अब्दुल वसीम अंसारी / भोपाल
मध्यप्रदेश के भोपाल शहर से ताल्लुक रखने वाले मशहूर उर्दू शायर और लेखक डॉक्टर अंजुम बाराबंकवी ने हाल ही में प्रभु श्रीराम पर एक ग़ज़ल लिखी, जिसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पत्र लिखकर सराहा.यह ग़ज़ल भारत के सांस्कृतिक धरोहर और धार्मिक आस्था के प्रतीक श्रीराम के व्यक्तित्व को उर्दू शेरो-शायरी के माध्यम से प्रस्तुत करती है.
अंजुम बाराबंकवी की इस रचना ने न केवल साहित्य जगत में चर्चा पैदा की, बल्कि प्रधानमंत्री मोदी के दिल को भी छुआ, जिनसे उन्हें प्रशंसा के शब्द मिले.अब, अंजुम बाराबंकवी 50ग़ज़लों का संग्रह तैयार कर रहे हैं, जिसे वह जल्द ही प्रधानमंत्री मोदी को भेंट करेंगे.
प्रधानमंत्री की तारीफ से शायर को मिली प्रेरणा
अंजुम बाराबंकवी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिली प्रशंसा को लेकर अपनी खुशी का इज़हार किया.उन्होंने कहा, “प्रधानमंत्री मोदी का इस ग़ज़ल को सराहना देना मेरे लिए एक गर्व की बात है.यह मेरे लिए एक बड़ा सम्मान है कि देश के प्रधानमंत्री ने मेरी मेहनत को पहचाना और मेरी ग़ज़ल को सराहा.”
यह शब्द अंजुम के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि थे, क्योंकि वह मानते हैं कि उनके शेर और ग़ज़लें सिर्फ साहित्यिक दृष्टिकोण से ही नहीं, बल्कि सांस्कृतिक और धार्मिक आस्थाओं के संदर्भ में भी महत्वपूर्ण हैं.
श्रीराम के किरदार पर लिखने का विशेष कारण
जब शायर अंजुम बाराबंकवी से यह पूछा गया कि उन्होंने श्रीराम पर ग़ज़ल क्यों लिखी, तो उन्होंने जवाब दिया, "राम एक ऐसा किरदार है जिस पर लिखना चाहिए.हमारे देश की धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर का अहम हिस्सा हैं.
मुझसे पहले भी कई बड़े शायरों ने राम और कृष्ण पर लिखने का कार्य किया है.हालांकि, पहली बार मैंने पूरी ग़ज़ल श्रीराम पर लिखी है." उन्होंने यह भी बताया कि वह 2024से लेकर अब तक 10ग़ज़लें श्रीराम पर लिख चुके हैं और नवंबर 2025तक वे 50ग़ज़लें लिखकर उसे एक किताब के रूप में प्रकाशित कर प्रधानमंत्री को भेंट करेंगे.
अंजुम ने कहा कि राम के किरदार में एक ऐसा भाई, शौहर और बेटा है, जिनका आदर्श हर किसी के लिए प्रेरणा है. उन्होंने कहा,"मैं धर्म से एक मुसलमान हूं, और हम जब अपने पैगम्बर पर लिखते हैं, तो उसमें गहरे भावनाओं से लिखते हैं.ठीक उसी तरह, राम के बारे में लिखते समय मेरे लिए उनका सम्मान और आस्था महत्वपूर्ण है, और इस बात में मजहब कहीं भी आड़े नहीं आता."
प्रधानमंत्री मोदी का पत्र
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अंजुम बाराबंकवी द्वारा लिखी गई ग़ज़ल की सराहना करते हुए उन्हें एक स्नेहपूर्ण पत्र भेजा.पत्र में प्रधानमंत्री ने लिखा, "अयोध्या धाम में प्रभु श्रीराम के प्राण-प्रतिष्ठा के एक वर्ष पूर्ण होने पर अपनी प्रसन्नता को 'राम ग़ज़ल' लिखकर अभिव्यक्त करने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद.'राम ग़ज़ल' में प्रभु श्रीराम के प्रति अपने प्रेम को आपने बहुत सुंदर ढंग से दर्शाया है."
प्रधानमंत्री मोदी ने ग़ज़ल के माध्यम से श्रीराम के व्यक्तित्व की सुंदरता को स्वीकार करते हुए कहा कि "प्रभु श्रीराम साक्षात धर्म के, कर्तव्य के सजीव स्वरूप हैं.हमारे लिए राम का आदर्श हर परिस्थिति में हमें धैर्य, दृढ़ता, साहस, सत्यनिष्ठा और समभाव बनाए रखने की सीख देता है."
इसके अलावा, प्रधानमंत्री मोदी ने यह भी उल्लेख किया कि "यह देखना सुखद है कि अयोध्या धाम में श्रीराम के भव्य मंदिर में देश-विदेश से श्रद्धालु पहुंच रहे हैं.इससे स्थानीय अर्थव्यवस्था और रोजगार को बढ़ावा मिल रहा है."
उन्होंने अंजुम बाराबंकवी के कार्य की सराहना करते हुए यह विश्वास व्यक्त किया कि ऐसे प्रयास भारत को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाएंगे.
