सेराज अनवर/पटना
कुछऐसे भी लगनशील और जुनूनी लोग हैं,आगे का लक्ष्य सोचते हैं और उसे मूर्त रूप देते हैं.उसमें एक बिहार के आसिम खान हैं.प्राइवेट नौकरी छोड़ बिहार लोक सेवा आयोग(बीपीएससी)की परीक्षा में बैठें और एक बार नहीं ,दो बार उत्तीर्ण हो कर यह साबित किया है. मंगलवार की देर रात बीपीएससी ने 68 वीं का फाइनल रिज्लट घोषित किया तो कैमूर जिले के आसिम की छठी रैंक आई.
असीम ने अपने पहले प्रयास में 67 वीं बीपीएससी की परीक्षा में 115वीं रैंक हासिल की थी.इससे आसिम संतुष्ट नहीं थें इसलिए बीपीएससी में दूसरा अटेम्प्ट लिया.छठा स्थान प्राप्त कर अपने ज़िला,गांव और विशेष कर परिवार को गौरवान्वित करवाया.बीपीएससी के टॉप टेन में जगह बनाने वाले आसिम इकलौते मुस्लिम हैं.
अबलक्ष्य आईएएस बनने का है.आसिम खान ने बिहार हज भवन की कोचिंग से तैयारी की थी.इस कोचिंग से बीपीएससी में 15 अभ्यर्थी चयनित हुए हैं.इनमें 6 बेटियां हैं.
सुर्ख़ियों में क्यों हैं आसिम खान?
पटना सिटी के संदलपुर की प्रियांगी मेहता ने बीपीएससी में प्रथम स्थान प्राप्त की है.टॉप टेन में आसिम खान छठे स्थान पर हैं.इकलौते मुस्लिम हैं जिसने टॉप टेन में जगह बनायी है.इनकी चर्चा भी ख़ूब हो रही है.कामयाबी की कहानी भी इनकी प्रेरक है.
आसिम खान भभुआ प्रखंड के उजारी सिगठी गांव के रहने वाले हैं. बीपीएससी की परीक्षा पास कर 6 वीं रैंक हासिल कर सब रजिस्ट्रार का पद हासिल किया है.आसिम की इस उपलब्धि पर बधाई देने वालों का तांता लगा हुआ है. आसिम खान के चाचा सह शिक्षक अफजल खान ने बताया कि रिश्तेदारों और दोस्तों से लगातार बधाई संदेश मिल रहे हैं. घर में उत्सव जैसा माहौल है.
दरअसल,आसिम दिल्ली के फ़रीदाबाद में प्राइवेट नौकरी करते थे.पांच साल तक नौकरी की.लेकिन,सुबह दफ़्तर जाना शाम को लौटना उन्हें पसंद नहीं था.वह सिर्फ़ अपनी ज़िंदगी जी रहे थे.
उनकी दिलचस्पी पब्लिक सेवा में थी.जहां अपने बिहार और लोगों के लिए भी कुछ कर सकें.वह बताते हैं कि बिहार के धरातल से दूर थे,अपने राज्य को नहीं देख पा रहे थें.साल 2017 में ही प्राइवेट कंपनी में नौकरी मिल गई थी.
5 साल लगातार जॉब करने के बाद उन्होंने 2021 में नौकरी छोड़ दी और बीपीएससी की तैयारी में जुट गए.बीपीएससी के पहले प्रयास में 115 वीं स्थान पर रहे.पहली बार नहीं आई अच्छी रैंक तो फिर बीपीएससी में बैठें और इसबार 109 रैंक की छलांग लगा कर छठे स्थान पहुंच गये.
इस बार वह सब रजिस्ट्रार के पद पर सेवा देने को तैयार हैं लेकिन यहीं रुकने वाले नहीं.उनका कहना है कि सिविल सर्विस में दो मौक़ा और है और इसका उपयोग अब यूपीएससी की तैयारी में करेंगे.
आईएएस बनना आसिम का लक्ष्य है.वह बताते हैं कि बीपीएससी परीक्षा का पूरा नेचर बदल गया है.यह एक तरह से यूपीएससी का मिनी इम्तिहान है.दो बार बीपीएससी निकालने के बाद यूपीएससी भी निकाला जा सकता है.
