गोरखपुर
गोरखपुर स्थित ऐतिहासिक मुबारक दरगाह शरीफ पर हज़रत मुबारक ख़ान रहमतुल्लाह अलैह के सालाना उर्स मुबारक के अवसर पर एक विशेष आयोजन “एक शाम शहीदों के नाम” का बड़े जोश, श्रद्धा और राष्ट्रीय एकता के संदेश के साथ संपन्न हुआ. इस मौके ने न केवल आध्यात्मिकता को संजोया, बल्कि देश की साझा संस्कृति, भाईचारे और आतंकवाद के खिलाफ एकजुटता का ऐतिहासिक संदेश भी दिया.
कार्यक्रम की शुरुआत अजमेर शरीफ दरगाह के गद्दीनशीन और चिश्ती फाउंडेशन के चेयरमैन हाजी सैयद सलमान चिश्ती के विशेष ग़िलाफ़ पेश करने के साथ हुई. अजमेर शरीफ से आए इस मुबारक ग़िलाफ़ के साथ उन्होंने मुल्क में अमन, तरक्की और भाईचारे के लिए विशेष दुआ की.
हाजी सैयद सलमान चिश्ती ने अपने संदेश में कहा,“भारत की रूह मोहब्बत, अमन और भाईचारे में बसती है. हमें आतंकवाद और नफ़रत के खिलाफ एकजुट होकर अपने वतन की हिफाज़त करनी है। शहीदों की कुर्बानी को जिंदा रखने का सबसे अच्छा तरीका है कि हम इंसानियत और आपसी मोहब्बत को अपना मिशन बनाएं.”
हाल ही में पहलगाम, कश्मीर के बैसरन घास के मैदान में हुए भयावह आतंकी हमले में शहीद हुए 28 निर्दोष नागरिकों को कार्यक्रम के दौरान भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की गई.
घायलों और उनके परिवारों के लिए विशेष दुआएं की गईं. इस मौके पर देशभर से आए हज़ारों ज़ाइरीन और श्रद्धालुओं ने आतंकवाद और दहशतगर्दी के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद की और एकता का मजबूत संदेश दिया.
कार्यक्रम में पीठाधीश्वर श्री गोस्वामी सुशील महाराज ने अपने ओजस्वी संबोधन में कहा,“भारत विश्व का सबसे बड़ा अध्यात्मिक और सह-अस्तित्व का संदेशवाहक रहा है. हमें जाति, धर्म, भाषा के भेदभाव को भुलाकर आतंकवाद जैसी बुराइयों का डटकर मुकाबला करना है. शहीदों का बलिदान हमें वतन से प्रेम करना सिखाता है.”
वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता श्री लल्लेश रेड्डी ने भी अपने विचार रखते हुए कहा,“भारत की गंगा-जमुनी तहजीब हमारी सबसे बड़ी ताकत है. आतंक और हिंसा की शक्तियों का सबसे बड़ा जवाब हमारी मुहब्बत, हमारी एकता है। शहीदों की कुर्बानी हमें यह सिखाती है कि असली ताकत भाईचारे और राष्ट्रप्रेम में है.”
वहीं दरगाह कमेटी के अध्यक्ष श्री इक़रार अहमद ने कहा,“हज़रत मुबारक ख़ान दरगाह ने हमेशा अमन, प्रेम और सौहार्द का संदेश दिया है. आज जब मुल्क को एकता की सबसे बड़ी जरूरत है, तब यहां से उठी दुआएं पूरे भारत को नफ़रत के अंधेरे से लड़ने की नई रौशनी देंगी.”
कार्यक्रम के समापन पर समस्त उपस्थित जनसमूह ने ‘जय हिंद’ और ‘हिंदुस्तान ज़िंदाबाद’ के नारों के साथ राष्ट्रभक्ति और राष्ट्रीय एकता का जोशपूर्ण उत्सव मनाया. माहौल में देश के लिए प्रेम और शहीदों के प्रति सम्मान का भाव स्पष्ट रूप से झलक रहा था.
“एक शाम शहीदों के नाम” कार्यक्रम ने एक बार फिर यह साबित कर दिया कि भारत की साझी सांस्कृतिक विरासत, अध्यात्मिकता और भाईचारे की भावना आतंक और नफरत से कहीं अधिक मजबूत है. यह आयोजन न केवल गोरखपुर, बल्कि पूरे देश के लिए एक प्रेरणा बनकर इतिहास में दर्ज हो गया है.