सेराज अनवर/पटना
पुलिस में पद हासिल करना आसान नहीं. तब और मुश्किल हो जाता है जब पिता का साया सिर से उठ जाए.ऐसे में जुनून और जज़्बे को हवा देना पड़ता है. बिहार के सुदूरवर्ती गांव की नेहा परवीन ने ऐसा ही किया. नेहा का दरोग़ा बनने का सपना साकार नहीं होता यदि अल्पसंख्यक कल्याण पदाधिकारी राहुल कुमार का भरपुर सपोर्ट न मिला होता.
बिहार लोक सेवा आयोग(बीपीएससी)के हालिया परिणाम में सफल होने वाले अभ्यर्थियों में नेहा के साथ राहुल कुमार की चर्चा भी हो रही है.आज ऐसे अफ़सर विरले मिलते हैं जो धर्म को दरकिनार कर बेटियों के भविष्य की चिंता करते हैं.नेहा के पिता का निधन 2021में हो गया था.
शिक्षा ग्रहण करने के दौरान पिता का साया सिर से उठ जाये तो बीच में पढ़ाई रुक सकती है.राहुल ने उसे प्रेरित किया.हौसला दिया.नेहा ने भी हार नहीं मानी.कठिन घड़ी में अपनी पढ़ाई जारी रखी. गांव छोड़ दिया. गया शहर चली आयी.अल्पसंख्यक बालिका छात्रावास में रही. उसकी ज़िद के आगे तमाम मुश्किलों को सिर झुकाना पड़ा.
और आज वह सब इन्स्पेक्टर बन नक्सल प्रभावित बांके बाज़ार स्थित चांदपुर गांव की चांद बन गयी है.गया कलेक्टरेट में अधिकारी राहुल कुमार और अनुज्या ने नेहा परवीन को मिठाई खिला कर उसकी सफलता को सेलेब्रिट किया.आज बिन बाप की बेटी आत्मनिर्भर बन गयी है, यह उनके परिवार के लिए जरूरी था.
नेहा परवीन की संघर्ष की कहानी
नेहा परवीन ग्यास उद्दीन अंसारी की बेटी है.ग्यास उद्दीन का इंतेक़ाल तीन वर्ष पूर्व हो गया.तब उसकी पढ़ाई चल रही थी.पढ़ाई और देखरेख की ज़िम्मा चाचा अनवर हुसैन ने सम्भाल लिया.मां आसमा ख़ातून घरेलू महिला हैं.अनवर बहरगाईं पंचायत के मुखिया हैं.
यह पंचायत गया ज़िले के शेरघाटी अनुमंडल के बांके बाज़ार प्रखंड में है.कभी यह घोर नक्सली गांव हुआ करता था.यहां कुल 25घर मुस्लिम आबादी है.नेहा के दरोग़ा बनने पर हिन्दू-मुसलमान पूरा इलाक़ा गौरवान्वित महसूस कर रहा है.नेहा ने गांव के ही इटवां उच्च विद्यालय से मैट्रिक की,एसएमएसजी कॉलेज शेघाटी से इंटर और गया के अल्पसंख्यक संस्थान मिर्ज़ा ग़ालिब कॉलेज से बीए की फिर प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी में जुट गयी.
बिहार पुलिस में सब इंस्पेक्टर पद के लिए परीक्षा दी और पहली प्रयास में ही परचम लहरा दिया.उसने पहले भी अन्य विभाग के लिए कई परीक्षाएं दीं थीं लेकिन इसके सफलता नहीं मिली. उसने कड़ी मेहनत की और प्रतिष्ठित बीबीएससी से बिहार पुलिस सर्विस की बड़ी पदाधिकारी बन गयी.
नेहा आसमा ख़ातून की बेटियों में छोटी है.इसके अलावा दो और बहनें अंजुम और इरम है.दोनों की शादी हो चुकी है.एक छोटा भाई अरमान है.चाचा अनवर हुसैन ने आवाज़ द वायस को बताया कि नेहा पढ़ने में तेज़ रही है.उसकी कामयाबी से हम सब बहुत ख़ुश हैं.वह मुस्लिम बच्चियों के लिए प्रेरणास्रोत बनेगी.पूरा गांव जश्न मना रहा है.
राहुल कुमार का सराहनीय सहयोग
नेहा ने जीवन में एक बड़ा लक्ष्य प्राप्ति के लिए गांव छोड़ कर गया शहर स्थित माइनोरिटी गर्ल्स होस्टल में रही.यहीं रहा कर उसने ग्रेजुएशन किया.दरोग़ा की तैयारी की.जिला अल्पसंख्यक कल्याण पदाधिकारी राहुल कुमार ने बीपीएससी की तैयारी में हर तरह से सहयोग किया,मानसिक रूप से मज़बूत बनाया.
