अजीज खान ने कायम की मिसाल, मंदिर को सौंपा जमीन के मुआवजे का पैसा

Story by  मलिक असगर हाशमी | Published by  [email protected] | Date 26-09-2024
SDM की मौजूदगी में मंदिर समिति को चेक सौंपते अजीज खान
SDM की मौजूदगी में मंदिर समिति को चेक सौंपते अजीज खान

 

मलिक असगर हाशमी / नई दिल्ली / रायसेन

‘‘मंदिर-दरगाह के पैसे खाना हमारी फितरत में नहीं, इसलिए हमने मुआवजे का सारा पैसा मंदिर समिति को सौंप दिया.’’ यह कहकर अधिवक्ता अजीज खान मंसूरी मुस्कराने लगे.दरअसल, मध्य प्रदेश के रायसेन जिले के बेलागंज शहर के निवासी अधिवक्ता और उनके परिजनों ने अपनी जमीन के मुआवजे का सारा पैसा एक मंदिर समिति को सौंप कर सामाजिक सौहार्द की मिसाल कायम की है, जिसकी हर तरफ तारीफ हो रही है.

पूरा मामला कुछ यूं है. करीब पांच दशक पहले अधिवक्ता अजीज खान मंसूरी की पत्नी हाजरा बी के परिजनों ने चार एकड़ 36 डिस्मिल जमीन बीना नदी इलाके में खरीदी थी. कुछ समय पहले तक इस भूखंड का स्वामित्व हाजरा बी के पास था. इस भूखंड के करीब ही मडिया बांध बन रहा है.

मगर बीना परियोजना के तहत जमीन डूब क्षेत्र में आने पर इसे सरकार ने अधिग्रहित कर लिया.अधिवक्ता अजीज खान मंसूरी कहते हैं, ‘‘ जिस समय उनकी पत्नी हाजरा बी के परिजनों ने यह जमीन खरीदी थी तब इसके एक छोटे से हिस्से में हनुमान मंदिर और एक अन्य हिस्से में एक दरगाह थी.

यह हनुमान मंदिर गोकुल दास की तरी के नाम से इलाके में काफी चर्चित है और इसके प्रति आसपास के लोगों की गहरी आस्था होने के चलते यहां हर समय श्रद्धालुओं की भारी भीड़ लगी रहती थी.’’

अजीज खान मंसूरी आगे बताते हैं, ‘‘ पहले यह मंदिर छोटा सा था. बाद के दिनों में मंदिर समिति के लोगों ने  जमीन के एक अन्य हिस्से पर विस्तार देकर इसेभव्य रूप दे दिया. बावजूद इसके उनके बीच यह कभी  विवाद का मुद्दा नहीं रहा.’’

हालांकि, वर्तमान स्थिति ऐसी नहीं कि किसी मुसलमान के जमीन पर कोई मंदिर बना ले या किसी हिंदू की जमीन पर मस्जिद बनाने और किसी तरह का विवाद न हो. इसके विपरीत ’गोकुलदास की तरी’ मध्य प्रदेश के रायसेन जिले में हिंदू-मुस्लिम सौहार्द की मिसाल बना रहा.

अधिवक्ता अजीज खान मंसूरी आवाज द वाॅयस को बताते हैं कि बीना परियोजना के तहत उनकी जमीन का अधिग्रहण होने के बाद चार लाख रूपये प्रति एकड़ के हिसाब ने उन्हें मुआवजा मिला.

मंदिर उनके जमीन के 300 स्क्वायर फिट पर बना हुआ था, जिसका मुआवजा उन्हें 7 लाख 51 रुपये मिला, जबकि दरगाह की जमीन के एवज में 18 हजार रुपये.

अधिवक्ता अजीज खान मंसूरी बताते हैं, ‘‘ 18 सितंबर को मंदिर की जमीन के मुआवजे का सारा पैसा 7 लाख 51 हजार रुपये बेलागंज के एसडीएम सौरभ मिश्रा की मौजूदगी में मंदिर समिति को इस शर्त के साथ सौंप दिया गया कि जहां भी हनुमान मंदिर का निर्माण होगा, मुआवजे का सारा पैसा उसपर खर्च किया जाएगा. इसी तरह 18 हजार रुपये दरगाह प्रबंधन समिति को भी सौंप दिया गया.

अधिवक्ता अजीज खान मंसूरी बताते हैं कि मुआवजे का पैसा मंदिर समिति को चेक की शक्ल में लिखित समझौते के साथ सौंपा गया है. इस दौरान अजीज के परिजन के अलावा मंदिर समिति के पंडा मुन्ना यादव कुशवाह, सचिव ओम प्रकाश गौर और समिति के बाकी सदस्य भी मौजूद थे.


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रायसेन में नदी किनारे खड़े अधिवक्ता अजीज खान

एसडीएम सौरभ मिश्रा कहते हैं, ‘‘ अजीज खान के परिवार वालों की यह पहल न केवल सहराहनीय है, बल्कि समाज मंे सौहार्द बढ़ाने वालों को हौंसला देने वाला भी है.’’ उन्होंने बताया कि उनकी मौजूदगी में मंदिर समिति ने वादा किया है कि जहां भी अजीज खान मंसूरी के दिए पैसे से हनुमान मंदिर का निर्माण होगा, उसके शिलालेख पर उनका नाम अवश्य लिखा जाएगा.

48 वर्षीय अजीज खान मंसूरी पेशे से अधिवक्ता होने के अलावा इलाके के खाते-पीते काश्तकार हैं. उनके दो बेटे हैं 22 वर्षीय मोहम्मद अरसान खान और 18 वर्षीय हयात खान. दोनों पढ़ाई कर रहे हैं. पत्नी हाजरा बी गृहणी हैं.

आवाज द वाॅयस संवाददाता ने जब अधिवक्ता अजीज खान मंसूरी से पूछा कि अपनी जमीन के मुआवजे का पैसा एक मंदिर को देने पर इलाके के मुस्लिम समाज में कैसी प्रतिक्रिया देखने को मिली ?

इसके जवाब में उन्होंने बताया, ‘‘ समाज के कई लोग उनके इस कदम की जमकर तारीफ कर रहे हैं, जबकि कुछ ने इसपर ऐतराज जताया.’’ वह आगे कहते हैं-‘‘कौन क्या कहता है, मुझे इसकी चिंता नहीं. मुझे अल्लाह को मुंह दिखाना है. मंदिर-दरगाह का पैसा खाना हमारी फितरत में नहीं. जिसका पैसा था उसे सौंप दिया.’’

अधिवक्ता अजीज खान मंसूरी और उनके परिवार के इस खुले विचार पर मंदिर समिति के सचिव ओम प्रकाश गौर प्रतिक्रिया में कहते हैं, ‘‘ भले ही समाज में नफरत घोलने वालों की कमी नहीं, पर हमारे देश और समाज में सौहार्द अजीज खान मंसूरी जैसे लोगों के कारण ही बना हुआ है.’’