अंजुम बाराबंकवी की ग़ज़ल का प्रभाव
अंजुम बाराबंकवी द्वारा लिखी गई ग़ज़ल की सुंदरता और भावनाओं की गहराई ने सभी को प्रभावित किया.ग़ज़ल में राम के व्यक्तित्व को अत्यंत सजीव और संवेदनशील तरीके से पेश किया गया है.ग़ज़ल के कुछ बोल इस प्रकार हैं:
"दूर लगते हैं मगर पास हैं दशरथ नन्दन, मेरी हर साँस का विश्वास हैं दशरथ नन्दन"
"दिल के काग़ज़ पे कई बार लिखा है मैंने, इक महकता हुआ अहसास हैं दशरथ नन्दन"
"दूसरे लोगों के बारे में नहीं जानता हूँ, मेरे जीवन में बहुत ख़ास हैं दशरथ नन्दन"
"और कुछ दिन में समझ जाएगी छोटी दुनिया, हम ग़रीबों की बड़ी आस हैं दशरथ नन्दन"
"आप इस तरह समझ लीजिए मेरी अपनी, ज़िन्दगी के लिए मधुमास हैं दशरथ नन्दन"
इस ग़ज़ल के माध्यम से अंजुम ने न केवल राम के धार्मिक महत्व को व्यक्त किया, बल्कि भारतीय संस्कृति और धार्मिकता के प्रति अपनी आस्था को भी दर्शाया.
भविष्य की योजनाएँ
अंजुम बाराबंकवी ने बताया कि वह राम के विषय में और ग़ज़लें लिखने का कार्य जारी रखेंगे.उनकी योजना है कि वह जल्द ही 50ग़ज़लों का एक संग्रह तैयार कर प्रधानमंत्री मोदी को भेंट करेंगे.इसके साथ ही वह उर्दू साहित्य को और भी समृद्ध करने के लिए इस दिशा में अपनी रचनात्मकता का विस्तार करना चाहते हैं.
अंजुम बाराबंकवी की ग़ज़लें केवल साहित्यिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण नहीं हैं, बल्कि वे एक संदेश देती हैं कि कैसे विभिन्न धार्मिक आस्थाओं और सांस्कृतिक धरोहरों को एक दूसरे के साथ जोड़कर सम्मान और प्रेम की भावना उत्पन्न की जा सकती है.उनके प्रयास से यह साबित होता है कि साहित्य और कला धार्मिक सीमाओं से परे होकर एकता और भाईचारे का प्रतीक बन सकते हैं.
शाहरुख खान की पसंद
आपको बता दें कि डॉ. अंजुम बाराबंकवी की एक गजल के कुछ शेर दो साल पहले बॉलीवुड के बादशाह शाहरुख खान ने ट्वीट किए थे.शाहरुख खान ने 2013में एक ग़ज़ल के दो शेर ट्वीट किए थे, जिन्हें उनके एक्स (पूर्व ट्विटर अकाउंट) के शीर्ष पर मौजूद अंजुम बारा बांकवी ने रीट्वीट किया था.
डॉ. अंजुम बाराबंकवी भारत के ऐतिहासिक शहर भोपाल से हैं.उनके पिता का नाम सैयद करार अली और उनकी माता का नाम सईदा नसीम आयशा है.उनका जन्म 1 जनवरी 1964 को मेला रायगंज बाराबकी में हुआ था.उन्होंने लखनऊ विश्वविद्यालय से स्नातक की उपाधि प्राप्त की है.
बरकतुल्लाह विश्वविद्यालय, भोपाल से पीएचडी पूरी की. अंजुम बाराबंकवी चुंकी सादात परिवार से हैं, इसलिए बचपन से ही उन्हें लिखने और सुनाने का शौक था, जिसे उन्होंने अपने जीवन में कभी नहीं भुलाया.वे नात महफ़िल और नात मुशायरा में भाग लेते हैं और अपनी बेहतरीन शायरी और पारंपरिक गीतों से महफ़िल में जान डाल देते हैं.
डॉ. अंजुम बाराबंकवी 1991 में रोजगार की तलाश में भोपाल आईं और यहीं से गजल के सम्राट डॉ. बशीर बद्र ने डॉ. मुहम्मद नोमान खान की देखरेख में 'व्यक्तित्व और कला' विषय पर शोध प्रबंध लिखा.बरकतुल्लाह विश्वविद्यालय, भोपाल से पीएचडी की की.
डॉ. अंजुम बाराबंकवी के सगे मामा हजरत सरवर बरा बकवी, जो उस समय के मशहूर शायर थे, और डॉ. सागर अज़ीम उनके रिश्तेदारों में से थे.उन्हें साहित्य की संगति का भी भरपूर लाभ मिला.ग़ज़ल के उस्ताद डॉ. बशीर बदर से मुलाक़ात की और उनके साथ देश ही नहीं, बल्कि विदेशों में भी काम किया.उन्होंने न सिर्फ़ काव्य संग्रह पढ़े, बल्कि उनके काव्य संग्रहों का संकलन भी किया.