मंजीत ठाकुर
छठ पूजा की गहमागहमी वैसे तो दीवाली के बाद से शुरू हो जाती है लेकिन नहाय-खाय से घरों में पवित्रता का प्रवेश हो जाता है और छठ पूजा की औपचारिकक शुरुआत मानी जाती है. छठ सूर्योपासना का लोकपर्व है. मोटे तौर पर इसको पूर्वी भारत में मनाया जाता रहा है लेकिन बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश के लोगों के देशभर में फैलने से यह त्योहार देश के अलग हिस्सों में मनाया जाने लगा है.
Lady worshiping sun in Chhath Puja 2023
लेकिन क्या सूर्य की पूजा महज भारत में होती है? ऐसा नहीं है. दुनियाभर के अलग-अलग हिस्सों में सूर्य की पूजा ऐतिहासिक रूप से होती रही है. इतिहास में विभिन्न ऐसी संस्कृतियां और धर्म रहे हैं जिन्होंने सूर्य की उपासना अपनी खास पद्धतियों की. इनमें सूर्य की पूजा में बलिप्रदान और मंदिर जैसे ढांचो का निर्माण भी शामिल है. कई सारे धर्मों में सूर्य देव उपासना के केंद्र में रहे हैं.
ऐसी संस्कृति और सभ्यताओं में पेरू के इंका, प्राचीन जॉर्डन के नेबेटियन्स और जापान के शिंटोइज्म जैसे पंथ और सभ्यताएं शामिल है. नेबेटियन्स ने जॉर्डन में तो सूर्य के सम्मान में पेट्रा नामक शहर भी बसाया था. दक्षिण अमेरिका में इंका सभ्यता के लिए सबसे महत्वपूर्ण देवताओं में से एक सूर्य देवता थे. इंका वास्तुकला का अधिकांश भाग सूर्य की पूजा के लिए डिज़ाइन और निर्मित किया गया है. इसमें विभिन्न स्थानों पर सूर्य की स्थिति (अयनांत) को चिह्नित करने के लिए स्तंभ बनाए गए हैं.
Inca sun god
सॉलिस्टिस या अयनांत साल में वह दिन होता है जिस दिन सूर्य की रोशनी सबसे अधिक देर तक पृथ्वी पर पड़ती है. यानी साल में सबसे लंबा वाला दिन ग्रीष्म अयनांत (21 या 22 जून) कहा जाता है. इंति रामयी इंका सभ्यता का सूर्य को समर्पित वार्षिक त्योहार है, जो ग्रीष्म अयनांत पर होता है, और आज भी शराब पीने, गाने और नृत्य के साथ मनाया जाता है.
Nabataean Tombs of Petra
नबातियन लोगों की पूजा भी सूर्य पर केंद्रित थी. उनके देवताओं में से एक, दुशारा, सूर्य, दिन के समय और पहाड़ों का प्रतीक था. और दुशारा की पूजा मंदिर की छतों से की जाती थी. रोम ने जब नाबेटिया पर कब्जा कर लिया उसके बाद भी यह देवता स्थानीय सिक्कों पर मौजूद था. साक्ष्यों से पता चलता है कि 400 ईसा पूर्व जॉर्डन के प्रसिद्ध नबातियन शहर पेट्रा में विषुव और अयनांत से जुड़े कई मंदिर या उस जैसे पवित्र ढांचे बनाए गए थे.
King Akhenaton and Queen Nefertiti of ancient Egypt
शिंटो धर्म में, अमातरसु नाम की एक सूर्य देवी हैं, जो उस पंथ की सबसे महत्वपूर्ण देवता हैं और वह ऊंचे स्वर्गीय मैदान पर शासन करती थी. एक प्रसिद्ध मिथक यह है कि कैसे अमातरसु ने एक अन्य देवता के साथ बहस के बाद खुद को एक गुफा में बंद कर लिया. जापानी लोककथा के मुताबिक, अमातरासु के गायब होने पर, दुनिया पूरी तरह से अंधेरे में डूब गई थी. जब तक वह गुफा से बाहर नहीं निकली तब तक सूरज की रोशनी वापस नहीं आई. ऐसा माना जाता है कि जापान के मौजूदा सम्राट उसी अमेतरासु देवी के वंशज हैं.
