आवाज द वाॅयस/नई दिल्ली
बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों के खिलाफ बढ़ती हिंसा ने मानवता और लोकतांत्रिक मूल्यों को गहरा आघात पहुँचाया है.मुस्लिम राष्ट्रीय मंच (एमआरएम) ने इन घटनाओं पर कड़ा रुख अपनाते हुए न्याय की मांग की और इस मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उठाने के लिए अभियान शुरू किया है.
मंच ने स्पष्ट किया कि अब किसी भी प्रकार के अन्याय के खिलाफ चुप्पी नहीं साधी जाएगी.इसके साथ ही मंच ने सम्भल में हुई हिंसा और मौत के लिए समाजवादी पार्टी और कांग्रेस की गंदी राजनीति को जिम्मेदार ठहराया है.मंच ने सम्भल और अजमेर के मामले में लोगों से शांति सद्भाव सौहार्द बनाए रखते हुए संविधान और न्यायपालिका पर विश्वास बनाए रखने की अपील की है.
महत्वपूर्ण बैठक में कठोर निर्णय
नई दिल्ली के पहाड़गंज स्थित मंच के कार्यालय कलाम भवन में देर रात तक चली बैठक में मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के अधिकारियों और कार्यकर्ताओं ने विभिन्न ज्वलंत मुद्दे पर गहन चिंतन किया.बैठक में मोहम्मद अफजाल, शाहिद अख्तर, डॉक्टर माजिद तालिकोटी, शालिनी अली, सैयद रजा हुसैन रिजवी, गिरीश जुयाल, इमरान चौधरी, हाफिज साबरीन, शाकिर हुसैन, विराग पांचपीर, फारूक खान, ठाकुर राजा रईस, एसके मुद्दीन, अबु बकर नकवी, शाहिद सईद, अल्तमश बिहारी, इरफान अली पीरजादा समेत अनेकों प्रमुख सदस्यों ने भाग लिया.
सभी ने सर्वसम्मति से यह निर्णय लिया कि बांग्लादेश में हो रही अल्पसंख्यकों के खिलाफ वारदातों को लेकर भारतीय नागरिकों को जागरूक किया जाएगा.
बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों पर हमले चिंताजनक
बांग्लादेश में हिंदू समुदाय पर लगातार अत्याचार, मंदिरों का विध्वंस, महिलाओं के खिलाफ हिंसा और सामाजिक असहिष्णुता की घटनाएं हो रही हैं.एमआरएम के राष्ट्रीय संयोजक शाहिद सईद ने इसे "मानवता के खिलाफ अपराध" करार दिया.उन्होंने कहा, "यह केवल धार्मिक मुद्दा नहीं है, यह मानवाधिकारों और मानवीय मूल्यों की रक्षा का मामला है.भारत को बांग्लादेश में हो रहे अत्याचारों को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उठाना होगा."
एमआरएम के राष्ट्रीय संयोजक मोहम्मद अफजाल ने बताया कि 10दिसंबर से अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस के मौके पर मानवाधिकार सप्ताह मनाएगा मुस्लिम राष्ट्रीय मंच.इस दौरान देशभर में मंच विरोध प्रदर्शन करेगा जिसका उद्देश्य न केवल पीड़ितों के प्रति सहानुभूति व्यक्त करना है, बल्कि इस गंभीर समस्या को वैश्विक स्तर पर उजागर करना भी है.
भारत सरकार से प्रमुख मांगें
1. बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों की सुरक्षा: भारत सरकार बांग्लादेश सरकार पर दबाव डालकर मंदिरों और अल्पसंख्यक समुदायों पर हमले रुकवाए.
2. अंतरराष्ट्रीय जागरूकता: बांग्लादेश में हो रहे मानवाधिकार हनन को वैश्विक मंचों पर उठाया जाए.
3. पीड़ितों के लिए राहत कार्य: बांग्लादेश में प्रभावित हिंदू परिवारों को मानवीय सहायता प्रदान की जाए.
