मोहम्मद अकरम / नई दिल्ली
जमाअत ए इस्लामी हिन्द के अमीर, सैयद सआदतुल्लाह हुसैनी ने कहा कि कलात्मक अभिव्यक्ति विचारों और भावनाओं की व्याख्या का माध्यम है, जो आध्यात्मिक, नैतिक और सौंदर्यात्मक मूल्यों पर आधारित होती है.वह जमाअत ए इस्लामी हिन्द की छात्र शाखा, इस्लामिक ऑर्गेनाइजेशन ऑफ इंडिया (एसआईओ) के तीन दिवसीय अल-नूर साहित्य महोत्सव के अंतिम दिन "कला, साहित्य और इस्लामी सभ्यता" पर चर्चा में बोल रहे थे.
उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि अगर किसी जगह गरीबों के मकान तोड़कर सुंदर शॉपिंग मॉल बनाया जाए, तो वह कला की उत्कृष्ट कृति नहीं कहलाएगी क्योंकि इसमें नैतिकता और आध्यात्मिक मूल्यों का अभाव होगा. इस्लाम में सौंदर्यशास्त्र को महत्व दिया गया है. पैगंबर मुहम्मद (स.अ.व.) ने कहा है, "अल्लाह सुंदर है और सुंदरता को पसंद करता है."
नई सभ्यता के निर्माण का आह्वान
कलाकारों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, "आपके पास समाज को बदलने और एक नई सभ्यता के निर्माण का शक्तिशाली माध्यम है." उन्होंने बगदाद के बुद्धिमता भवन और अल्लामा इक़बाल की कविताओं का उल्लेख करते हुए उनके ऐतिहासिक योगदान पर जोर दिया.
महोत्सव धूमधाम और नग़मों के बीच समाप्त हुआ. महोत्सव ने कला, साहित्य और दर्शन के विभिन्न पहलुओं को उजागर करते हुए युवाओं को नए विचारों और अनुभवों से जोड़ने का अवसर प्रदान किया. देश के कोने-कोने से पहुंचे 2000 से अधिक प्रतिनिधियों और 120 से अधिक अतिथियों ने इसमें भाग लिया.
महोत्सव का उद्देश्य कला, साहित्य और बौद्धिक चर्चा को प्रोत्साहित करना और सांस्कृतिक और अकादमिक आदान-प्रदान को मजबूत करना था. अंतिम रात गायक डॉ. हैदर सैफी के नग़मों ने कार्यक्रम को और भी जीवंत बना दिया.
इब्न-ए-सफी से प्रभावित डॉ. खालिद जावेद
जामिया मिल्लिया इस्लामिया के उपन्यासकार डॉ. खालिद जावेद ने अस्तित्ववाद और कथा साहित्य पर चर्चा की. उन्होंने कहा कि उनका लेखन इब्न-ए-सफी के नाविल से बहुत प्रभावित है. अपने उपन्यास "नेमत खाना" का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि यह सिर्फ भोजन के बारे में नहीं है, बल्कि इसमें कई गहरी बातों को उजागर किया गया है.
मुस्लिम राजनीति और न्याय पर चर्चा
"द मुस्लिम क्वेस्ट फॉर जस्टिस एंड पॉलिटिकल एजेंसी" विषय पर मलिक मोअतसिम खान और अख्तर उल ईमान के साथ एक पैनल चर्चा हुई. उन्होंने भारतीय राजनीति में मुसलमानों की चुनौतियों और न्याय की कमी पर अपने विचार साझा किए.डॉ. ब्रह्म प्रकाश सिंह ने हिंदू धर्म, हिंसा और नफरत की प्रवृत्तियों पर चर्चा की, जबकि सीएए आंदोलन पर आधारित एक डॉक्यूमेंट्री भी प्रस्तुत की गई.
मुस्लिम प्रतिरोध और मीडिया पर चर्चा
शरजील उस्मानी, वर्धा बेग और अन्य ने सीएए आंदोलन और भारतीय मुसलमानों के प्रतिरोध पर चर्चा की. मीडिया में मुसलमानों के चित्रण को लेकर आदित्य मेनन, अली शान जाफरी और सलमान अहमद के बीच एक पैनल चर्चा आयोजित हुई.
डॉ. हफीज अहमद और अन्य ने भारतीय मुस्लिम प्रतिरोध कविता पर प्रकाश डाला. सांस्कृतिक प्रस्तुतियों में कविताएं, संगीत और इस्लामी सभ्यता के विभिन्न पहलुओं को प्रस्तुत किया गया.महोत्सव में पैनल चर्चाओं, कार्यशालाओं, और सांस्कृतिक प्रदर्शनों की विस्तृत श्रृंखला देखने को मिली. नई प्रकाशित पुस्तकों और खाद्य स्टालों ने भी विशेष आकर्षण का केंद्र बनाया.
समापन और भविष्य की दिशा
महोत्सव के संयोजक डॉ. रोशन मुहीउद्दीन ने कहा कि इस कार्यक्रम ने साहित्य, कला और सांस्कृतिक आदान-प्रदान को नई दिशा दी है. समापन पर एसआईओ अध्यक्ष रामिस ई.के. ने अपने भाषण में भविष्य में और बड़े आयोजनों का वादा किया. तीन दिन तक चले इस महोत्सव ने युवाओं को न केवल प्रेरित किया, बल्कि उनके विचारों और सांस्कृतिक दृष्टिकोण को समृद्ध करने का काम भी किया.