आवाज-द वॉयस एक और मुकाम पर, अरबी संस्करण लॉन्च

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  [email protected] | Date 16-03-2024
Awaaz-The Voice (Arabic)
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atirआतिर खान
प्रधान संपादक
अरब जगत के साथ भारत के संबंध प्राचीन और समय-परीक्षित हैं. यह मध्यकाल था, जब अरबी भाषी यात्री भारत आए और उन्होंने आकर्षक वृत्तांत लिखे. भारत की समृद्धि के बारे में ये कहानियां शेष विश्व के लिए आंखें खोलने वाली थीं. हाल के दिनों में पश्चिम एशिया और उत्तरी अफ्रीकी क्षेत्र में भारत की पहुंच ने क्षेत्रीय संबंधों को और मजबूत किया है.

चूंकि भारत और अरबी भाषी क्षेत्र के बीच मजबूत संबंध हैं. इसलिए अरब क्षेत्र के लोगों में भारत को बेहतर तरीके से जानने की उत्सुकता है. इसे ध्यान में रखते हुए और समावेशिता की हमारी संपादकीय नीति के साथ तालमेल बिठाते हुए, हम आपके लिए अपना छठा संस्करण ‘आवाज-द वॉयस अरबी’ लेकर आए हैं। यह संस्करण भारत और अरब दुनिया के बीच सूचना अंतर को पाट देगा.

अरब जगत के साथ हमारे संबंध इतने गहरे हैं कि इस्लाम के आगमन से पहले भी उस क्षेत्र के यात्री भारत, विशेषकर दक्षिण का दौरा करते थे. इस्लाम के प्रकाश में आने के बाद भी अरब से भारत की ओर लोगों का आना-जाना जारी रहा.

इस तथ्य का एक बड़ा प्रमाण चेरामन जुमा मस्जिद है, जो आज तक केरल में मौजूद दुनिया की सबसे पुरानी मस्जिदों में से एक है.रिश्ते का पहला चरण व्यापार और वाणिज्य से जुड़ा था.

इसके बाद सांस्कृतिक संबंधों का दूसरा चरण आया. अल बरूनी और इब्न बतूता जैसे अरबी भाषी विद्वानों ने भारत और इसके लोगों को समझने में बहुत रुचि दिखाई थी. उन्होंने भारतीय संस्कृति और विद्वता का अध्ययन करने के लिए भारत में काफी समय बिताया। भारत की धारणा के बारे में उनके विवरण दुनिया भर में व्यापक रूप से उद्धृत किए जाते हैं.

उनके युग के बाद आने वाले समय में अरब जगत में हमारे मित्र भारत को केवल द्वितीयक स्रोतों, मुख्य रूप से विदेशी मीडिया के लेंस से प्राप्त जानकारी के माध्यम से ही समझ पाए.

आवाज-द वॉयस भारत से अरबी भाषा में दैनिक समाचार और विचार लाने वाला पहला स्वदेशी समाचार पोर्टल बन गया है.हमारा अरबी संस्करण पश्चिम एशिया और उत्तरी अफ्रीका में भारत से संबंधित सामग्री की बढ़ती भूख को पूरा करेगा.

विश्व के कम से कम बाईस देश अरबी भाषी हैं. उस क्षेत्र में रहने वाले लोगों ने सांस्कृतिक और आध्यात्मिक संबंधों के लिए भारतीय लोगों के बारे में अधिक जानने में गहरी रुचि दिखाई है.

भारत और अरब भाषी दुनिया कूटनीति, सुरक्षा, व्यापार और संस्कृति में अच्छे संबंधों को बढ़ावा दे रहे हैं. भारत और अरब देश इस क्षेत्र के सबसे बड़े व्यापार भागीदारों में से एक हैं। भारत के अरब क्षेत्र में प्रवासी भारतीयों की एक बड़ी आबादी बसती है.

चार साल की छोटी सी अवधि में आवाज-द वॉयस ने छह भाषाओं में संस्करण लॉन्च किए हैं. यह हमारे पाठकों और दर्शकों के समर्थन के बिना संभव नहीं हो सका, जिन्होंने पांच अन्य भाषाओं अंग्रेजी, उर्दू, हिंदी, असमिया और मराठी में हमारी सामग्री में अत्यधिक रुचि दिखाई है.

एक और मील का पत्थर छूने पर हम अपने पाठकों के प्रति अपना आभार व्यक्त करना चाहते हैं. हमें उम्मीद है कि अरब जगत में हमारे पाठक अब हमारी सामग्री की भी सराहना कर सकेंगे.