बांग्लादेश में हिंदुओं पर अत्याचार गैर-इस्लामी कृत्य : मुस्लिम बुद्धिजीवियों ने मोहम्मद यूनुस को लिखा पत्र

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  [email protected] | Date 08-12-2024
Atrocities against Hindus in Bangladesh is an un-Islamic act: Muslim intellectuals write a letter to Mohammad Yunus
Atrocities against Hindus in Bangladesh is an un-Islamic act: Muslim intellectuals write a letter to Mohammad Yunus

 

आवाज़ द वाॅयस/नई दिल्ली

बांग्लादेश में हिंदुओं पर लगातार हो रहे अत्याचारों के खिलाफ दुनिया भर में आवाजें उठ रही हैं, ऐसे में भारत के प्रमुख मुस्लिम बुद्धिजीवियों, पत्रकारों और पूर्व नौकरशाहों ने बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचारों की कड़ी निंदा की है. इसे गैर-इसलामी करार दिया है. सिटीजन्स फॉर फ्रेटरनिटी समूह ने बांग्लादेश के अंतरिम नेता मोहम्मद यूनुस को पत्र लिखकर वहां अल्पसंख्यकों के साथ "दुर्व्यवहार" की कड़ी निंदा की है और बांग्लादेशी अधिकारियों से सुधारात्मक कदम उठाने का आग्रह किया है.

पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एसवाई कुरेशी , दिल्ली के पूर्व उपराज्यपाल नजीब जंग , एएमयू के पूर्व कुलपति जमीरुद्दीन शाह , पूर्व सांसद शाहिद सिद्दीकी और उद्योगपति सईद शेरवानी द्वारा हस्ताक्षरित पत्र में कहा गया है कि बांग्लादेश में अल्पसंख्यक के प्रति हालिया घटना और रवैया भयावह है.भारतीय मुसलमानों के लिए बड़ी चिंता का कारणहै.

सिटीजन्स फॉर फ्रेटरनिटी समूह ने अपने पत्र में कहा,मुसलमानों के रूप में, हम इस तरह के गैर-इस्लामी व्यवहार से निराश हैं, जो स्पष्ट रूप से इस्लाम के सिद्धांतों और पैगंबर द्वारा दिखाए गए मार्ग के खिलाफ है.हमें पूरी उम्मीद है कि बांग्लादेश सरकार सभी सांप्रदायिक तत्वों पर नकेल कसेगी. अपनी हिंदू आबादी के साथ-साथ अन्य अल्पसंख्यकों के लिए पूर्ण सुरक्षा सुनिश्चित करता है.''पत्र में कहा गया है कि अल्पसंख्यकों को उनकी जाति या धर्म की परवाह किए बिना सुरक्षा प्रदान की जानी चाहिए.

 पत्र में लिखा है कि हम वास्तव में उम्मीद करते हैं कि बांग्लादेश सरकार सभी सांप्रदायिक तत्वों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करेगी और अपनी हिंदू आबादी के साथ अन्य अल्पसंख्यकों के लिए पूर्ण सुरक्षा सुनिश्चित करेगी.हम इसकी कड़ी निंदा करते हैं. पत्र में कहा गया है कि यह कायरतापूर्ण कृत्य है जो अल्पसंख्यकों की रक्षा के महत्व पर जोर देते हुए इस्लाम को नकारात्मक रूप में चित्रित करता है.

 अल्पसंख्यकों के साथ व्यवहार लोकतंत्र की एक महत्वपूर्ण परीक्षा है.अल्पसंख्यकों को उनकी जाति और रंग की परवाह किए बिना सभी समाजों में संरक्षित किया जाना चाहिए.पत्र में स्थिति का जिक्र किया गया है.कहा गया है कि सबसे दर्दनाक बात यह है कि कोई भी वकील अपने सह-धर्मवादियों के प्रतिशोध के डर से पीड़ित का बचाव करने के लिए तैयार नहीं है.

यदि बांग्लादेश की वर्तमान सरकार ने इस दुखद घटनाक्रम को नहीं रोका तो यह मौन समर्थन को प्रतिबिंबित करेगा.दक्षिण एशिया को क्षेत्र में हो रहे इस नाटकीय विकास पर विचार करने की आवश्यकता है.हमें मानवाधिकारों और अल्पसंख्यकों के हितों की सुरक्षा के लिए संयुक्त राष्ट्र चार्टर के इस उल्लंघन की निंदा करनी चाहिए.हम अल्पसंख्यकों के साथ इस दुर्व्यवहार की कड़ी निंदा करते हैं और बांग्लादेशी अधिकारियों से तत्काल और सुधारात्मक कदम उठाने की अपील करते हैं.