वक़्फ़ कानून में किसी तरह का संशोधन स्वीकार नहीं, ये मुसलमानों के पुरखों के दिए दान हैं : मौलाना अरशद मदनी

Story by  मोहम्मद अकरम | Published by  [email protected] | Date 23-08-2024
Any amendment in the Waqf Act is not acceptable, these are donations given by the ancestors of Muslims: Maulana Arshad Madani
Any amendment in the Waqf Act is not acceptable, these are donations given by the ancestors of Muslims: Maulana Arshad Madani

 

मोहम्मद अकरम /नई दिल्ली


केंद्र सरकार वक़्फ़ ऐक्ट 2013 में लगभग चालीस संशोधनों के साथ नया वक़्फ़ संशोधन विधेयक 2024 संसद में प्रस्तुत करने जा रही है. यह संशोधन किस प्रकार के हैं इसका अभी कोई विवरण सामने नहीं आया है, परन्तु जमीयत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने इस संशोधन विधेयक पर अपनी आपत्ति और चिंता व्यक्त करते हुए अपने एक बयान में कहा है कि यह आशंका व्यक्त की जारही है कि इन संशोधनों द्वारा केंद्र सरकार वक़्फ़ संपत्तियों की स्थिति और स्वभाव को बदल देना चाहती है ताकि उन पर क़ब्ज़ा करके मुस्लिम वक़्फ़ की स्थिति को समाप्त करना आसान हो जाए.

उन्होंने कहा कि हम ऐसे किसी संशोधन को जिससे वक़्फ़ की स्थिति और वक़्फ़कर्ता का उद्देश्य बदल जाए, कभी भी स्वीकार नहीं कर सकते. वक़्फ़ संपत्तियां मुसलमानों के पुरखों के दिए हुए वह दान हैं जिन्हें धार्मिक और मुस्लिम खैर कार्यों के लिए समर्पित किया गया है, सरकार ने बस उन्हें विनियमित करने के लिए वक़्फ़ ऐक्ट बनाया है, 

जमीयत उलमा-ए-हिंद ने कहा कि ऐक्ट 2013 मैं कोई ऐसा संशोधन, जिससे वक़्फ़ संपत्तियों की स्थिति और स्वभाव बदल जाए या उसे क़ब्ज़ा कर लेना सरकार या किसी व्यक्ति के लिए आसान हो जाए, कभी भी ऐसे विधेयक को स्वीकार नहीं करेगी, इसी तरह वक़्फ़ बोर्डों के अधिकारों को कम या सीमित करने को भी हम स्वीकार नहीं कर सकते.

उन्होंने कहा कि जब से यह सरकार आई है विभिन्न बहानों और हथकंडों से मुसलमानों को अराजकता और भय में रखने के लिए ऐसे-ऐसे नए कानून ला रही है जिससे शरई मामलों में खुला हस्तक्षेप होता है, हालांकि सरकार यह बात अच्छी तरह जानती है कि मुसलमान हर नुकसान बर्दाश्त कर सकता है, लेकिन अपनी शरीयत में कोई हस्तक्षेप बर्दाश्त नहीं कर सकता.

मौलाना मदनी ने स्पष्ट रूप से कहा कि यह एक प्रकार से मुसलमानों को दिए गए संवैधानिक अधिकारों में जानबूझकर किया गया हस्तक्षेप है। संविधान ने हर नागरिक को धार्मिक स्वतंत्रता के साथ-साथ अपने धार्मिक कार्यों के पालन करने का पूरा अधिकार भी दिया है और वर्तमान सरकार संविधान द्वारा मुसलमानों को दी गई इस धार्मिक स्वतंत्रता को छीन लेना चाहती है. 

सरकार की नीयत खराब है

मौलाना मदनी ने आगे कहा कि मुसलमानों ने जो वक़्फ़ किया है और जिस उद्देश्य के लिए वक़्फ़ किया है वक़्फ़कर्ता की इच्छा के खिलाफ प्रयोग नहीं कर सकते, क्योंकि यह प्रॉपर्टी अल्लाह के लिए समर्पित होती हैं.

