डिजाइन में माहिर गाजीपुर के बदरुद्दीन अंसारी

Story by  दयाराम वशिष्ठ | Published by  [email protected] | Date 23-02-2024
Badruddin Ansari of Ghazipur, expert in design
Badruddin Ansari of Ghazipur, expert in design

 

दयाराम वशिष्ठ

गाजीपुर के रहने वाले बदरूद्दीन अंसारी कला के इतने माहिर हैं कि उनके डिजाइन को दर्शनगण खूब पसंद करते हैं.वे बाजार में हर बार कोई न कोई नया डिजाइन लाने का प्रयास करते हैं. इससे उनकी डिजाइन हाथों हाथ बिक जाती हैं.

बचपन से बाप दादा के साथ बुनाई व डिजाइन बनाने का काम सीखा.एक समय था जब इनके पिता सगीर अंसारी खादी आश्रम से सामान लाकर उसे घर पर बुनाई कर मजदूरी करते थे.उस समय परिवार के सभी लोग घंटों तक काम करते थे, तब जाकर उनका गुजारा होता था.

करीब 20 साल पहले परिवार पर उस समय आर्थिक संकट मंडरा गए, जब इनके पिता सगीर अंसारी का इंतकार हो गया.लेकिन भाइयों के आपसी प्यार के चलते परिवार के सभी सदस्यों ने मिलकर इस आर्थिक संकट का जमकर मुकाबला किया, आखिरकार आज यह परिवार बुनकर के क्षेत्र में अपना प्रसिद्धि हासिल कर चुका है.

बनारस से सामान लाकर बेचते थे बाजार में

पिता की मौत के बाद चारों भाइयों ने खुद का काम शुरू करने का निर्णय लिया.बडे भाई ने यह पहल शुरू कर कारोबार शुरू किया। बदरूद्दीन अंसारी कहते हैं कि उस समय बनारस से सामान लाकर उसे अपने गांव पहाडपुर कलां में लाते थे.

जहां परिवार के सभी लोग मिलकर घंटों घंटों तक काम करते थे.इसके बाद तैयार सामान को बडे कारोबारियों को बेच देते थे.धीरे धीरे उनका यह काम काफी आगे बढता चला गया.बाद में सभी भाइयों ने अपना अलग अलग कारोबार शुरू कर दिया.

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कभी करते थे मजदूरी, आज दे रहे हैं रोजगार

दिन रात कडी मेहनत करने वाले बदरूद्दीन अंसारी एक समय मजदूरी करते थे, लेकिन आज लोगों को रोजगार दे रहे हैं.उनका कहना है कि 10कारीगर काम करते हैं, जो लम्बे समय से कर रहे हैं.जरूरत पडने पर कारीगर की संख्या बढा दी जाती है.

 इसी तरह उनके पास युवा काम सीखने के लिए भी पहुंचते हैं.उनका मानना है कि आज वे अपनी मेहनत से बेहद खुश हैं.हस्तशिल्प के क्षेत्र में नाम कमाने के उद्देश्य से दिन रात मेहनत की और आज वे इसी के बलबूते ग्वालियर, चैन्नई, कोलकत्ता समेत देश के विभिन्न शहरों में लगने वाले मेले में भाग लेने का मौका मिला है.

 इसकी बदौलत आज वे अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा दिला रहे हैं.बदरूद्दीन अंसारी कहते हैं कि उनका बेटा सिविल इंजीनियर की पढाई कर रहा है, जबकि बेटियां खुशनारा व अकसा बीए की पढाई कर रही हैं.समय मिलने पर पत्नी आशिया बेगम व उनके बच्चे भी जूट में अलग अलग डिजाइन बनाकर वॉल हैंगिग के आयटम बनाती रहती हैं.

बच्चों का नहीं है इस क्षेत्र में रूझान

पुस्तैनी काम होने के नाते बच्चे इस काम में उनका हाथ जरूर बंटाते हैं, लेकिन उनके बच्चे अब इस क्षेत्र को पसंद नहीं कर रहे हैं.उनका मानना है कि इस काम में बहुत मेहनत है, जिसे आज के बच्चे करना पसंद नहीं करते.

मेहनत के मुकाबले तैयार उत्पाद उम्मीद के मुताबिक बिक नहीं पाता है.यही कारण है कि पिछले करीब 7-8साल से यह काम लगातार डाउन होता जा रहा है. इससे उन्हें लॉस हो रहा है.इससे इस कारोबार से जुडे लोगों का इससे मोह भंग होता जा रहा है.

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हरियाणा के जेल में तैनात डीएसपी को भी पसंद आई डिजाइन

हरियाणा की एक जेल में तैनात डीएसपी अमित सूरजकुंड मेले के दौरान बारीकी से मेले का जायजा ले रहे थे.उनकी सोच थी कि कोई ऐसा डिजाइन देखा जाए, जिसे वह जेल में कैदियों से बनवा सकें.जब वे सूरजकुंड में बदरूद्दीन अंसारी के स्टाल पर पहुंचे तो वहां जूट पर बनाई वॉल हैंगिंग डिजाइन में सत्यमेव को देख काफी प्रभावित हुए.

 उन्होंने इस बारे में शिल्पकार बदरूद्दीन अंसारी से काफी जानकारी जुटाई.इसी तरह दर्शकगण इनकी डिजाइन को देख काफी आकर्षित हुए.वे ज्यादातार वॉल हैंगिग जूट क्राफ्ट में नई नई डिजाइनिंग बाजार में लाते हैं.

पहाडपुर में 30-40 घरों में होता है यह हैंडलूम का काम

गाजीपुर जिले का पहाडपुर में 30 से 40 घर ऐसे हैं, जिनमें आज भी हैंडलूम व खादी बुनाई का काम होता है.यहां घरों में परिवार के लोग मिलकर इस काम को आगे बढाते हैं.जो बच्चे पढाई करते हैं, वह स्कूल कॉलेज से लौटने के बाद इस पुस्तैनी काम में हाथ बंटाते हैं.