

इन पांच दिनों में आसिफ बशीर ने लगभग 350 तीर्थयात्रियों को प्राथमिक चिकित्सा उपलब्ध कराई. उनका सबसे उल्लेखनीय योगदान उन 50 से अधिक गंभीर रूप से बीमार तीर्थयात्रियों को बचाने का था, जिन्हें मेडिकल टीम ने गंभीर स्थिति में घोषित किया था. बशीर ने अपनी जान की परवाह किए बिना इन तीर्थयात्रियों को कंधों पर उठाकर लगभग दो किलोमीटर दूर चिकित्सा केंद्र तक पहुंचाया.

इनमें से 50 में से 44 लोगों की जान बच गई, जिनमें से 24 भारतीय नागरिक, एक ब्रिटिश नागरिक और अन्य देशों के तीर्थयात्री शामिल थे. बशीर के इस अद्वितीय और साहसिक प्रयास को मानवता की सच्ची मिसाल के रूप में देखा जा रहा है.

भारत सरकार का सराहनीय कदम

भारत सरकार ने उनके इन निस्वार्थ प्रयासों को सम्मानित करते हुए उन्हें "जीवन रक्षक पुरस्कार" देने की घोषणा की. यह पुरस्कार उन व्यक्तियों को प्रदान किया जाता है जो आपातकालीन परिस्थितियों में दूसरों की जान बचाने के लिए उल्लेखनीय योगदान देते हैं.

आसिफ बशीर को गणतंत्र दिवस समारोह के दौरान भारत के राजकीय अतिथि के रूप में आमंत्रित किया जाएगा. यह अवसर न केवल बशीर के लिए बल्कि पूरे पाकिस्तान के लिए गर्व का क्षण होगा.

पाकिस्तान में भारत की सराहना

भारत के इस कदम की पाकिस्तानी दिल खोलकर तारीफ कर रहे हैं. साथ ही इस बारे में अब तक पाकिस्तान सरकार को खबर नहीं होने पर मियां सरकार को खूब लताड़ा जा रहा है. सोशल मीडिया पर ऐसे वीडियो भरे पड़े हैं जिसमें भारत की बशीर को सम्मानित करने के निर्णय की सराहना की जा रहा है. साथ ही इससे पाकिस्तान को नसीहत लेने की भी सलाह दी जा रही है.

आसिफ बशीर की प्रतिक्रिया

आसिफ बशीर ने इस सम्मान को स्वीकार करते हुए कहा, "यह पुरस्कार सिर्फ मेरा नहीं, बल्कि पूरे पाकिस्तान का है. मैंने राष्ट्रीयता की परवाह किए बिना मानवता के आधार पर काम किया.

भारत में राजकीय अतिथि के रूप में सम्मानित होना सभी पाकिस्तानियों के लिए सौभाग्य की बात है. पेशावर के मूल निवासी के रूप में, मैं यह पुरस्कार अपने साथी पेशावरियों को समर्पित करता हूं."उन्होंने यह भी कहा कि उनके कार्य मानवता के लिए थे. उनकी कोशिश थी कि किसी भी व्यक्ति की जान न जाए, चाहे वह किसी भी देश या धर्म से संबंधित हो.
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पाकिस्तान और ब्रिटेन की प्रतिक्रिया

भारत की घोषणा के बाद, पाकिस्तान सरकार ने आसिफ बशीर के इस सम्मान के बारे में संबंधित मंत्रालयों से रिपोर्ट मांगी है. इसके साथ ही, प्रधानमंत्री कार्यालय ने निर्देश दिए हैं कि यह जांच की जाए कि बशीर को राष्ट्रीय नागरिक पुरस्कार के लिए नामांकित किया गया है या नहीं. यदि नहीं, तो उनकी उपलब्धियों को ध्यान में रखते हुए नामांकन प्रक्रिया जल्द शुरू की जाए.

ब्रिटिश सरकार ने भी बशीर के कार्यों की सराहना की है और उन्हें "किंग गैलेंट्री अवार्ड" के लिए नामांकित किया है. यह पुरस्कार ब्रिटेन में उन व्यक्तियों को दिया जाता है जिन्होंने आपातकालीन परिस्थितियों में बहादुरी और साहस का परिचय दिया हो.

पेशावर और खुदाई खिदमतगार आंदोलन से जुड़ाव

पेशावर के निवासी होने के नाते, आसिफ बशीर का यह सम्मान उनके शहर के लिए भी एक ऐतिहासिक क्षण है. उन्हें अब्दुल गफ्फार खान के बाद पेशावर का दूसरा ऐसा व्यक्ति माना जा रहा है जिन्हें भारतीय नागरिक सम्मान मिला है.

अब्दुल गफ्फार खान, जिन्हें "सीमांत गांधी" के नाम से भी जाना जाता है, खुदाई खिदमतगार आंदोलन के महान नेता थे और उन्हें भी भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में उनके योगदान के लिए सम्मानित किया गया था.

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मानवता के लिए एक संदेश

आसिफ बशीर की यह उपलब्धि यह साबित करती है कि मानवता की सेवा सीमाओं और राष्ट्रीयताओं से परे होती है. उन्होंने अपने कार्यों से यह संदेश दिया है कि दुनिया के किसी भी कोने में, किसी भी परिस्थिति में, मानवता की रक्षा सबसे बड़ा धर्म और कर्तव्य है.



आसिफ बशीर को भारत के गणतंत्र दिवस समारोह के दौरान सम्मानित किया जाएगा, जो कि एक ऐतिहासिक क्षण होगा. इस सम्मान ने भारत और पाकिस्तान के बीच मानवीय संबंधों के महत्व को भी रेखांकित किया है. यह देखना दिलचस्प होगा कि इस सम्मान के बाद क्षेत्रीय और वैश्विक स्तर पर मानवता के लिए ऐसे कार्यों को किस तरह से प्रेरित किया जाता है.

आसिफ बशीर के निस्वार्थ प्रयासों ने न केवल उन्हें एक सच्चा नायक बनाया है, बल्कि मानवता की सेवा के लिए एक मिसाल भी पेश की है. यह कहानी उन सभी लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत है जो बिना किसी स्वार्थ के दूसरों की मदद करने के लिए तत्पर रहते हैं. उनका यह सम्मान यह साबित करता है कि सच्ची वीरता और मानवता सीमाओं के परे होती है.