सफलता के पीछे दादा का योगदान
आसिम की सफलता में उनके दादा इश्तियाक खान का अहम योगदान है. आसिम के पिता शाहिद खान भी प्रथम प्रयास में हीं बीपीएससी की परीक्षा पास कर सब इंस्पेक्टर बने थे.अभी वह झारखंड में पोस्टेड हैं.
इसके बाद दो चाचा भी पुलिस अधिकारी बन गए और परिवार के अन्य सदस्य शिक्षक, प्रोफेसर, दिल्ली हाईकोर्ट में वकील और टाटा कंपनी में मैनेजर के पद पर कार्यरत है. आसिम को घर से ही आगे बढ़ने की प्रेरणा मिली.
दादा ने हौसला बढ़ाया.पढ़ाई के लिए आसिम ने जॉब छोड़ दी और तैयारी में जुटे रहे. दादा इश्तियाक़ खान ने पोता को हर कदम पर साथ दिया, इसलिए सफलता मिली. इश्तियाक खान बताते हैं कि सरकारी अधिकारी से लेकर कर्मचारी तक के पद पर इस परिवार के सदस्य सेवा दे रहे हैं.
उन्होंने बताया कि किसान होने के बावजूद शुरू से ही शिक्षा के प्रति जागरूक रहा और यही वजह है कि 3 बेटे पुलिस पदाधिकारी हैं, जबकि एक बेटा शिक्षक और एक प्रोफेसर है. अब तो पोते और नाती ने भी अपने बड़ों के नक़्शेकदम पर चलकर सफलता हासिल की है.
उन्होंने बताया कि इस लक्ष्य को पाने के लिए आसिम ने लगातार कड़ी मेहनत की है. नौकरी मिलने के बाद जब पैसे हाथ में आने लगते हैं तो कोई जॉब छोड़ना नहीं चाहता. लेकिन आसिम ने बड़े लक्ष्य के लिए रिस्क उठाया और कामयाब भी हुए. इश्तियाक़ खान कहते हैं कि आसिम ने बीपीएससी तो क्लियर कर लिया, लेकिन लक्ष्य आईएएस बनने का है और वह भी कर दिखायेगा इंशाल्लाः
हज भवन की भी धूम
हज भवन कोचिंग की भी धूम है यहां से कोचिंग लेने वाले 15 अभ्यर्थी भी चयनित हुए.इनमें 6 बेटियां भी हैं जिन्हें कामयाबी मिली.इसी कोचिंग में पढ़ने वाले आसिम खान छठे टॉपर हैं जो सब रजिस्ट्रार बने हैं.
15 वें टॉपर नुरुल हक डीएसपी बने हैं. हज कमेटी कोचिंग के अनुसार आरिफुज्जमां डिस्ट्रिक्ट फायर अफसर के रूप में चयनित हुए जबकि मो. अफगान शेर खान, शबनम नाज़नीन और शाहनवाज खान असिस्टेंट डिजास्टर मैनेजमेंट अफसर बने. शहाना परवीन, एनायतुल्लाह राफे और शाइका ईमाम का चयन श्रम प्रवर्तन पदाधिकारी के रूप में हुआ.
अजकिया जावेद का प्रखंड पंचायत राज अफसर में,मो. राशिद हुसैन का राजस्व पदाधिकारी में, ताजुर आलम खान का सप्लाई इंस्पेक्टर पद पर जबकि नूर फातिमा, शहजाद अंजुम और गुफरान आलम प्रखंड एसी-एसटी कल्याण पदाधिकार बने.
साथ ही इसी कोचिंग में पहले पढ़ चुके 8 अभ्यर्थी समीना खातून, शाहरूख खान, समीर हसन, गुलाम सरवर, अजहर ईमाम, मो. आकिब मुख्तार, आबिद हुसैन, मासूम रजा का भी 68 वीं बीपीएसएसी में अंतिम रूप से चयन हो गया है.
'बिहार हज कमेटी के चेयरैमन अब्दुल हक ने बताया कि यह कोचिंग अल्पसंख्यक कल्याण विभाग की ओर से चल रहा है.जबकि अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री जमा खान इस सफलता को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की कोशिशों का नतीजा बताते हैं.
सफल अभ्यर्थियों को आवाज़ द वायस की ओर से बधाई