उन्होंने कहा था कि जब आप पढ़ाई कर रहे हों और आपके सिर से पिता का साया उठ जाए तो इसका मतलब है कि आपको कठिनाइयों का सामना करना पड़ेगा, आपकी शिक्षा में बाधा भी आ सकती है,यह बात नेहा गिरह की तरह बांध लिया और अपने पिता की मृत्यु के बाद भी अपनी शिक्षा जारी रखी.
राहुल कुमार ने बधाई देते हुए आगे भी कड़ी मेहनत व लगन जारी रखने की बात कही. सेवा में प्रयास यह होना चाहिए कि किसी भी निर्दोष व्यक्ति को स्वयं को कष्ट न हो और उसके हृदय में जनकल्याण का जज्बा हो.नेहा ने पदाधिकारियों का शुक्रिया अदा करते हुए कहा कि उनकी कामयाबी में परिवार के साथ अल्पसंख्यक कल्याण विभाग का प्रमुख योगदान है.
नेहा परवीन को सम्मानित करने के लिए स्थित समाहरणालय स्थित अल्पसंख्यक कल्याण विभाग कार्यालय में समारोह आयोजित हुआ.इस मौक़े पर विभाग के निदेशक राहुल कुमार और छात्रावास की अधिक्षक अनुज्या ने नेहा की कठिन परिश्रम की प्रशंसा की और मुंह मीठा करा उज्ज्वल भविष्य के लिए आशीर्वाद से नवाज़ा.
यूपीएससी करना चाहती है नेहा
नेहा कहती है कि ऐसा नहीं है कि पुलिस की नौकरी ख़राब है बल्कि ईमानदारी और मेहनत से की जाए तो भलाई भी की जा सकती है. दूसरी महत्वपूर्ण बात यह है कि उन्हें सबसे पहले नौकरी की ज़रूरत होती थी, चाहे वह कोई भी नौकरी हो, क्योंकि उन्हें आत्मनिर्भरता की तरफ बढ़ना है.पुलिस सेवा में रहते हुए अब वह यूपीएससी करना चाहती है.
उसने बताया कि अल्पसंख्यक कन्या छात्रावास में तमाम तरह की सुविधा उपलब्ध है.घर में पढ़ाई सुकून से नहीं हो सकती है.यहां का माहौल अच्छा है.खाने-पीने की चीजें होस्टल में अच्छी मिलती है,इसलिए सेहत भी अच्छी रहती है.अल्पसंख्यक कल्याण विभाग की ओर से पूरा ख़्याल रखा जाता है.सरकार की ओर से होस्टल में मिलने वाली हर महीने मिलने वाली छात्रवृति से बहुत मिली.
जो पैसे मिलते थे उससे किताब और तैयारी के लिए मैटेरियल ख़रीद लेती थी.वह कहती है कि kalys का योगदान इसलिए मानती हूं कि फरवरी 2024में ही कोर्स ख़त्म हो गया था,कोर्स ख़त्म होने के बाद होस्टल में रहने की इजाज़त नहीं होती.लेकिन,पढ़ाई के लिए अल्पसंख्यक कल्याण पदाधिकारी राहुल कुमार ने होस्टल में रहने की इजाज़त दे दी.
नेहा ने बताया कि होस्टल में रह कर पटना स्थित एक निजी कोचिंग सेंटर से ऑनलाइन क्लास की इसके अलावा गया के गांधी मैदान में फ़िज़िकल दौड़,हाई जम्प,लाँग जम्प का प्रशिक्षण लिया और तैयारी की.नेहा ने कहा कि इन सब में होस्टल से बड़ी मदद मिली.वह कहती है कि लड़कियां अपने अच्छे भविष्य के लिए अल्पसंख्यक छात्रावास में रहें क्योंकि पढ़ाई के लिए यहां अच्छा माहौल है.
इन लोगों ने दी बधाई
नेहा को बधाई देने वालों का ताँता लगा हुआ है.गांव से लेकर शहर तक मुबारक बाद पेश किया जा रहा है.होप फ़ाउंडेशन के कर्ताधर्ता शौक़त अली,सामाजिक कार्यकर्ता और पत्रकार इमरान अली,बिकोपुर की मुखिया मेहर अंगेज़ खानम,मुखिया अज़हर अंसारी,राजद रहनुमा वसीम अकरम,समाजसेवी ज़ैदी खान,मुखिया डॉ.मुमताज़ अंसारी,पूर्व चेयरमैन शकील खान,मुस्कान फ़ाउंडेशन के संस्थापक इमरोज़ अली ने नेहा के लिए नेक ख्वाहिशात का इज़हार किया है.
ALSO WATCH: