बिहार के आईपीएस अधिकारी डॉ. सत्य प्रकाश: शिक्षा के माध्यम से बदल रहे हैं बच्चों की ज़िंदगी

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  [email protected] | Date 17-03-2025
Bihar's IPS officer Dr. Satya Prakash: Changing the lives of children through education
Bihar's IPS officer Dr. Satya Prakash: Changing the lives of children through education

 

रमाशंकर/पटना

बिहार के शाहाबाद रेंज के उप महानिरीक्षक (डीआईजी) डॉ. सत्य प्रकाश का मानना है कि शिक्षा सिर्फ एक अधिकार नहीं, बल्कि मानवता की सेवा है. डॉ. सत्य प्रकाश, जो 2011 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं, का यह दृढ़ विश्वास है कि वंचित और गरीब बच्चों को शिक्षा देना, उनके भविष्य को संवारने का सबसे प्रभावी तरीका है.

उन्होंने अपनी सेवाओं के दौरान न सिर्फ पुलिसिंग में उत्कृष्टता की मिसाल पेश की, बल्कि वंचित बच्चों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए शिक्षा के महत्व को भी समझा और इसे अपने कार्य में शामिल किया.

शिक्षा का परिवर्तनकारी प्रभाव

डॉ. सत्य प्रकाश का मानना है कि शिक्षा, किसी भी व्यक्ति के जीवन में सबसे बड़ी ताकत होती है. जब उनसे पूछा गया कि शिक्षा ने उनके जीवन में क्या भूमिका निभाई, तो उन्होंने जवाब दिया, “मेरे करियर में शिक्षा ने मुझे मानसिकता समझने में मदद की.

यह लोकतांत्रिक ढंग से काम करने की क्षमता देती है और समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाने में सहायक होती है.” एक आईपीएस अधिकारी के रूप में उनकी सफलता का राज भी शिक्षा से जुड़ा हुआ है. उनका मानना है कि पुलिसिंग केवल कानून और व्यवस्था को बनाए रखने तक सीमित नहीं होनी चाहिए, बल्कि यह समाज के कल्याण के लिए भी होनी चाहिए.

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माओवाद प्रभावित इलाकों में शिक्षा की पहल

डॉ. सत्य प्रकाश ने हमेशा यह माना कि समाज में बदलाव लाने के लिए शिक्षा सबसे प्रभावी तरीका है. उन्होंने अपनी जिम्मेदारियों के दौरान माओवाद प्रभावित जिलों में आदिवासी बस्तियों और गांवों का दौरा किया.

वहां उन्होंने बच्चों को शिक्षा के महत्व के बारे में बताया और उन्हें स्कूल भेजने के लिए प्रेरित किया. उनका कहना है, “शिक्षा ही किसी के जीवन को बदलने का एकमात्र तरीका है. यह किसी भी समाज की बुनियादी आवश्यकता है. चाहे मैं कहीं भी तैनात रहूं, मैं हमेशा माता-पिता से अपील करता हूं कि वे अपने बच्चों को स्कूल भेजें, ताकि उनका भविष्य उज्जवल हो सके.”

रोहतास में सामुदायिक पुलिसिंग के तहत बच्चों के लिए शिक्षा का वितरण

हाल ही में, डॉ. सत्य प्रकाश ने रोहतास जिले के डेहरी अनुमंडल के अंतर्गत आने वाले बदिया गांव का दौरा किया, जहां उन्होंने बच्चों के बीच किताबें, पेंसिल, पेन और स्कूल बैग वितरित किए.

यह कार्य माओवाद प्रभावित क्षेत्रों के लिए सरकार की सामुदायिक पुलिसिंग पहल के तहत किया गया था. डॉ. सत्य प्रकाश ने इस पहल को बच्चों को शिक्षा प्राप्त करने के लिए प्रोत्साहित करने और उन्हें एक बेहतर भविष्य देने का एक अहम कदम माना.

महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए सिलाई मशीनों का वितरण

डॉ. सत्य प्रकाश की यह भी मान्यता रही है कि महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाना समाज के विकास के लिए जरूरी है. उन्होंने माओवाद प्रभावित क्षेत्रों में महिलाओं को सिलाई मशीनें प्रदान कीं, ताकि वे अपनी आजीविका कमा सकें और अपने परिवारों की आर्थिक स्थिति को बेहतर बना सकें.

इस पहल के माध्यम से, डॉ. सत्य प्रकाश ने महिलाओं के सशक्तिकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बढ़ाया है.

एक प्रेरणास्त्रोत अधिकारी

डॉ. सत्य प्रकाश की पत्नी, जो बिहार के एक विश्वविद्यालय में प्रोफेसर हैं, उनके प्रयासों का भरपूर समर्थन करती हैं. दोनों मिलकर शिक्षा के क्षेत्र में बदलाव लाने के लिए एकजुट हैं। अपने कार्यकाल के दौरान, विशेष रूप से मधुबनी जिले के एसपी के रूप में, डॉ. सत्य प्रकाश ने प्रवासी श्रमिकों के बच्चों की मदद की थी.

मिथिलांचल क्षेत्र से बड़ी संख्या में लोग राज्य के बाहर काम करने के लिए जाते हैं, और डॉ. सत्य प्रकाश ने इन बच्चों के लिए स्कूलों में शिक्षण का प्रबंध किया. वे खुद इन बच्चों को पढ़ाते थे और पुलिसकर्मियों को भी प्रेरित करते थे कि वे बस्तियों में जाकर बच्चों को शिक्षा दें. इस पहल को स्थानीय लोगों ने बहुत सराहा.

डॉ. सत्य प्रकाश की कार्यशैली सिर्फ पुलिस सेवा तक सीमित नहीं है, बल्कि वे समाज के हर वर्ग के कल्याण के लिए निरंतर कार्यरत हैं। उनका शिक्षा के प्रति यह समर्पण वंचित बच्चों के लिए एक उज्जवल भविष्य की ओर एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो रहा है.

बिहार जैसे राज्य में जहां कई बच्चे शिक्षा से वंचित रह जाते हैं, डॉ. सत्य प्रकाश जैसे अधिकारी अपने प्रयासों से न केवल पुलिसिंग की धार को नया आयाम दे रहे हैं, बल्कि बच्चों की ज़िंदगियों में भी बदलाव ला रहे हैं. उनके कार्यों से प्रेरणा लेकर कई अन्य अधिकारी और नागरिक भी शिक्षा के क्षेत्र में योगदान दे रहे हैं.साभारः द न्यू इंडियन एक्सप्रेस