सरकार की नीयत खराब है, हमारे धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप करना चाहती है और मुसलमानों की अरबों खरबों की संपत्तियों को हड़प लेना चाहती है, जैसा कि उसने अतीत में चाहे वो यू.सी.सी. का मुद्दा हो या तलाक़ का मुद्दा हो या नान-नफक़ा का मुद्दा हो, उसने इसमें हस्तक्षेप किया है.

हमें ऐसा कोई संशोधन स्वीकार नहीं जो वक़्फ़कर्ता की इच्छा के खिलाफ हो या जो वक़्फ़ की स्थिति को बदल दे, अब इस समय सरकार वक़्फ क़ानून में संशोधन का प्रस्ताव लाकर मुसलमानों के धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप करने का प्रयास कर रही है लेकिन जमीयत उलमा-ए-हिंद यह स्पष्ट कर देना चाहती है कि वक़्फ़ एकट 2013 मैं कोई ऐसा संशोधन, जिससे वक़्फ़ संपत्तियों की स्थिति या स्वभाव बदल जाए या कमज़ोर हो जाए, कभी भी स्वीकार नहीं करेगी.

सुप्रीमकोर्ट का दरवाज़ा खटखटाने के लिए तैयार

मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि जमीयत उलमा-ए-हिंद ने हर दौर में वक़्फ़ संपत्तियों की सुरक्षा को निश्चित करने के लिए प्रभावी क़दम अठाए हैं और आज भी हम इस विश्वास के साथ आगे बढ़ रहे हैं कि भारत के मुसलमान सरकार की हर उस योजना के खिलाफ होंगे जो वक़्फ संपत्तियों की सुरक्षा की गारंटी न देता हो और जिसका प्रयोग वक़्फ़कर्ता की इच्छा के खिलाफ हो.

जरूरत पड़ने पर सुप्रीमकोर्ट का दरवाज़ा खटखटाने के लिए खुद को तैयार कर चुके हैं, क्योंकि जमीयत उलमा-ए-हिंद अपने पुरखों की संपत्तियों की सरकारी और गैर-सरकारी स्तर पर जारी रहने वाली लूट पर चुप नहीं बैठ सकती. 

धार्मिक, कल्याणकारी कार्य के लिए खैरात

वक़्फ़ की शरई स्थिति को बयान करते हुए मौलाना मदनी ने कहा कि हमें यह बात नहीं भूलनी चाहिए कि इस्लामी शरीअत के अनुसार धार्मिक, कल्याण कार्य या इस्लाम के खैरात के उद्देश्यों को पूरा करने के लिए चल या अचल संपत्तियों के स्थायी दान का नाम वक़्फ़ है, जो एक बार वक़्फ़ होने के बाद कभी समाप्त नहीं हो सकता.

एक बार वक़्फ़ होने के बाद वक़्फ़कर्ता, वक़्फ़ की गई संपत्ति का मालिक नहीं रहता बल्कि वो संपत्ति अल्लाह के स्वामित्व में स्थानांतरित हो जाती है लेकिन सरकार बराबर खुद दिल्ली में मस्जिदों को शहीद करा रही है और हज़रत निजामुद्दीन में सैकड़ों करोड़ के वक़्फ़ कब्रिस्तान पर क़ब्ज़ा करने के निकट है.

उन्होंने वर्तमान सरकार में भागीदार उन राजनीतिक दलों को चेतावनी दी जो खुद को धर्मनिरपेक्ष कहते हैं, कि वो ऐसे किसी भी बिल को संसद में स्वीकार न होने दें और उसका विरोध करें, उन्होंने कहा कि इन राजनीतिक दलों को यह नहीं भूलना चाहीए कि उनकी राजनीतिक सफलता के पीछे मुसलमानों का भी हाथ है.