मानवाधिकार सप्ताह: न्याय और एकता का प्रतीक
एमआरएम ने मानवाधिकार सप्ताह को न्याय और एकता का प्रतीक बनाने का संकल्प लिया है.मंच का कहना है कि यह अभियान केवल सहानुभूति जताने के लिए नहीं, बल्कि न्याय को सुनिश्चित करने के लिए है.इस अभियान का उद्देश्य मानवता और न्याय की रक्षा के लिए एक मजबूत संदेश देना है.
सम्भल हिंसा और मासूमों की मौत के लिए समाजवादी और कांग्रेस जिम्मेदार
मुस्लिम राष्ट्रीय मंच ने सम्भल में हुई हिंसा के लिए समाजवादी पार्टी (सपा) और कांग्रेस को जिम्मेदार ठहराया है.मंच का आरोप है कि सपा और कांग्रेस ने चुनावों में अपनी हार की खीज उतारने के लिए लोगों को भड़काया, अफवाहें फैलाईं, और दंगे की साजिश रचकर शहर को हिंसा की आग में झोंक दिया.
राष्ट्रीय संयोजक शाहिद अख्तर ने इस घटनाक्रम पर गहरी चिंता व्यक्त की और लोगों से अपील की है कि वे अमन, शांति, सद्भाव और सौहार्द बनाए रखें.उन्होंने संविधान और न्यायपालिका के प्रति सम्मान बनाए रखने का संदेश दिया ताकि समाज में शांति और स्थिरता बनी रहे.
अजमेर दरगाह पर विवाद: संयम और शांति बनाए रखने की अपील
अबु बकर नकवी ने अजमेर दरगाह से जुड़े विवाद पर शांति बनाए रखने की अपील की.उन्होंने कहा कि अजमेर दरगाह भारत की सांस्कृतिक और धार्मिक धरोहर का प्रतीक है.यहां सभी धर्मों के लोग आस्था रखते हैं.उन्होंने इस सांप्रदायिक सौहार्द को बनाए रखने की आवश्यकता पर जोर दिया.
एमआरएम ने हिंसा भड़काने वालों पर सख्त कार्रवाई की मांग की और सरकार से अपील की कि ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए ठोस कदम उठाए जाएं.मंच ने जनता से अपील की कि वे अफवाहों और राजनीतिक साजिशों से बचें और देश में शांति और एकता के लिए काम करें.
समाज की शांति, सौहार्द और धार्मिक स्थलों की महत्ता
राष्ट्रीय संयोजक डॉक्टर शालिनी अली ने कहा कि अजमेर शरीफ जैसे पवित्र धार्मिक स्थल और समाज की शांति के प्रयास दोनों ही भारत की सांस्कृतिक विविधता और धार्मिक सहिष्णुता के प्रतीक हैं.ये स्थल आध्यात्मिकता और श्रद्धा के केंद्र हैं, जो समाज में एकता और भाईचारे का संदेश देते हैं.कट्टरपंथ और व्यर्थ विवाद न केवल इन स्थलों की पवित्रता को आहत करते हैं, बल्कि समाज की एकता और विकास में भी बाधा उत्पन्न करते हैं.
धार्मिक कट्टरता के खिलाफ एकजुट
मुस्लिम राष्ट्रीय मंच ने लोगों से अपील की है कि वे धार्मिक कट्टरता के खिलाफ मोहब्बत और इंसानियत के साथ खड़े हों.मंच का मानना है कि यह समय है जब समाज के सभी वर्ग मिलकर शांति और सौहार्द का संदेश दें और नफरत के खिलाफ एकजुट हों.मंच का मानना है कि सम्भल जैसी घटनाओं ने कट्टरपंथ के खतरों को उजागर किया है.
इस चुनौती से निपटने के लिए शिक्षा, जागरूकता, संवाद और सांस्कृतिक कार्यक्रमों के माध्यम से सौहार्द स्थापित करना आवश्यक है.केंद्र और राज्य सरकारों समाज में शांति बनाए रखने के प्रयास, भारत की धर्मनिरपेक्षता और "विविधता में एकता" की पहचान को लगातार मजबूत करने में लगी हैं.नफरत का जवाब मोहब्बत से और कट्टरता का उत्तर सहिष्णुता से देना ही हमारी संस्कृति की सच्ची पहचान है.