Inka gold coin with sun
हालांकि, इतिहासकार अब भी नवपाषाण काल के लोगों की धार्मिक मान्यताओं के बारे में पूरी तरह से नहीं समझ पाए हैं. लेकिन उनकी महापाषाण संरचनाएं (मेगालिथिक स्ट्रक्चर) मसलन, इंग्लैंड में स्टोनहेंज (3000 ईसा पूर्व) और आयरलैंड में न्यूग्रेंज (3200 ईसा पूर्व), उनके समुदायों में सूर्य के महत्व के प्रमाण हैं.
मिसाल के तौर पर, न्यूग्रेंज का निर्माण इस तरह से किया गया था कि शीतकालीन अयनांत से पहले और उसके बाद के दिनों में, सूरज की रोशनी मार्ग के प्रवेश द्वार के जरिए अंदर आती थी. एक मत यह भी है कि नवपाषाण संस्कृतियां शीतकालीन अयनांत को (भारत में संक्रांति) जीवन के विजय का प्रतीक मानती थी.
सूर्य की पूजा, सूर्य की आराधना मिस्र में 14वीं शताब्दी ईसा पूर्व में प्रायश्चित्तवाद (एटोनिज्म) में हुआ था.
Amaterasu Emerging From Exile (Japan)
हालांकि, सूर्य पूजा का प्रयोग अक्सर ईसाई इतिहासकारों द्वारा ‘पैगन’ (बुतपरस्त) धर्म के लिए एक शब्द के रूप में किया जाता रहा है. हालांकि, लगभग हर संस्कृति सौर प्रतीकों को उकेरती रही है लेकिन कुछ ही संस्कृतियों (मिस्र, इंडो-यूरोपीय और मेसो-अमेरिकी) ने ही सौर धर्म का विकास किया.
खास समानता यह है कि इन सभी स्थानों पर राज्य का दैवी सिद्धांत यानी राजा को ईश्वर मानने का चलन था. उन सभी में ऊपरी और निचली दोनों दुनियाओं के शासक के रूप में सूर्य की कल्पना की गई है.
प्राचीन मिस्र में सूर्य देवता रे प्रमुख देवता थे और उन्होंने उस सभ्यता के इतिहास की शुरुआत से ही इस स्थिति को बरकरार रखा था. स्वर्गीय महासागर के ऊपर सूर्य देवता की यात्रा से संबंधित मिथक में, सूर्य युवा देवता खेपर के रूप में निकलता है; दोपहर के समय आंचल में पूर्ण विकसित सूर्यदेव रे के रूप में प्रकट होता है, और शाम को पुराने सूर्य देवता, अतुम के रूप में अस्ताचल को जाता है.
Sun worship in late Roman history
मध्ययुगीन ईरान में, सूर्य उत्सव को पूर्व-इस्लामिक काल की विरासत के रूप में मनाया जाता रहा था. सूर्य पूजा का इंडो-यूरोपीय चरित्र सौर देवता की अवधारणा में भी देखा जाता है. सूर्यदेव को अमूमन हम सफेद घोड़ो के रथ पर देखते हैं. भारतीय-ईरानी, ग्रीक-रोमन और स्कैंडिनेवियाई परंपराओं में भी सूर्यदेव घोड़ो के रथ पर सवार होते हैं, भारत में घोड़ों की संख्या सात है लेकिन बाकी जगहों पर चार घोड़े ही रथ में जुते हैं.
Newgrange
रोमन इतिहास में उत्तरार्ध में सूर्य पूजा का महत्व बढ़ गया और अंततः इसे ‘सौर एकेश्वरवाद’ कहा गया. उस काल के लगभग सभी देवता सौर गुणों से युक्त थे, और क्राइस्ट और मिथ्रा दोनों में सौर देवताओं के गुण आए. 25 दिसंबर को सोल इनविक्टस (अपराजित सूर्य) का पर्व बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता था और अंततः इस तिथि को ईसाइयों ने क्रिसमस, ईसा मसीह के जन्मदिन के रूप में मनाना शुरू किया.